Doctors Strike : रजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल से मरीजों की दुर्दशा, संपूर्ण काम का बहिष्कार

बीते नौ दिनों से राज्य के रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के कारण अस्पताल की चिकित्सा सेवाएं चरमरा गई हैं। मरीजों को मजबूरी में निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। डॉक्टरों ने आने वाले दो दिनों तक संपूर्ण कार्य के बहिष्कार की चेतावनी दी है।

जयपुर। राज्य के रजिडेंट डॉक्टरों (resident doctors) की हड़ताल (strike) ने सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सेवाओं को ठप कर दिया है, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यह हड़ताल पिछले 9 दिनों से जारी है और डॉक्टरों ने अब आगामी दो दिनों में संपूर्ण कार्य के बहिष्कार की चेतावनी दी है, जिससे संकट और गहरा सकता है। गंभीर रूप से बीमार मरीजों की इलाज में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं।


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हड़ताल पर कड़े कदमों की संभावना

पिछले छह महीनों में तीसरी बार हो रही इस हड़ताल से राज्य प्रशासन और चिकित्सा विभाग (State Administration and Medical Department) परेशान हैं। प्रशासन का कहना है कि रेजिडेंट डॉक्टरों की यह हड़ताल अब हठधर्मिता का रूप ले चुकी है और इससे पूरे चिकित्सा तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। हड़ताल के दौरान हाईकोर्ट (High Court) द्वारा अवहेलना के नोटिस पर भी डॉक्टरों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जिससे प्रशासन कड़े कदम उठाने पर विचार कर रहा है।


चिकित्सा मंत्री का सख्त रुख
राज्य के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर (Medical Minister Gajendra Singh Khinvsar) ने रजिडेंट डॉक्टरों के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा कि बार-बार नई मांगों से सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि “रेजिडेंट डॉक्टरों को केवल वाजिब मांगों पर ही चर्चा करनी चाहिए, अन्यथा इससे न केवल सिस्टम बल्कि खुद डॉक्टरों को भी नुकसान होगा।”


क्या हैं रजिडेंट डॉक्टरों की मांगें
हड़ताल का मुख्य कारण वेतन वृद्धि, बेहतर कामकाजी परिस्थितियां और चिकित्सा सुविधाओं में सुधार (improvement in medical facilities) की मांगें हैं। रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि उनकी मांगों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। हालांकि सरकार का कहना है कि कई मांगें अव्यावहारिक हैं और उन्हें चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा सकता है।


चिकित्सा सेवाओं पर असर
राज्य के सरकारी अस्पतालों (government hospitals) में चिकित्सा सेवाएं लगभग ठप हो गई हैं। ओपीडी सेवाएं बाधित हैं और सर्जरी जैसे आवश्यक काम भी अटके हुए हैं। जो डॉक्टर काम कर रहे हैं, उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ गया है, जिससे सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। मरीज और उनके परिजन बेहद चिंतित हैं।


समाधान की उम्मीद

फिलहाल रेजिडेंट डॉक्टरों और सरकार के बीच कोई ठोस वार्ता नहीं हुई है। सरकार ने कहा है कि वे हड़ताल समाप्त करने की शर्त पर बातचीत के लिए तैयार हैं। वहीं डॉक्टरों का कहना है कि वे तब तक संघर्ष जारी रखेंगे, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।


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