Animal ttendant recruitment: पशु परिचर भर्ती पर राजस्थान हाईकोर्ट की रोक, नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूले पर उठे सवाल
न्यायमूर्ति महेंद्र गोयल की एकलपीठ ने हितेश पाटीदार और अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से दाखिल याचिका पर यह अंतरिम आदेश जारी किया। याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट सारांश विज और हरेंद्र नील ने पैरवी करते हुए तर्क दिया कि भर्ती परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन के लिए जो 'जेड फॉर्मूला' अपनाया गया है, वह गलत है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस फॉर्मूले को पहले ही खारिज कर चुका है और 'पी फॉर्मूला' को अधिक उपयुक्त माना गया है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि परीक्षा तीन दिनों में छह शिफ्टों में आयोजित की गई थी, और प्रत्येक शिफ्ट का प्रश्नपत्र अलग था। नॉर्मलाइजेशन के बाद कुछ शिफ्टों से disproportionate चयन हुआ, जिससे पहली और चौथी शिफ्ट के उम्मीदवार पूरी तरह बाहर हो गए, जबकि छठी शिफ्ट से बड़ी संख्या में चयन हुआ। उदाहरण के तौर पर, चौथी शिफ्ट से केवल 6 प्रतिशत चयन हुआ जबकि छठी शिफ्ट से 33 प्रतिशत उम्मीदवारों का चयन हो गया।

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने पशुपालन विभाग में पशु परिचर के 6000 से अधिक पदों पर चल रही भर्ती प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी है। अदालत ने राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड और पशुपालन विभाग को चार हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। अब इस मामले में अगली सुनवाई 2 जुलाई को होगी।
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‘जेड फॉर्मूला’ अपनाया गया, वह गलत
न्यायमूर्ति महेंद्र गोयल की एकलपीठ ने हितेश पाटीदार और अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से दाखिल याचिका पर यह अंतरिम आदेश जारी किया। याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट सारांश विज और हरेंद्र नील ने पैरवी करते हुए तर्क दिया कि भर्ती परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन के लिए जो ‘जेड फॉर्मूला’ अपनाया गया है, वह गलत है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस फॉर्मूले को पहले ही खारिज कर चुका है और ‘पी फॉर्मूला’ को अधिक उपयुक्त माना गया है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि परीक्षा तीन दिनों में छह शिफ्टों में आयोजित की गई थी, और प्रत्येक शिफ्ट का प्रश्नपत्र अलग था। नॉर्मलाइजेशन के बाद कुछ शिफ्टों से disproportionate चयन हुआ, जिससे पहली और चौथी शिफ्ट के उम्मीदवार पूरी तरह बाहर हो गए, जबकि छठी शिफ्ट से बड़ी संख्या में चयन हुआ। उदाहरण के तौर पर, चौथी शिफ्ट से केवल 6 प्रतिशत चयन हुआ जबकि छठी शिफ्ट से 33 प्रतिशत उम्मीदवारों का चयन हो गया।
कट ऑफ मार्क्स सार्वजनिक नहीं किए
सबसे गंभीर आरोप यह है कि चयन सूची जारी करते समय बोर्ड ने कट ऑफ मार्क्स सार्वजनिक नहीं किए। इसके बावजूद उम्मीदवारों को दस्तावेज़ सत्यापन के लिए बुला लिया गया, जो कि भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इस दौरान दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया तो जारी रह सकती है, लेकिन किसी उम्मीदवार को नियुक्ति नहीं दी जा सकती। यह आदेश आगामी सुनवाई तक प्रभावी रहेगा।
10.52 लाख ने परीक्षा दी थी
गौरतलब है कि इस भर्ती के लिए अक्टूबर 2023 में विज्ञप्ति जारी की गई थी। इसमें 17.53 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया, जिनमें से 10.52 लाख ने परीक्षा दी थी। परीक्षा 1 से 3 दिसंबर 2024 तक तीन दिन छह शिफ्टों में आयोजित की गई थी। अब देखना यह होगा कि हाईकोर्ट आगामी सुनवाई में क्या रुख अपनाता है फिलहाल, चयन प्रक्रिया पर सवालिया निशान लग गए हैं और हजारों अभ्यर्थी असमंजस की स्थिति में हैं।
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Mahendra Mangal