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Rajasthan News: चंद्रशेखर के बयान से बढ़ी वरिष्ठों की धड़कनें, राजस्थान भाजपा में अटकलों का दौर तेज

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जयपुर। भाजपा के पूर्व संगठन मंत्री चंद्रशेखर के हालिया राजस्थान दौरे और उनके बयानों ने पार्टी के अंदर हलचल तेज कर दी है। 27 अप्रैल को जयपुर में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के बेटे के विवाह समारोह में चंद्रशेखर की मौजूदगी सबसे अधिक चर्चा का विषय रही, जहां कई केंद्रीय मंत्री, हरियाणा के मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे।


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800 से अधिक मंडलों से सीधे संपर्क में

पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं में चंद्रशेखर से मुलाकात करने की होड़ दिखाई दी। शादी के अगले ही दिन 28 अप्रैल को भाजपा प्रदेश कार्यालय में उनका भव्य स्वागत भी किया गया। इस मौके पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़, वरिष्ठ नेता नारायण पंचारिया सहित कई दिग्गज मंच पर मौजूद रहे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चंद्रशेखर ने कहा कि स्वागत करने के और भी मौके आएंगे। उनके इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में अटकलों का दौर तेज कर दिया है। उन्होंने आगे कहा- आज सतीश पूनिया के घर शादी में आया हूं, कल किसी और कार्यक्रम में बुलाया जाऊंगा तो जरूर आऊंगा। आपसे मिलकर हमेशा अच्छा लगता है। चंद्रशेखर ने इस बात पर भी जोर दिया कि वे राजस्थान के 800 से अधिक मंडलों से सीधे संपर्क में रहे हैं और कार्यकर्ताओं के सहयोग व प्रेम ने ही भाजपा को बहुमत तक पहुंचाया है।


चंद्रशेखर की राजस्थान में सक्रिय भूमिका जल्द
प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने चंद्रशेखर की तारीफ करते हुए कहा कि अगर कोई एक आम कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री बना सकता है, तो वो सिर्फ चंद्रशेखर जी हैं। उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व से आग्रह किया कि तेलंगाना के बाद चंद्रशेखर को राजस्थान में भेजा जाए ताकि प्रदेश संगठन को उनका मार्गदर्शन मिल सके। इन बयानों के बाद राजनीतिक विश्लेषक यह कयास लगाने लगे हैं कि चंद्रशेखर की राजस्थान में सक्रिय भूमिका जल्द शुरू हो सकती है। सूत्रों की मानें तो राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद पार्टी नेतृत्व उन्हें तेलंगाना के साथ-साथ राजस्थान की भी जिम्मेदारी सौंप सकता है।


वरिष्ठ नेताओं की चुनौतियां बढ़ सकती हैं
यदि ऐसा होता है तो यह निश्चित है कि प्रदेश भाजपा में कुछ वरिष्ठ नेताओं की चुनौतियां बढ़ सकती हैं। चंद्रशेखर लंबे समय से संगठन और कार्यकर्ता आधारित राजनीति के पक्षधर रहे हैं और उनका मानना है कि पार्टी से बड़ा कोई नहीं। अब देखना यह होगा कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व आने वाले दिनों में उन्हें क्या नई भूमिका देता है और यह बदलाव राजस्थान की राजनीति को किस दिशा में ले जाता है।


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