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Education Department: महात्मा गांधी इंग्लिश स्कूलों में अब हिंदी मीडियम से भी होगी पढ़ाई, विभाग ने लिया फैसला

Mahatma Gandhi English Medium School

Mahatma Gandhi English Medium School

धर्मेन्द्र सिंहल/जयपुर । राजस्थान के महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में सभी छात्रों के पास 2025-26 सत्र से अपनी शिक्षा का माध्यम चुनने का विकल्प होगा। राज्य शिक्षा विभाग ने तीन कैबिनेट उप-समिति समीक्षा बैठकों के बाद इस बात की घोषणा की है। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के मुताबिक माना जा रहा है। ऐसे में अब इंग्लिश मीडियम स्कूलों में भी छात्र हिंदी मीडियम से पढ़ाई कर सकेंगे।


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महात्मा गांधी स्कूलों में कम हुए नामांकन

शिक्षा सचिव कृष्ण कुणाल ने एक बयान में कहा कि प्रदेश में नई शिक्षा नीति 2020 को लागू किया जा रहा है, ऐसे में सभी छात्रों को पढ़ाई का माध्यम चुनने का अवसर देना उचित होगा। उन्होंने कहा कि सत्र 2025-26 में भी इन स्कूलों को संचालन पहले जैसा ही रहेगा। दरअसल, पिछली सरकार ने सभी महात्मा गांधी सरकारी स्कूलों को इंग्लिश मीडियम में कनवर्ट कर दिया था, अब इसमें बदलाव किया जा रहा है। विभाग ने यह भी स्वीकार किया कि प्राथमिक कक्षाओं में सीटों की कम संख्या के कारण सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में नामांकन कम है। बयान में कहा गया है, “समिति को बताया गया कि सत्र 2023-24 तक उच्च कक्षाओं में अधिक सीटें और फीडर कक्षाओं में कम सीटें होने के कारण MGGS स्कूलों में नामांकन में भी कमी आई है।”


दो शिफ्ट में चलेंगे स्कूल
बैठकों में यह भी निर्णय लिया गया कि छात्रों, विशेषकर लड़कियों को ग्राम पंचायत स्तर पर हिंदी माध्यम के स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने का विकल्प दिया जाना चाहिए। जिन ग्राम पंचायतों में स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तित करने के बाद हिंदी माध्यम की शिक्षा का कोई विकल्प नहीं बचा है, वहां दोनों भाषाओं के लिए स्कूल दो शिफ्टों में संचालित होंगे।


साइंस फैकल्टी को प्राथमिकता
अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए यह निर्णय लिया गया कि यदि स्कूल में किसी विषय का शिक्षक नहीं है, तो “किसी अन्य नजदीकी स्कूल के शिक्षक को उस विषय को पढ़ाने की जिम्मेदारी दी जा सकती है।” इसके लिए विभाग द्वारा अतिरिक्त मानदेय के विकल्प पर भी विचार किया जाएगा। जनवरी से मई के बीच आयोजित कैबिनेट उप-समिति की बैठकों में यह भी निर्णय लिया गया कि राज्य में विज्ञान संकायों की कमी को देखते हुए स्कूल स्तर पर स्थिति का आकलन करने के बाद स्कूलों में विज्ञान संकाय शुरू करने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।


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