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Rajasthan News : फिर चढ़ाया गलत ग्रुप का खून, जेके लोन में लापरवाही, दोबारा पर्ची पहुंचने पर हुआ खुलासा

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जयपुर। राजधानी जयपुर में बच्चों के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में एक 10 वर्षीय बच्चे को गलत ग्रुप का खून चढ़ा दिया (received blood transfusion from the wrong group) गया, जिससे बच्चे की तबियत बिगड़ गई। हैरानी की बात है कि बच्चे को गलत ग्रुप का खून चढ़ाए जाने की जानकारी अस्पताल प्रशासन को दो दिन बाद मिली।


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O+ की जगह AB+ ब्लड चढ़ा दिया

प्रदेश की राजधानी में चिकित्सा व्यवस्था की घोर लापरवाही ने एक बच्चे की जान को खतरे में डाल दिया है। जयपुर के जेके लोन हॉस्पिटल (JK Lone Hospital, Jaipur) में 10 साल के एक बच्चे को O+ की जगह AB+ ब्लड चढ़ा दिया गया। किडनी की बीमारी से पीड़ित बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, इसलिए उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उधर जिम्मेदार दावा कर रहे हैं कि बच्चे की हालत स्थिर है। अस्पताल प्रशासन ने इस लापरवाही के लिए जांच कमेटी बनाकर कर्तव्य की इतिश्री कर ली है। गौरतलब है कि 10 महीने पहले भी सवाई मानसिंह अस्पताल (Sawai Mansingh Hospital) में एक युवक को गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ा दिया गया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी।जानकारी के मुताबिक भरतपुर के कामां के रहने वाले मुस्तफा को किडनी की बीमारी के चलते 4 दिसंबर को जेके लोन में भर्ती करवाया गया था। यहां उसकी स्थिति को देखते हुए उसे क्रिटिकल केयर यूनिट में एडमिट किया गया था। हॉस्पिटल अधीक्षक कैलाश मीणा की यूनिट में ही वह एडमिट है। बच्चे का ब्लड ग्रुप O+ है।


5 दिसंबर को चढ़ाया था गलत ग्रुप का ब्लड
मुस्तफा को 5 दिसंबर को ब्लड चढ़ाया जाना था। इस दौरान ब्लड बैंक की ओर से O+ की जगह AB+ ब्लड दे दिया गया और इससे भी बड़ी बात कि वहां के स्टाफ ने यही ब्लड चढ़ा भी दिया। दो दिन बाद 7 दिसंबर को दोबारा ब्लड चढ़ाया। इस दिन दोबारा ब्लड डिमांड के लिए O+ की पर्ची ब्लड बैंक पहुंची तो मामले का खुलासा हुआ।


हॉस्पिटल अधीक्षक ने कहा- रिपोर्ट नॉर्मल
इधर मामले में हॉस्पिटल अधीक्षक कैलाश मीणा का कहना है कि इस घटना के बाद बच्चे की कई जांचें करवाई गई हैं, सारी रिपोर्ट नॉर्मल हैं। गलत ब्लड चढ़ाने का बच्चे पर अभी तक कोई रिएक्शन नहीं दिखा है। उसका क्रिएटिनिन लेवल भी 8 mg के करीब था, जो बच्चों में 1 mg के आसपास होना चाहिए। लगातार डायलिसिस करने से क्रिएटिनिन लेवल भी गिरकर 3 पर आ चुका है। इस मामले की जांच के लिए सीनियर प्रोफेसर डॉ. कपिल गर्ग की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है, जिसमें सीनियर प्रोफेसर डॉ. आर.एन. सेहरा, डॉ. के.के. यादव और ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ. शांतिप्रिया भारद्वाज शामिल हैं। कमेटी से चार दिन में रिपोर्ट मांगी गई है। गौरतलब है कि इससे पहले भी प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल (SMS) में डॉक्टर-नर्सिंग स्टाफ की लापरवाही ने एक युवक की जान ले ली थी। एक्सीडेंट में घायल बांदीकुई (दौसा) निवासी सचिन को ट्रॉमा सेंटर में भर्ती करवाया गया था, जहां उसे O+ की जगह AB+ ब्लड और प्लाज्मा चढ़ा दिया गया था और ऐसा एक नहीं चार बार हुआ। नतीजतन 10 दिन तक ICU में जिंदगी की जंग लड़ते-लड़ते सचिन ने अस्पताल में दम तोड़ दिया था।


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