Jaipur News: जेके लोन में पार्किंग बनी विवाद की जड़, पैरामेडिकल स्टाफ ने काम ठप किया, मरीजों के हाल बेहाल
पैरामेडिकल स्टाफ के हड़ताल पर जाने के बाद अस्पताल की जिम्मेदारी रेजीडेंट डॉक्टर्स और सीनियर डॉक्टर्स ने संभाली। ओपीडी में मरीजों की जांच से लेकर वार्डों में ब्लड सैंपल लेने तक का काम खुद डॉक्टर्स ने किया, जिससे किसी तरह से कामकाज चलाया जा सका। स्टाफ का यह भी आरोप है कि पार्किंग ठेकेदार मनमानी करता है। महिला स्टाफ अगर किसी सुरक्षित जगह वाहन पार्क करती है तो गार्ड के जरिए उन्हें वहां से हटवा दिया जाता है, इससे आए दिन तनाव की स्थिति बनती रहती है। हैरानी की बात यह रही कि आज सुबह 10 बजे तक भी अस्पताल अधीक्षक डॉ. कैलाश मीणा मौके पर नहीं पहुंचे। इससे स्टाफ का गुस्सा और भड़क गया।

जयपुर। राजधानी के सबसे व्यस्त अस्पतालों में शुमार जे.के. लोन हॉस्पिटल में आज सुबह पार्किंग को लेकर ऐसा बवाल मचा कि इलाज की उम्मीद में आए मरीज और उनके परिजन घंटों तक परेशान होते रहे। डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ के बीच हुए विवाद ने ऐसा तूल पकड़ा कि नाराज स्टाफ ने ओपीडी, लैब और कई वार्डों में कामकाज पूरी तरह ठप कर दिया। सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं ही चालू रहीं। इस सबके बीच मरीजों की तकलीफें बढ़ती रहीं, लेकिन अस्पताल प्रशासन मौके पर नदारद रहा।
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कवर्ड पार्किंग डॉक्टर्स के लिए आरक्षित
विवाद की वजह बनी हॉस्पिटल परिसर की कवर्ड पार्किंग। पैरामेडिकल स्टाफ का आरोप है कि कवर्ड पार्किंग पूरी तरह से डॉक्टर्स के लिए आरक्षित कर दी गई है, जबकि स्टाफ को तपती धूप में अपने वाहन खुले में खड़े करने पड़ते हैं। शनिवार को उस एकमात्र कवर्ड स्पेस को भी डॉक्टर की गाड़ी के लिए आरक्षित कर दिया गया, जो अब तक स्टाफ के दुपहिया वाहनों के लिए छोड़ा गया था। इससे नाराज होकर लैब टैक्नीशियन, रेडियोग्राफर, नर्सिंग स्टाफ समेत अन्य कर्मचारियों ने कामकाज छोड़कर प्रदर्शन शुरू कर दिया।
कोई भी सुनवाई नहीं होती
लैब टेक्नीशियन संघ के प्रदेशाध्यक्ष जितेन्द्र सिंह ने बताया कि स्टाफ लंबे समय से इस समस्या की अनदेखी का सामना कर रहा है। गर्मी में खुले में गाड़ियां खड़ी करनी पड़ती हैं, कोई भी सुनवाई नहीं होती। अब जब आखिरी कवर्ड स्पेस भी छीन ली गई, तो हमने विरोध का रास्ता चुना। सुबह से ही ब्लड सैम्प्लिंग, पैथोलॉजी जांच और अन्य जरूरी सेवाएं ठप हो गईं। वार्डों में नर्सिंग स्टाफ ने भी काम रोक दिया, जिससे भर्ती मरीजों को दवाइयां देने और देखरेख में परेशानी हुई। कई मरीज बिना जांच के लौट गए। अस्पताल आए रामगढ़ के महेश शर्मा ने कहा कि बच्चे को तेज बुखार है, खून की जांच कराने आए थे लेकिन स्टाफ ने कहा काम बंद है। अब कहां जाएं?
पार्किंग ठेकेदार की मनमानी
पैरामेडिकल स्टाफ के हड़ताल पर जाने के बाद अस्पताल की जिम्मेदारी रेजीडेंट डॉक्टर्स और सीनियर डॉक्टर्स ने संभाली। ओपीडी में मरीजों की जांच से लेकर वार्डों में ब्लड सैंपल लेने तक का काम खुद डॉक्टर्स ने किया, जिससे किसी तरह से कामकाज चलाया जा सका। स्टाफ का यह भी आरोप है कि पार्किंग ठेकेदार मनमानी करता है। महिला स्टाफ अगर किसी सुरक्षित जगह वाहन पार्क करती है तो गार्ड के जरिए उन्हें वहां से हटवा दिया जाता है, इससे आए दिन तनाव की स्थिति बनती रहती है। हैरानी की बात यह रही कि आज सुबह 10 बजे तक भी अस्पताल अधीक्षक डॉ. कैलाश मीणा मौके पर नहीं पहुंचे। इससे स्टाफ का गुस्सा और भड़क गया।
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Mahendra Mangal