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Rajasthan New Building Bylaws : नए बिल्डिंग बायलॉज जारी, मल्टीस्टोरी की परिभाषा बदली

New building bylaws

New building bylaws

जयपुर। राजस्थान में लम्बी जद्दोजहद के बाद आखिर भजनलाल सरकार ने सोमवार को नए बिल्डिंग बायलॉज जारी कर दिए। इसमें जनहित से जुड़े कई प्रावधान किए गए हैं। बिल्डरों पर शिकंजा कसते हुए सेटबैक एरिया में रियायत देते हुए कुछ अन्य राहत दी है। सबसे खास यह है कि आवासीय योजनाओं में हाईराइज बिल्डिंग की परिभाषा बदल दी गई है। अब 15 मीटर से ऊंची इमारत (5 मंजिल) को हाईराइज में माना जाएगा, जो अभी 18 मीटर व उससे ज्यादा थी।


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बायलॉज को बनाया गया नेशनल बिल्डिंग कोड के अनुरूप

इससे आवासीय योजनाओं, कॉलोनियों में छोटे भूखंड पर न तो ज्यादा ऊंची इमारत बन सकेगी और न ही बिल्डर ज्यादा फ्लैट बना पाएंगे। 500 वर्गमीटर से छोटे भूखंडों पर अब बहुनिवास इकाई (फ्लैट का ही रूप) नहीं बनेंगे और 500 से ज्यादा व 750 वर्गमीटर क्षेत्रफल के भूखंडों पर भी केवल आठ इकाई ही बना सकेंगे। कॉलोनियों में स्थानीय लोगों की सुविधाएं बंटने से रोकने के लिए नए बिल्डिंग बायलॉज में ऐसे ही बड़े प्रावधान किए हैं। नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने जेडीए में आयोजित कार्यक्रम में बायलॉज जारी किए। बायलॉज को नेशनल बिल्डिंग कोड के अनुरूप बनाया गया है।


इको फ्रेंडली रियल एस्टेट सेक्टर
750 वर्गमीटर से बड़े भूखंडों (व्यावसायिक श्रेणी के अलावा) में हरित क्षेत्र रखना जरूरी किया गया। इन भूखंडों पर 10 से 20 प्रतिशत हरित क्षेत्र रखना जरूरी होगा। 10 हजार वर्गमीटर से बड़े भूखंडों पर ग्रीन बिल्डिंग निर्माण अनिवार्य किया गया है।इन्हें प्रोत्साहन के रूप में नि:शुल्क अतिरिक्त बीएआर देंगे। 1 हजार से बड़े भूखंड तो ही बनेगी मल्टीस्टोरी : छोटे भूखंडों पर मल्टीस्टोरी नहीं बन पाएगी। इनके लिए न्यूनतम भूखंड क्षेत्रफल 750 वर्गमीटर की बजाय एक हजार वर्गमीटर होगा। कामर्शियल कॉम्पलेक्स भी 18 मीटर की बजाय 24 मीटर चौड़ी सड़क होने पर ही बना सकेंगे। दावा…जनता की परेशानी खत्म करने की तरफ कदम : जो कॉलोनियां अनुमोदित की गई हैं, उनमें भूखण्ड और संभावित लोगों की संख्या के आधार पर ही पेयजल, सीवर, ड्रेनेज, बिजली, सड़क सहित अन्य सुविधाएं हैं। इन्हीं सीमित संसाधनों के बीच ज्यादा ऊंची इमारतों के निर्माण से लोगों की सुविधाएं बंटती रही है।


बिल्डरों को रियायत…

मल्टीस्टोरी इमारत में अधिकतम सेटबैक अब 16 मीटर ही छोड़ना होगा। भले ही इमारत कितनी ही ऊंची क्यों न हो। अभी इमारत की ऊंचाई के अनुपात में एक चौथाई सेटबैक छोड़ना पड़ता है। इससे ज्यादा ऊंची इमारत बनाने पर बिल्डरों को ज्यादा जगह छोड़नी पड़ रही है।


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