’40 रुपए का तो आधे दिन में लोग गुटखा खा जाते हैं, PM-CM के पास पैसों का पेड़ नहीं’ : मदन दिलावर
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि परीक्षा शुल्कों के तौर पर पैसा लेना बुरा नहीं है, क्योंकि जो पैसा लेंगे वो भी जनता का ही होगा. ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री के यहां पेड़ लगा हुआ हो। जनता जो अपनी कमाई का पैसा टैक्स के माध्यम से या किसी और मद में देती है, उसी को सरकार जनता के विकास में खर्च करती है। ये छोटा अमाउंट है और 40 रुपए का तो लोग आधे दिन में गुटखा खा जाते हैं।
धर्मेन्द्र सिंहल/जयपुर। राजस्थान में हो रही समान अर्द्धवार्षिक परीक्षा (same half yearly examination) के शुल्क को लेकर निजी स्कूल संचालक और शिक्षा विभाग आमने-सामने हैं। वहीं, अब शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बढ़े हुए परीक्षा शुल्क को लेकर कहा कि पेपर का पैसा लेना कोई बुरा नहीं, क्योंकि पैसा जनता से ही आना है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के यहां पैसे का पेड़ नहीं लगा हुआ। 40 रुपए का तो आधे दिन में लोग गुटखा खा जाते हैं, जिसको ये पैसा ज्यादा लगता है, वो अपना गुटखा छोड़ देगा तो इसी में ही काम बन जाएगा।
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शुल्क बढ़ोतरी का विरोध
करीब 75 साल से सभी जिलों में अर्द्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षाएं जिला समान प्रश्न पत्र योजना (Half yearly and annual examinations district common question paper scheme) के तहत होती आ रही हैं। अब 50 जिलों के समान प्रश्न योजना का केंद्रीकरण करके निदेशालय माध्यमिक शिक्षा ने मुद्रण, वितरण सब अपने हाथों में ले लिया है। निजी स्कूल संचालक और शिक्षक संगठनों ने शुल्क बढ़ोतरी का विरोध किया है।
कमजोर वर्ग के अभिभावकों की जेब पर भार
समान परीक्षा के नाम पर माध्यमिक शिक्षा निदेशालय (Directorate of Secondary Education) कक्षा 10वीं, 12वीं के करीब 20 लाख बच्चों से 20 रुपए प्रति छात्र और 9वीं और 11वीं के 20 लाख छात्रों से 40 रुपए प्रति छात्र वसूले जाएंगे। करीब 12 करोड़ रुपए की वसूली करेगा, जबकि अब तक जिला समान प्रश्न पत्र योजना के तहत अर्द्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षाओं का मिलाकर 10 रुपए शुल्क लिया जाता रहा है। केन्द्रीकरण के नाम पर निदेशालय ने परीक्षा फीस में चार गुना वृद्धि की है, जो गरीब और आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग के अभिभावकों (parents from economically weaker sections) की जेब पर भार है।
सरकार पालना कराना जानती है
इस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोई शुल्क नहीं बढ़ाया है। इतना ही बढ़ता है, जैसे हर साल कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ता है। कोशिश करेंगे कि निजी स्कूल फीस की पालना करें, पालन नहीं करेंगे तो बच्चों की ठीक तरह से पढ़ाई नहीं हो पाती है। सभी स्कूल संचालकों से बार-बार संपर्क भी करते हैं और काफी विद्यालय पालना भी कर रहे हैं। कुछ को डर नहीं है, उन्हें लगता है कि उनपर कौन कार्रवाई करेगा तो सरकार पालना कराना जानती है।
40 रुपए का तो लोग गुटखा खा जाते हैं
उन्होंने कहा कि परीक्षा शुल्कों के तौर पर पैसा लेना बुरा नहीं है, क्योंकि जो पैसा लेंगे वो भी जनता का ही होगा. ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री के यहां पेड़ लगा हुआ हो। जनता जो अपनी कमाई का पैसा टैक्स के माध्यम से या किसी और मद में देती है, उसी को सरकार जनता के विकास में खर्च करती है। ये छोटा अमाउंट है और 40 रुपए का तो लोग आधे दिन में गुटखा खा जाते हैं।
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