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Jaipur News: अष्टमी पर माता को जात देने पहुंचे श्रद्धालु, जोबनेर के ज्वाला माता मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़

Jwala Mata temple

Jwala Mata temple

जयपुर। जयपुर से 50 किलोमीटर दूर जोबनेर स्थित प्राचीन ज्वाला माता मंदिर में आज अष्टमी के अवसर पर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है। नवरात्रि के दौरान कई नवविवाहित जोड़े माता को जात देने यहां आते हैं, वहीं छोटे बच्चों के मुंडन संस्कार भी यहीं करवाए जाते हैं।


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श्रद्धा और भक्ति का अनुपम संगम

चैत्र नवरात्रि की अष्टमी पर के पावन अवसर पर जयपुर के जोबनेर कस्बे में स्थित प्राचीन ज्वाला माता मंदिर में श्रद्धा और भक्ति का अनुपम संगम देखने को मिल रहा है। आज अष्टमी के दिन मंदिर परिसर में विशेष रूप से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जब देवी के रुद्र और सात्विक दोनों स्वरूपों की भव्य पूजा-अर्चना की गई। जयपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर को माता सती के घुटने के शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव के तांडव के समय माता सती का घुटना यहीं गिरा था और इसी स्थान पर देवी ज्वाला के स्वरूप में विराजमान हैं। इस मंदिर में किसी मूर्ति की स्थापना नहीं की गई है, बल्कि एक गुफा में माता के घुटने के आकार की प्राकृतिक आकृति स्वयं प्रकट हुई मानी जाती है और माता के इसी स्वरूप की प्रतिदिन सवा मीटर की चुनरी और पांच मीटर के लहंगे से भव्य शृंगार कर पूजा होती है। अष्टमी पर देवी को विशेष सोने-चांदी के आभूषण पहनाए गए और चांदी के बर्तनों से महाआरती की गई।


मुंडन संस्कार के लिए पवित्र स्थल
मंदिर के गर्भगृह में सतत जल रही अखंड ज्योत स्थापना काल से अब तक कभी नहीं बुझी है। अष्टमी के अवसर पर 200 साल पुरानी नौबत (विशाल नगाड़ा) की गूंज ने वातावरण को और भी आध्यात्मिक बना दिया। नवरात्रि की अष्टमी पर कई नवविवाहित जोड़े माता को जात देने पहुंचे, वहीं सैकड़ों परिवारों ने अपने छोटे बच्चों के मुंडन संस्कार भी यहीं करवाए। माता की खंगारोत राजपूतों की कुलदेवी के रूप में विशेष पूजा होती है लेकिन आम श्रद्धालुओं की भी यहां भारी आस्था है।


विशेष भोग और पूजा विधियां
अष्टमी पर देवी को खीर, पूरी, पुए, नारियल आदि का सात्विक भोग चढ़ाया गया। वहीं कुछ भक्तों द्वारा रुद्र स्वरूप की तांत्रिक विधि से भी पूजा की गई, जिसमें परंपरानुसार मांस और मदिरा का भोग अर्पित किया गया। जोबनेर का यह मंदिर उन श्रद्धालुओं के लिए विशेष केंद्र है, जो हिमाचल स्थित ज्वाला देवी शक्तिपीठ नहीं जा पाते। अष्टमी जैसे विशेष अवसरों पर यहां का हर कोना जय माता दी के जयकारों से गूंज उठता है।


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