Rajasthan Government :अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर 31 मई को राजस्थान की महिलाओं को मिलेगी ढेर सारी सौगातें
भारत के इतिहास में मालवा की रानी अहिल्या बाई होलकर ऐसी वीरांगना थी, जिन्होंने अपने अद्वितीय शासन और दूरदर्शिता से इतिहास के पन्नों और कहानियों में अमिट छाप छोड़ी। महारानी अहिल्याबाई होलकर का जन्म 31 मई 1725 में महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित चौंडी गांव में हुआ था। बालिका अहिल्याबाई को जब मालवा के शासक मल्हार राव होलकर ने देखा तो उन्हें अपने पुत्र खांडेराव होलकर की बहू के रूप में चुन लिया। अहिल्याबाई ने 1767 से 1795 तक मालवा राज्य की बागडोर संभाली। अपने शासनकाल में अपनी बुद्धिमत्ता, करुणा और नेतृत्व क्षमता से उन्होंने नारी सशक्तिकरण का जीवंत उदाहरण पेश किया। 13 अगस्त 1795 को अहिल्याबाई का निधन हुआ था।

जयपुर। राजस्थान सरकार अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती के अवसर पर महिला सशक्तीकरण को समर्पित कार्यक्रम आयोजित करेगी। 31 मई को आरआइसी ऑडिटोरियम में होने वाले कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा शामिल होंगे।
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दिशा निर्देश जारी, मिलेंगे तोहफे ही तोहफे
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बुधवार को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित बैठक में इस संबंध में दिशा-निर्देश दिए। कार्यक्रम में 150 कालिका यूनिट को हरी झंडी दिखाई जाएगी। इसके बाद लाडो प्रोत्साहन योजना के तहत 32 हजार 755 बालिकाओं को राशि हस्तान्तरित की जाएगी। वहीं, 16 हजार 944 बालिकाओं को एसटी प्री मैट्रिक, 152 बालिकाओं को सफाई कामगार प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति तथा बालिका दूरस्थ शिक्षा योजना के तहत 30 हजार छात्राओं को फीस पुनर्भरण राशि का हस्तांतरण किया जाएगा। 6 हजार 489 बालिकाओं को गार्गी पुरस्कार एवं कालीबाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना के तहत 2 हजार छात्राओं को स्कूटी वितरित की जाएगी।
कौन थी अहिल्या बाई होलकर
भारत के इतिहास में मालवा की रानी अहिल्या बाई होलकर ऐसी वीरांगना थी, जिन्होंने अपने अद्वितीय शासन और दूरदर्शिता से इतिहास के पन्नों और कहानियों में अमिट छाप छोड़ी। महारानी अहिल्याबाई होलकर का जन्म 31 मई 1725 में महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित चौंडी गांव में हुआ था। बालिका अहिल्याबाई को जब मालवा के शासक मल्हार राव होलकर ने देखा तो उन्हें अपने पुत्र खांडेराव होलकर की बहू के रूप में चुन लिया। अहिल्याबाई ने 1767 से 1795 तक मालवा राज्य की बागडोर संभाली। अपने शासनकाल में अपनी बुद्धिमत्ता, करुणा और नेतृत्व क्षमता से उन्होंने नारी सशक्तिकरण का जीवंत उदाहरण पेश किया। 13 अगस्त 1795 को अहिल्याबाई का निधन हुआ था।
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