Education Department: प्रदेश के 90 हजार बच्चों को किसी न किसी तरह की सर्जरी की जरूरत, अब शिक्षा विभाग कराएगा इलाज

प्रदेश के छात्रों के सर्वांगिण विकास को ध्यान में रखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने अगस्त-सितंबर महीने में पैपरलैस डिजीटल स्वास्थ्य सर्वे कराया था। जिसमें सरकारी स्कूलों के सभी विद्यार्थियों से 70 सवाल पूछकर हैल्थ सर्वे किया गया। जिसमें सामने आया कि कई ऐसे बच्चें हैं जिन्हें मेडिकल नीड्स है। इस डिजीटल सर्वे से मिले आंकड़ों के अनुसार करीब 90 हजार बच्चों में हृदय की स्थिति, कटे होंठ, क्लब्स पैर जैसी समस्याएं सामने आई है। सर्जिकल जरूरत वाले इन बच्चों का डेटा स्थानीय स्तर पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों को उपलब्ध करवा दिया गया है।

धर्मेन्द्र सिंहल/जयपुर। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले (those studying in government schools) लगभग 75 लाख बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया तो पता चला की करीब 90 हजार बच्चों को किसी न किसी तरह की सर्जरी की जरूरत है जिनमें से अधिकतर के हृदय की स्थिति, कटे होंठ, पैरों का अंदर की ओर मुड़ जाना जैसी समस्याएं पाई गई। इसका पता चलने के बाद सरकार हरकत में आई। अब चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा विभाग मिलकर ऐसे बच्चों का इलाज करवाएंगे।


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70 सवाल पूछकर हैल्थ सर्वे किया

आपको बता दे प्रदेश के छात्रों के सर्वांगिण विकास को ध्यान में रखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने अगस्त-सितंबर महीने में पैपरलैस डिजीटल स्वास्थ्य सर्वे (Paperless Digital Health Survey) कराया था। जिसमें सरकारी स्कूलों के सभी विद्यार्थियों से 70 सवाल पूछकर हैल्थ सर्वे किया गया। जिसमें सामने आया कि कई ऐसे बच्चें हैं जिन्हें मेडिकल नीड्स है। इस डिजीटल सर्वे से मिले आंकड़ों के अनुसार करीब 90 हजार बच्चों में हृदय की स्थिति, कटे होंठ, क्लब्स पैर जैसी समस्याएं सामने आई है। सर्जिकल जरूरत वाले इन बच्चों का डेटा स्थानीय स्तर पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों को उपलब्ध करवा दिया गया है।


राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत होगी सर्जरी
इस संबंध में शिक्षा शासन सचिव कृष्ण कुणाल(Education Government Secretary Krishna Kunal) ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत अब चिकित्सीय सहायता के लिए पहले चरण में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य विभाग के कार्मिकों और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के साथ शिक्षा विभाग के समन्वय से सर्जरी की आवश्यकता वाले छात्रों की कार्ययोजना बनाकर त्वरित रूप से क्रियान्वयन किया जाना है। इसके लिए ब्लॉक स्तर पर मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी और ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी चिह्नित छात्रों की सर्जरी राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) की टीम के जरिए करवाया जाना सुनिश्चित किया जाना है।


मॉनिटरिंग हर 15 दिन में जिला कलेक्टर करेंगे
मुख्य शिक्षा अधिकारी और जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी ब्लॉक स्तर से जिले पर भेजे गए चिह्नित विद्यार्थियों की सर्जरी जिला अस्पतालों में (Surgery of identified students in district hospitals) कराएंगे और जो सर्जरी जिला अस्पताल स्तर पर उपलब्ध न हो उसे राज्य स्तर पर करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि यदि किसी छात्र का परिवार RBSK के अन्तर्गत पात्र नहीं है, तो उन्हें आयुष्मान भारत योजना के अन्तर्गत जोड़कर योजनाबद्ध तरीके से लाभ पहुंचाया जाएगा। इस कार्ययोजना के क्रियान्वयन की मॉनिटरिंग हर 15 दिन में जिला कलेक्टर करेंगे।


75 लाख बच्चों से 70 प्रश्नों के पूछे
आपको बता दें कि शाला स्वास्थ्य परीक्षण कार्यक्रम के तहत लगभग 75 लाख बच्चों का स्वास्थ्य और स्वच्छता स्थितियों से संबंधित 70 प्रश्नों के पूछे गए थे। जिसमें विद्यार्थियों में नेत्र संबंधी , पोषण की कमी , शारीरिक मापदंडों और भावनात्मक मुद्दों सहित महत्वपूर्ण बिंदुओं की जानकारी ली गई थी।


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