समरावता कांड: हाईकोर्ट के न्यायाधीश से घटना की जांच करवाने की मांग, बढ़ सकती है टोंक पुलिस की मुश्किलें

संभागीय आयुक्त ने जिला मुख्यालय में 24 जनवरी को समरावता गांव में कलेक्टर एवं एसपी, पुलिसकर्मियों के साथ में दौरा किया था, लेकिन निर्दोष ग्रामीणों के साथ किए गए अमानवीय अत्याचार, आगजनी, तोड़फोड़ और सैकड़ों वाहनों को जलाने की घटना तथा आवासीय घरों एवं मवेशियों की अपूरणीय हानि के लिए पुलिस व प्रशासन पूरी तरह से शक के घेरे में है। इस कारण से शुरुआत से ही समरावता गांव के लोगों द्वारा इस घटना के निष्पक्ष जांच वर्तमान राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से करवाने की मांग की जा रही है। क्योंकि गांव वालों को मानना है कि वर्तमान जिला मुख्यालय का पुलिस एवं प्रशासन तथा संभागीय आयुक्त इस घटना की निष्पक्ष जांच नहीं कर सकते हैं। संभागीय आयुक्त महेश चंद्र शर्मा को लिखे पत्र के बाद एक बार फिर से अब उनियारा उपखंड अधिकारी कार्यालय में 31 जनवरी को मामले की सुनवाई की तारीख तय की गई है।

टोंक। टोंक जिले में देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के दौरान समरावता गांव में हुए थप्पड़ कांड के बाद आगजनी, उपद्रव के मामले में अब टोंक पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही है। समरावता गांव में हुई आगजनी, ग्रामीणों से मारपीट और उपद्रव मामले की न्यायिक जांच कर मांग लगातार उठ रही हैं। वहीं दूसरी ओर भजनलाल सरकार ने अजमेर संभागीय आयुक्त महेश चंद्र शर्मा को जांच सौंपी हुई है।


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पुलिस और प्रशासन पर धमकाने के आरोप

संभागीय आयुक्त महेश चंद्र शर्मा ने दोबारा टोंक आकर पहले सर्किट हाउस में सुनवाई की, लेकिन ग्रामीणों के बहिष्कार के चलते सुनवाई फेल हो गई। इसके बाद समरावता गांव पहुंचकर जांच पड़ताल की तो ग्रामीणों ने उस कार्रवाई को लेकर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर धमकाने के आरोप लगा दिए। अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के प्रदेशाध्यक्ष एवं सेवानिवृत्ति आईआरएस केसी घुमरिया ने संभागीय आयुक्त को पत्र भेजकर समरावता गांव घटना की जांच राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश से करवाने की मांग की है। केसी घुमरिया, वकील लाखन सिंह मीना सहित ग्रामीण कुलदीप मीणा, मनीष, रामरेश, विक्रम सिंह, रामू, बलराम मीणा, नारंगी मीणा, खुशबु मीणा, राजेश, फूलचंद्र मीणा, रामकरण मीणा, जीतराम, दिलखुश मीणा, जमनालाल मीणा ने भेजे पत्र में बताया कि 13 नवंबर को थप्पड़ कांड के बाद, रात में आगजनी की घटना एवं मकान में तोड़फोड़ सहित कई वारदात होने पर राज्य सरकार ने संभागीय आयुक्त को जांच के लिए नियुक्त किया है।


पुलिस व प्रशासन शक के घेरे में
संभागीय आयुक्त ने जिला मुख्यालय में 24 जनवरी को समरावता गांव में कलेक्टर एवं एसपी, पुलिसकर्मियों के साथ में दौरा किया था, लेकिन निर्दोष ग्रामीणों के साथ किए गए अमानवीय अत्याचार, आगजनी, तोड़फोड़ और सैकड़ों वाहनों को जलाने की घटना तथा आवासीय घरों एवं मवेशियों की अपूरणीय हानि के लिए पुलिस व प्रशासन पूरी तरह से शक के घेरे में है। इस कारण से शुरुआत से ही समरावता गांव के लोगों द्वारा इस घटना के निष्पक्ष जांच वर्तमान राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से करवाने की मांग की जा रही है। क्योंकि गांव वालों को मानना है कि वर्तमान जिला मुख्यालय का पुलिस एवं प्रशासन तथा संभागीय आयुक्त इस घटना की निष्पक्ष जांच नहीं कर सकते हैं। संभागीय आयुक्त महेश चंद्र शर्मा को लिखे पत्र के बाद एक बार फिर से अब उनियारा उपखंड अधिकारी कार्यालय में 31 जनवरी को मामले की सुनवाई की तारीख तय की गई है। इसके लिए सम्भागीय आयुक्त कार्यालय की ओर से एक सूचना की जारी की गई है। इसमें अपील की गई हे कि समरावता गांव में हुई घटना में जो भी हितबद्ध, प्रभावित व्यक्ति या अन्य संबंधित व्यक्ति अपना पक्ष रखना चाहे अथवा साक्ष्य सबूत पेश करना चाहें तो वह 31 जनवरी को सुबह 11 बजे व्यक्तिगत उपस्थित होकर पेश कर सकता है।


13 नवंबर 2024 का है मामला
बता दें कि 13 नवंबर 2024 को देवली उनियारा विधानसभा के उपचुनाव के दौरान निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीना ने एरिया मजिस्ट्रेट अमित चौधरी पर जबरदस्ती मतदान करवाने का आरोप लगाकर थप्पड़ जड़ दिया था। इसके बाद जब मतदान समाप्त हुआ तब नरेश मीना के समर्थकों और पुलिस के बीच पथराव, फायरिंग, आगजनी और मारपीट हुई थी और नरेश मीना पुलिस हिरासत से फरार हो गया था। इसके बाद 14 नवंबर को सुबह नरेश मीना को भारी पुलिस जाप्ते के साथ पुलिस अधीक्षक विकास सांगवान ने गिरफ्तार किया था।


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