Hindu Code of Conduct: महाकुंभ में जारी होगी हिंदू आचार संहिता: दिन में विवाह, महिलाएं कर सकेंगी यज्ञ; जानिए क्या बदलेगा

हिंदू आचार संहिता के अनुसार, सूर्य को साक्षी मानकर किया गया दिन का विवाह श्रेष्ठ है, क्योंकि इसमें संपूर्ण जगत के देवताओं व नारायणस्वरूप भगवान सूर्य का सान्निध्य प्राप्त होता है। साथ ही रात्रि जागरण की असुविधा से बचा जा सकता है। उदाहरण स्वरूप भगवान राम का विवाह दिन में ही हुआ था। आर्य परंपरा में भी दिन में ही विवाह होते थे। वैदिक परंपरा के अनुसार, कम से कम खर्च में विवाह संपादिक करना नैतिक मूलक है। इसलिए दिखावे से बचना चाहिए। इसी तरह, सनातन संस्कृति में कन्यादान को श्रेष्ठ दान बताया गया है। कन्यादान करने वाले पिता को सहस्त्र गोदान से भी अधिक फल प्राप्त होता है। जबकि, पिता द्वारा उपहार स्वरूप दी गई सामग्री के अतिरिक्त कन्या के पिता से याचना (दहेज) का कोई विधान नहीं है, इसलिए इससे बचना चाहिए। संहिता के अनुसार, हिंदू धर्म में शक्ति की सर्वोच्चता पहले से है। इसलिए सीताराम-राधेश्याम इत्यादि में पहला प्रयोग शक्ति का किया गया है। वह यज्ञ के साथ सभी धार्मिक स्वतंत्रता में वे पूर्ण रूप से विद्वमान हैं।

जयपुर। हिंदू आचार संहिता सैकड़ों वर्षों से चली आ रही कुरीतियों को दूर करने और मर्यादित आचरण को बढ़ावा देने के लिए तैयार की गई है। इसमें विवाह दहेज कन्या भ्रूण हत्या महिला अधिकार जाति आधारित छुआछूत और घर वापसी जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई है। यह संहिता धर्म ग्रंथों के अध्ययन के बाद तैयार की गई है और इसे कुंभ में जारी किया जाएगा।


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हिंदू आचार संहिता (Hindu Code of Conduct) तैयार

सैकड़ों वर्षों में हिंदू धर्मावलंबियों में आई कुरीतियों को दूर करने और मर्यादित आचरण को बढ़ावा देने के लिए समयानुकूल हिंदू आचार संहिता (Hindu Code of Conduct) तैयार कर ली गई है, जिसे अगले वर्ष कुंभ में जारी किया जाएगा। धर्म आधारित आचार संहिता ने शादियों में बढ़ती फिजूलखर्चियों तथा तड़क-भड़क को गलत बताते हुए दिन में विवाह को सर्वोत्तम और वैदिक परंपरा के अनुरुप बताया है। इसी तरह, कन्यादान को श्रेष्ठ दान बताते हुए दहेज को निषेध किया है। जबकि, बड़ी कुरीतियों में से एक कन्या भ्रुण हत्या को पाप बताते हुए पुरुषों के समान महिलाओं के अधिकार स्थापित किए हैं और कहा है कि महिलाएं भी यज्ञ आदि कर सकती हैं।


15 वर्षों से हो रहा था काम
इस आचार संहिता पर पिछले 15 वर्षों से कार्य हो रहा था। हजारों धर्मगुरुओं व विद्वानों से विमर्श के बाद इसे काशी विद्वत परिषद ने तैयार किया है। इसे कुंभ में विहिप (विश्व हिंदू परिषद) के संत सम्मेलन में देशभर से मौजूद संतों के समक्ष रखा जाएगा। फिर व्यापक विचार-विमर्श के बाद इसे जारी किया जाएगा। विस्तृत हिंदू आचार संहिता करीब 300 पृष्ठों की है तो संक्षेप 21 पृष्ठ व सारांश दो पृष्ठ का है। इसे धर्म ग्रंथों के अध्ययन के बाद तैयार किया गया है।


दिन का विवाह है श्रेष्ठ, जानिए क्यों?
हिंदू आचार संहिता के अनुसार, सूर्य को साक्षी मानकर किया गया दिन का विवाह श्रेष्ठ है, क्योंकि इसमें संपूर्ण जगत के देवताओं व नारायणस्वरूप भगवान सूर्य का सान्निध्य प्राप्त होता है। साथ ही रात्रि जागरण की असुविधा से बचा जा सकता है। उदाहरण स्वरूप भगवान राम का विवाह दिन में ही हुआ था। आर्य परंपरा में भी दिन में ही विवाह होते थे। वैदिक परंपरा के अनुसार, कम से कम खर्च में विवाह संपादिक करना नैतिक मूलक है। इसलिए दिखावे से बचना चाहिए।


कन्यादान है श्रेष्ठ दान, दहेज से बचना चाहिए
इसी तरह, सनातन संस्कृति में कन्यादान को श्रेष्ठ दान बताया गया है। कन्यादान करने वाले पिता को सहस्त्र गोदान से भी अधिक फल प्राप्त होता है। जबकि, पिता द्वारा उपहार स्वरूप दी गई सामग्री के अतिरिक्त कन्या के पिता से याचना (दहेज) का कोई विधान नहीं है, इसलिए इससे बचना चाहिए।


हिंदुओं में माना जाता है शक्ति को सर्वोच्च
संहिता के अनुसार, हिंदू धर्म में शक्ति की सर्वोच्चता पहले से है। इसलिए सीताराम-राधेश्याम इत्यादि में पहला प्रयोग शक्ति का किया गया है। वह यज्ञ के साथ सभी धार्मिक स्वतंत्रता में वे पूर्ण रूप से विद्वमान हैं।


जाति के आधार पर छुआछूत वैदिक परंपरा नहीं
इसी तरह, मंदिरों में अनुसूचित जाति के लोगों के प्रवेश पर मनाही तथा अस्पृश्यता को शास्त्र सम्मत न बताते हुए कहा गया है कि यह परतंत्रता के चलते कुरीति आई है। उस दौर के साहित्य में इसका उल्लेख मिलता है, लेकिन उसके पहले के वैदिक ग्रंथों में इसका जिक्र तक नहीं है। इससे स्पष्ट है कि जाति आधारित छूआछूत वैदिक परंपरा नहीं है।


संहिता से तैयार होगी घर वापसी की राह
यहीं नहीं, आचार संहिता से घर वापसी को लेकर भी स्पष्टता दी है। कोई अगर हिंदू धर्म में वापस आना चाहता है तो वह आसानी से आ सकता है, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार, जन्म से हर व्यक्ति हिंदू है। फिर भी वर्तमान में जाति व गौत्र संबंधित अनिश्चितताओं के लिए तय किया गया है जो मतातंरण के दौरान जो कार्य करता है और कार्य आधारित हिंदू धर्म की जाति व्यवस्था में समाहित हो सकता है। उसी तरह, जो भी ब्राह्मण उनकी शुद्धि कराएगा। वह उसे अपना गौत्र देगा। इसी तरह, वह विवाह संपन्न करा सकेगा। अन्यथा घर वापसी करने वालों के लिए अलग जाति पर विमर्श पर भी जोर दिया गया है।


संतों के बीच व्यापक विमर्श व संशोधन के बाद जारी
अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि समयानुकूल आचार संहिता तैयार होती रही है, लेकिन दो हजार वर्षों में संहिता नहीं तैयार की जा सकी। जबकि, लोगों के भीतर हिंदू धर्माचरण को लेकर तमाम सवाल है, जिसे इस संहिता में उत्तर देने का प्रयास किया गया है। कुंभ में तैयार संहिता पर एक बार फिर संतों के बीच व्यापक विमर्श व संशोधन के बाद जारी किया जाएगा।


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