Rajasthan News: 7384 सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल ही नहीं, धरने पर बैठे वाइस प्रिंसिपल

प्रदेश में 41 प्रतिशत स्कूलों में प्रिंसिपल के पदों को भरने के लिए डीपीसी की कवायद नहीं की जा रही है। पिछले दो वर्षों से विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) न होने के कारण रिक्त पदों का ग्राफ काफी बढ़ रहा है। प्रधानाचार्यों के पदों को भरने के लिए शत-प्रतिशत पदोन्नति का प्रावधान रखा गया है। फिर भी पदों को भरने का काम अधर में लटकता नजर आ रहा है। संघर्ष समिति के पदाधिकारी ने कहा कि 24 मई 2024 को हाईकोर्ट के माध्यम से वरिष्ठता विवाद पर जो स्टे हुआ है। उसमें 5712 उप प्रधानाचार्यों को वरिष्ठ मानते हुए काउंसलिंग के माध्यम से विभाग को पदस्थापन व आगामी पदोन्नति की स्वतंत्रता दी गई है, लेकिन शिक्षा विभाग योग्य प्रधानाचार्य होने के बावजूद पदोन्नति में देरी कर रहा है।

गिर्राज भढ़ानी/बीकानेर। राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए हर पल नए प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन लगता है कि इन प्रयासों को फलीभूत होने में अभी समय लगेगा। क्योंकि जब स्कूलों में प्रिंसिपल ही नहीं होंगे तो वहां की पढ़ाई और दूसरी जरूरतों पर कौन ध्यान देगा।


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41 प्रतिशत स्कूल्स में प्रिंसिपल नहीं

इसी को लेकर बीकानेर में शिक्षा निदेशालय (Directorate of Education in Bikaner) के सामने प्रदेशभर के उप प्राचार्य (vice principal) 7384 से ज्यादा प्रिंसिपल (principal) के पदों पर प्रमोशन को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं । इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी हैं। प्रदेश के स्कूलों में हैं प्रिंसिपल के 17 हज़ार 940 पद हैं। इनमें से 7 हज़ार 384 स्कूल्स में प्रिंसिपल ही नहीं हैं। प्रदेश के 41 प्रतिशत स्कूल्स में प्रिंसिपल नहीं हैं।


स्कूलों में 7000 से ज्यादा प्रिंसिपल के पद खाली
धरने में शामिल होने के लिए प्रदेशभर से आए वाइस प्रिंसिपल प्रधानाचार्य डीपीसी-2023-24 संघर्ष समिति (Principal DPC-2023-24 Sangharsh Committee) के बैनर तले शिक्षा विभाग के सामने धरने पर बैठे हैं। धरनास्थल पर बैठी एक महिला उप प्रधानाचार्य ने बताया कि शिक्षा विभाग (education department) में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए हर दिन नए नवाचार किए जा रहे हैं। लेकिन कई सरकारी स्कूलों (government schools) में 7000 से ज्यादा प्रधानाचार्य के पद खाली पड़े हैं। स्कूलों में लंबे समय से प्रधानाचार्य के पद खाली होने से बिना प्रधानाचार्य के स्कूल कैसे चलेंगे। यदि जल्दी रास्ता नहीं निकाला गया तो यह धरना अनिश्चितकालीन(indefinite strike) चलेगा।


2 सालों से नहीं हो रहा प्रमोशन
धरने पर बैठे उप प्रिंसिपल ने कहा कि प्रदेश में 41 प्रतिशत स्कूलों में प्रिंसिपल के पदों को भरने के लिए डीपीसी की कवायद नहीं की जा रही है। पिछले दो वर्षों से विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) (Departmental Promotion Committee (DPC) न होने के कारण रिक्त पदों का ग्राफ काफी बढ़ रहा है। प्रधानाचार्यों के पदों को भरने के लिए शत-प्रतिशत पदोन्नति का प्रावधान (Provision for 100% promotion) रखा गया है। फिर भी पदों को भरने का काम अधर में लटकता नजर आ रहा है। संघर्ष समिति के पदाधिकारी ने कहा कि 24 मई 2024 को हाईकोर्ट (High Court) के माध्यम से वरिष्ठता विवाद पर जो स्टे हुआ है। उसमें 5712 उप प्रधानाचार्यों को वरिष्ठ मानते हुए काउंसलिंग के माध्यम से विभाग को पदस्थापन व आगामी पदोन्नति की स्वतंत्रता (freedom of upcoming promotion) दी गई है, लेकिन शिक्षा विभाग योग्य प्रधानाचार्य होने के बावजूद पदोन्नति में देरी कर रहा है।


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