Tiger Reserve: रणथंभौर में बाघों की अठखेलियों के साथ भालुओं की भी अच्छी साइटिंग
रणथंभौर के जोन नम्बर दो में टाईगर सफारी के लिए गए पर्यटको को भालुओं के दीदार हुए। यहाँ दो भालुओं के बीच करीब पांच मिनिट तक आपस मे जमकर संघर्ष हुआ। आपसी संघर्ष में एक भालू के आत्मसमर्पण करने के बाद संघर्ष खत्म हुआ। भालुओं के बीच संघर्ष देख मौके पर मौजूद सैलानी खासा रोमांचित नजर आये। रणथम्भौर के वन्यजीव विशेषज्ञों की मानें तो भालुओं की औसत उम्र तकरीबन 12 वर्ष होती है। भालुओं के नाखून नुकीले होने के कारण बाघ भी भालुओं पर हमला करने से डरते हैं। जानकारों के मुताबिक रणथंभौर में पिछले कुछ सालों में ग्रास लैंड काफी विकसित हुआ है। ग्रास लेंड विकसित होने से भालुओं की संख्या में भी वृद्धि हुई है, जो वन एवं वन्यजीव संरक्षण की दृष्टि से रणथम्भौर के लिए सुखद है। रणथम्भौर में जहां साल 2014-15 में भालुओं की संख्या महज 60 से 70 थी, वहीं अब भालुओं की संख्या 100 के करीब है। वहीं बाघ, बाघिन और शावकों की संख्या 75 के करीब है।
सवाई माधोपुर। सवाई माधोपुर स्थित प्रदेश का सबसे बड़ा टाईगर रिजर्व रणथंभौर (Tiger Reserve Ranthambore) बाघों की अठखेलियों को लेकर तो विश्व पटल पर अपनी खास पहचान रखता ही है। लेकिन रणथंभौर में बाघों की अठखेलिया देखने आने वाले सैलानियों को यहाँ बाघों के साथ ही इन दिनों भालुओं की भी अच्छी साइटिंग (Good sighting of bears too) देखने को मिल रही है ।
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दो भालुओं के बीच आपसी संघर्ष देखने को मिला
ऐसा ही एक नजारा आज सुबह की पारी में रणथंभौर के जोन नम्बर दो में देखने को मिला रणथंभौर पार्क भ्रमण पर गये सैलानियों को जोन नम्बर दो में दो भालुओं के बीच आपसी संघर्ष देखने को मिला। दो भालुओं के बीच आपसी संघर्ष देख सैलानी गदगद (tourist giddy) हो गए और सैलानियों ने इस वाकिये की अपने मोबाईल कैमरों में कैद कर लिया जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। रणथंभौर के जोन नम्बर दो में टाईगर सफारी के लिए गए पर्यटको को भालुओं के दीदार हुए।
सैलानी खासा रोमांचित
यहाँ दो भालुओं के बीच करीब पांच मिनिट तक आपस मे जमकर संघर्ष हुआ। आपसी संघर्ष में एक भालू के आत्मसमर्पण करने के बाद संघर्ष खत्म हुआ। भालुओं के बीच संघर्ष देख मौके पर मौजूद सैलानी खासा रोमांचित नजर आये। रणथम्भौर के वन्यजीव विशेषज्ञों (Wildlife experts of Ranthambore) की मानें तो भालुओं की औसत उम्र तकरीबन 12 वर्ष होती है। भालुओं के नाखून नुकीले होने के कारण बाघ भी भालुओं पर हमला करने से डरते हैं।
भालुओं की संख्या 100 के करीब
जानकारों के मुताबिक रणथंभौर में पिछले कुछ सालों में ग्रास लैंड काफी विकसित हुआ है। ग्रास लेंड विकसित होने से भालुओं की संख्या में भी वृद्धि हुई है, जो वन एवं वन्यजीव संरक्षण की दृष्टि से रणथम्भौर के लिए सुखद है। रणथम्भौर में जहां साल 2014-15 में भालुओं की संख्या महज 60 से 70 थी, वहीं अब भालुओं की संख्या 100 के करीब है। वहीं बाघ, बाघिन और शावकों की संख्या 75 के करीब है। रणथंभौर भ्रमण पर आने वाले सैलानियों को रणथंभौर में बाघ बाघिन ओर शावकों (Tiger tigress and cubs in Ranthambore) के साथ ही भालुओं की भी अच्छी साइटिंग देखने को मिल रही है ।
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