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Crime News: नकल गिरोह ने फिर दिखाया सुरक्षा व्यवस्था को ठेंगा, ऑनलाइन परीक्षा में लगाई डिजिटल सेंध

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यादवेंद्र शर्मा/जयपुर। राज्य हो या फिर केंद्र सरकार नकल माफिया ने दोनों की ही नाक में दम कर रखा है। छोटी से लेकर बड़ी परीक्षाओं में होने वाली नकल और पर्चा लीक की घटना को लेकर हर बार पुख्ता इंतजाम करने का दम्भ भरने वाली एजेसियों की नकल माफिया ने हवा निकाल कर रख दी है। तमाम एहतियात के बावजूद जब पुलिस ने सोमवार को नकल माफिया गैंग पकड़ी तो उनकी कारगुजारी से एजेंसियों की सायबर एक्सपर्ट टीम भी भौंचक्की रह गई। ऐसे में सवाल उठता है कि हम डाल-डाल और वे पात-पात के हालात में जिम्मेदार लोग कैसे हाईटैक नकल माफिया की कमर तोडेंगे।


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ऑनलाइन पेपर प्रकिया से एजेंसियों की खुली पोल

रविवार को नेशनल सीड़स कॉर्पोरेशन लिमिटेड की ओर से एग्रीकल्चर ट्रेनी भर्ती परीक्षा आयोजित कराई गई। इसी बीच राजस्थान ATS के साथ पुलिस कमिश्नरेट को परीक्षा में धांधली की शिकायत मिली। जिसके बाद पुलिस तुरंत अरकत में आई और जयपुर स्थित वैदिक कॉलेज, IT इंफ्रा, हैरिटेज वायुना स्कूल, JNM नर्सिंग कॉलेज, लॉरेंस स्कूल, टैगोर भारती सहित SJM कॉलेज में दबिश दी और नकल कराने वाले गैंग और अभ्यर्थियों सहित 14 लोगों को गिरफ्तार किया। इनके पास से परीक्षा में नकल कराने वाले खास सॉफ्ट वेयर, मोबाइल, कंप्युटर और लेपटॉप सहित अन्य संदिग्ध सामग्री बरामद की। पकड़े जाने के बाद कंप्यूटर लैब से बरामद हुए सभी डाटा को खंगाला गया तो साइबर एक्सपर्ट्स और FSL भी हैरान रह गई। नकल माफिया ने सॉफ्टवेयर डेवलप कर पूरे ऑनलाइन सरकारी सिस्टम ध्वस्त कर दिया। ऑनलाइन पेपर में होने वाली चीटिंग ने पेपर एजेंसी के ऊपर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।


जिम्मेदार डाल-डाल, माफिया पात-पात
नकल माफिया ने ऑन लाइन परीक्षा में नकल कराने के लिए अभ्यर्थियों के कंप्यूटर को हैक किया। कहा जाता है कि जिस कक्ष में कंप्यूटर से छेड़छाड़ किए बिना हैक करना संभव नहीं है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे है किलकहीं परीक्षा केन्द्र के स्तर पर तो कोई चूक नहीं हुई जिसकी पुलिस जांच कर रही है। जानकारी के अनुसार गैंग ने खास सॉफ्टवेयर AME डिवाइस और टीम व्यूअर का इस्तेमाल किया। यह एप कंप्युटरों के बीच रिमोट कंट्रोल, डैस्कटॉप शेयरिंग और फाइल ट्रांसफर के लिए सॉफ्टवेयर पैकेज है जो माइक्रो सॉफ्ट विंडोज,लिनक्स, ios और एंड्रॉयड के साथ काम करता है। जानकारी के अनुसार इस सॉफ्टवेयर को इंस्टॉलेशन और खास कॉन्फिगेरेशन की जरूरत नहीं होती है। इसी के चलते साइबर एक्सपर्ट और FSL की टीमों ने पकड़ी गई सभी लैब में जाकर जब्त कंप्यूटर की जांच पड़ताल शुरू कर दी है।


सुरक्षा के तमाम दावे खोखला साबित
गौरतलब है कि रीट से लेकर RAS परीक्षा लीक प्रकरणों से भी परीक्षा कराने वाली एजेंसियों ने सबक नहीं लिया है। हाल ही में RPSC और कर्मचारी बोर्ड ने कहा है कि अब नकल रोकने के लिए फिंगर प्रिंट से लेकर रेटिना भी स्केन कराए जाएंगे। मगर रविवार को केन्द्र की ओर से आयोजित एग्रीकल्चर ट्रेनी भर्ती परीक्षा में हुई हाईटैक नकल ने सुरक्षा के तमाम दावों को खोखला साबित कर दिया है।


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