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Ganesh Chaturthi 2024: विदेशों में राजस्थान के इस शहर की मूर्तियों की भारी मांग, जानें खूबियां

ganesh chaturthi 2024

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जयपुर। देशभर के तमाम शहरों में भगवान गणेश की मूर्तियां बनाई जाती हैं, लेकिन दुनियाभर में सबसे ज्यादा मांग अलवर की मिट्टी से बनें भगवान गणेश की मूर्तियों की होती है. अलवर में बनी मूर्तियां पर्यावरण के अनुरूप होती हैं यानी की इकोफ्रेंडली होती हैं. इससे पर्यावरण को कोई खास नुकसान नहीं होता है. इसी वजह से इन मूर्तियों की मांग देश ही नहीं विदेशों में भी होती है. इसके अलावा यहां से मूर्तियां दुनियाभर के कई देशों में भी भेजी जाती हैं

आने वाले 7 सितंबर को मनाई जाएगी गणेश चतुर्थी
और इस ख़ास मौके पर देश ही नहीं विदेशों में कई स्थानों पर अलवर की खास मिट्टी से बनें गणेश प्रतिमाओं की पूजा होती दिखाई देगी। यहां की चिकनी मिट्टी से बनें भगवान गणेश की मूर्ति की खास डिमांड रहती है. दरअसल यह चिकनी मिट्टी अलवर के आस पास के क्षेत्रों में ही मिलती है. जिसे दो तरह की मिट्टी से मिलाकर तैयार किया जाता है. इस मिट्टी की खासियत है की इससे बनीं मूर्ति पानी में घुलते ही पूरी तरह से पानी में घुलकर खत्म हो जाती है. ऐसा देखा जाता है की देश के कई हिस्सों में प्लास्टर ऑफ पेरिस से मूर्तियां तैयार की जाती है. जो की पानी में सही से घुलती नहीं है और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाती है. वहीं अलवर की चिकनी मिट्टी से बनीं मूर्तिया पूरी तरह से इको फ्रेंडली होती हैं. इसीलिए इन मूर्तियों की डिमांड देश ही नहीं विदेशों में भी होती है

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देश ही नहीं विदेशों में भी मूर्तियों की डिमांड
अलवर के मूर्तिकार पुरे साल काम करते हैं. उनकी मूर्तियां देश के तमाम हिस्सों के अलावा दुबई, कनाडा, सऊदी अरब, और भी कई बड़े देशों में सप्लाई की जाती हैं. दरअसल कोरोना के बाद से ही घरों में भगवान गणेश स्थापना का चलन बढ़ गया है और लोगों में गणेश चतुर्थी को लेकर उत्साह भी खासा नजर आने लगा है

चिकनी मिट्टी से तैयार होती है आकर्षक मूर्ति
अलवर की चिकनी मिट्टी से बनी मूर्तिया सुंदर और आकर्षक होती हैं. समय के साथ मूर्तियों की डिजाइन में खासा बदलाव होने लगा है. दरअसल के मूर्ति के तैयार होने में लगभग 10 दिन का समय लगता है, और यह प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है, जिसमें मूर्ति को आकर्षक रूप देना, आकार देना, सूखाना और पेंट करना शामिल होता है

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