डोनाल्ड ट्रंप 2.0 में कैसे रहेंगे भारत-अमेरिका के संबंध, वीजा-व्यापार और रक्षा क्षेत्र में क्या बदल सकता है?
ट्रंप ने बांग्लादेश में तख्तापलट (coup in bangladesh) के बाद से हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा की भी कड़ी निंदा की थी। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और अमेरिका के संबंध कैसे रहेंगे,। रिपब्लिकन कैंडिडेट और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान 'अमेरिका फर्स्ट' की पॉलिसी पर जोर दिया है, जिसका असर व्यापार, आप्रवासन, सैन्य सहयोग और कूटनीति जैसे क्षेत्रों पर देखने को मिल सकता है।
नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में इस बार रिपब्लिकन कैंडिडेट डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रैट उम्मीदवार कमला हैरिस में कांटे की टक्कर रही। अमेरिकी चुनाव परिणाम में ट्रंप ने वापसी कर ली है। अमेरिका फर्स्ट की पॉलिसी पर जोर देकर सत्ता में फिर से लौटने वाले डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने का भारत-अमेरिका संबंधों(India-US relations) पर क्या असर पड़ेगा।
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मोदी को अपना दोस्त बताया
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 नतीजे आ गए हैं। रिपब्लिकन कैंडिडेट डोनाल्ड ट्रंप (Republican candidate Donald Trump) अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बन चुके हैं। हालांकि, डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस (Democrat candidate Kamala Harris) ने ट्रंप को तगड़ी टक्कर दी। ट्रंप चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बन गए हैं, इसका भारत पर भी असर पड़ेगा। डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान व दिवाली के मौके पर सोशल मीडिया के जरिये अमेरिका में रह रहे भारतीयों को अपने पक्ष में करने के लिए भारत संग संबंध मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। दिवाली पर ट्रंप ने एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त (Prime Minister Narendra Modi as his friend) बताया था। साथ ही रिपब्लिकन की सरकार बनने पर दोनों देशों के बीच की साझेदारी और आगे बढ़ाने का वादा किया था।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले की निंदा की थी
इससे पहले, ट्रंप ने बांग्लादेश में तख्तापलट (coup in bangladesh) के बाद से हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा की भी कड़ी निंदा की थी। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और अमेरिका के संबंध कैसे रहेंगे,। रिपब्लिकन कैंडिडेट और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान ‘अमेरिका फर्स्ट’ की पॉलिसी पर जोर दिया है, जिसका असर व्यापार, आप्रवासन, सैन्य सहयोग और कूटनीति जैसे क्षेत्रों पर देखने को मिल सकता है।
भारत के आईटी, फार्मास्यूटिकल और टेक्सटाइल क्षेत्र प्रभावित
ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान इकोनॉमिक और ट्रेड पॉलिसीज में अमेरिका को सर्वोपरि रखा था। कई अंतरराष्ट्रीय समझौतों से अमेरिका को बाहर कर दिया था। इस बार भी ट्रंप प्रशासन अमेरिका केंद्रित पॉलिसीज पर ही जोर देगा। ट्रंप ने हाल ही में भारत पर आयात शुल्क बढ़ाने की बात कही थी। ऐसे में ट्रंप के नए आयात शुल्कों से भारत के आईटी, फार्मास्यूटिकल और टेक्सटाइल क्षेत्र प्रभावित हो सकता है। ट्रंप ने पार और शुल्कों पर चर्चा करते हुए कहा था- भारत एक बहुत बड़ा एब्यूजर है। ये लोग सबसे चतुर हैं। ये पिछड़े नहीं हैं।
भारत के लिए एक अवसर
भारत आयात के मामले पर शीर्ष पर है, जिसका इस्तेमाल वह हमारे खिलाफ करता है। हालांकि, पीएम मोदी को अपना दोस्त बताते हुए उनकी प्रशंसा की थी। हां, अगर ट्रंप चीन से दूरी बनाने वाली व्यापार नीति पर काम करते हैं तो यह भारत के लिए एक अवसर हो सकता है। भारत इस स्थिति का लाभ उठाकर अमेरिकी कंपनियों को चीन से हटाकर भारत में निवेश करने के लिए आकर्षित कर सकता है।
इमिग्रेशन से बढ़ सकती हैं भारतीय कामगारों की मुश्किलें
पिछले कार्यकाल में ट्रंप का आप्रवासन पर कठोर रुख विशेषकर H-1B वीजा कार्यक्रम पर रहा है। ट्रंप प्रशासन ने विदेशी कामगारों के लिए वेतन कम करने और अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया था, जिससे भारतीय आईटी पेशेवरों और टेक्नोलॉजी कंपनियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा। यदि यह नीति फिर से लागू होती है, तो इसका असर भारतीय प्रोफेशनल्स पर पड़ सकता है और भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में नौकरी की संभावनाएं कम हो सकती हैं।
रक्षा और सुरक्षा सहयोग
भारत-अमेरिका के बीच रक्षा और सैन्य सहयोग पिछले कुछ वर्षों में मजबूत हुआ है। ट्रंप प्रशासन के नेतृत्व में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग और बेहतर व मजबूत होने की संभावनाएं हैं। ट्रंप के पिछले कार्यकाल में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन का प्रभाव कम करने के लिए अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच सुरक्षा साझेदारी क्वाड समूह के जरिये को मजबूती दी गई थी। चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के साथ तनाव के बीच अतिरिक्त संयुक्त सैन्य अभ्यास, हथियारों की बिक्री और टेक्नोलॉजी का हस्तांतरण भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत कर सकता है।
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