उदयपुर। उदयपुर के सिटी पैलेस में हाल ही में एक ऐतिहासिक परंपरा का पुनर्जीवन हुआ। पाली जिले के देसूरी क्षेत्र के पांच गांव, घेनड़ी, पिलोवणी, वणदार, रूंगड़ी और शिवतलाव के राजपुरोहित परिवारों ने तीन शताब्दी बाद फिर से सिटी पैलेस आकर पुराने रिश्तों को सम्मान दिया।
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भविष्य की पीढ़ियों को मजबूत रिश्तों का संदेश
पिछले दिनों पूर्व राजपरिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन पर शोक प्रकट करने के लिए राजपुरोहित यहां आए थे। परंपरा के अनुसार उन्होंने बिना भोजन ग्रहण किए शोक संतप्त परिवार से मुलाकात की और वापस लौट गए लेकिन अब डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के आग्रह पर फिर से इन गांवों के राजपुरोहित सिटी पैलेस पहुंचे। यहां उन्होंने न केवल स्नेह और सम्मान के साथ मेवाड़ परिवार के साथ पुराने रिश्ते की डोर को फिर से जोड़ा, बल्कि अपने गांवों से लाए उपहार और पारंपरिक तलवार भेंट कर परंपरागत रस्मों को भी निभाया। लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि यह पहल सिर्फ अतीत को जोड़ने की नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों को मजबूत रिश्तों का संदेश देने की है। पिलोवणी गांव के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी श्यामसिंह राजपुरोहित ने कहा कि सदियों पुरानी निकटता, जो किसी कारणवश कमजोर पड़ गई थी, उसे अब नए जोश के साथ पुनः जीवित किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि भले ही महल से चूंदड़ी भेजना बंद हो गया था, फिर भी गांव की बहन-बेटियां वर्षों तक राखी भेजती रहीं। अब इस पुनर्संयोजन से गांवों में नए उत्साह का संचार हुआ है।
अतीत के सम्मान से भविष्य को नई दिशा
इतिहास बताता है कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के साथ लड़ते हुए नारायण दास राजपुरोहित ने वीरगति प्राप्त की थी। उनके वंशजों को इन पांच गांवों की जागीरें दी गईं, जिससे राजपरिवार और इन गांवों के बीच गहरा संबंध बन गया। अब लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ की पहल से यह संबंध फिर से जीवंत हो उठा है। आने वाले समय में त्योहारों और परंपराओं के जरिए यह रिश्ते और मजबूत होते रहेंगे। इस मिलन ने यह संदेश दिया कि अतीत के सम्मान से भविष्य को एक नई दिशा दी जा सकती है।
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Mahendra Mangal