धरे रह गए सरकारी दावे: Dausa में Dengue से महिला Doctor की मौत,Daughter हो गई थी सही
डॉ. ज्योति मीणा की एक डेढ़ साल की बेटी है, और उनके पति डॉ. धर्म सिंह मीणा रामगढ़ पचवारा उप जिला अस्पताल में ही ईएनटी स्पेशलिस्ट के रूप में कार्यरत हैं। बताया जा रहा है कि हाल ही में उनकी बेटी भी डेंगू से पीड़ित थी, लेकिन वह स्वस्थ हो गई थी। अफसोस की बात है कि डॉ. ज्योति खुद डेंगू की चपेट से नहीं बच सकीं।

महेश बालाहेड़ी/दौसा। राजस्थान में सरकारी दावे (government claims) धरे रह गए और एक डॉक्टर (Doctor) की डेंगू (dengue) से मौत हो गई। यह मामला दौसा (Dausa) जिले के रामगढ़ पचवारा उप जिला अस्पताल का है, जहां डॉक्टर ज्योति मीणा (Dr. Jyoti Meena) चिकित्सक के रूप में लगभग 1 साल से अपनी सेवाएं दे रही थीं। बीते दिनों डॉक्टर ज्योति की अचानक तबीयत बिगड़ी, जिसके चलते उन्हें तुरंत जयपुर के अपेक्स अस्पताल (Apex Hospital Jaipur) में भर्ती करवाया गया था। जहां इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
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बेटी भी डेंगू से पीड़ित थी
बताया जा रहा है कि हाल ही में उनकी बेटी (Daughter) भी डेंगू से पीड़ित थी, लेकिन वह स्वस्थ हो गई थी। उनके पति डॉ. धर्म सिंह मीणा (Dr. Dharam Singh Meena) भी रामगढ़ पचवारा (Ramgarh Pachwara) उप जिला अस्पताल में ही ईएनटी स्पेशलिस्ट (ENT specialist) के रूप में कार्यरत हैं।
प्लेटलेट्स की संख्या लगातार गिरती गई
लालसोट के सीएमओ डॉक्टर पवन जैन (CMO Dr. Pawan Jain) ने बताया कि तीन दिन पहले डॉक्टर ज्योति मीणा इलाज के लिए अपेक्स हॉस्पिटल जयपुर में भर्ती हुई थीं, जहां उनकी प्लेटलेट्स की संख्या (platelet count) लगातार गिरती गई और यह 12,000 रह गई। इस कारण उन्हें तुरंत आईसीयू में शिफ्ट किया गया। आईसीयू (ICU) में भर्ती होने के बाद भी डॉक्टर ज्योति मीणा की स्थिति में लगातार गिरावट (steady decline) होती रही और फिर उनकी मौत हो गई।
पति भी ईएनटी स्पेशलिस्ट
डॉ. ज्योति मीणा की एक डेढ़ साल की बेटी (one and a half year old daughter) है, और उनके पति डॉ. धर्म सिंह मीणा रामगढ़ पचवारा उप जिला अस्पताल (Sub District Hospital) में ही ईएनटी स्पेशलिस्ट के रूप में कार्यरत हैं। बताया जा रहा है कि हाल ही में उनकी बेटी भी डेंगू से पीड़ित थी, लेकिन वह स्वस्थ हो गई थी। अफसोस की बात है कि डॉ. ज्योति खुद डेंगू की चपेट से नहीं बच सकीं।
चिकित्सा महकमे में शोक की लहर
डॉ. मीणा के निधन से चिकित्सा महकमे (medical department) में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। अब बड़ा सवाल यह है कि जब मौसमी बीमारियों (seasonal diseases) का प्रकोप इतना बढ़ चुका है, तो सरकारी दावे कैसे विफल हो गए, खासकर जब एक डॉक्टर की जान डेंगू के चलते चली गई। इससे चिकित्सा विभाग भी लाचार नजर आया।
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