Rajasthan News: महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह का खून से राजतिलक; 21 तोपों की दी सलामी
पूर्व राजपरिवार के सदस्य और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद अब उनके बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ के उत्तराधिकारी के तौर पर पगड़ी दस्तूर किया गया। विश्वराज वर्तमान में नाथद्वारा से विधायक भी हैं। फतेह प्रकाश महल में राजतिलक कार्यक्रम सुबह 10 बजे शुरू हुआ, जो करीब 3 घंटे तक चला। विश्वराज सिंह मेवाड़ के स्वागत में पूरे रास्ते में फूल बिछाए गए। विभिन्न राजघरानों से आए लोगों ने उन्हें शुभकामनाएं दी। गौरतब है कि चित्तौडगढ़ दुर्ग पर आखिरी बार 1531 में महाराणा सांगा के बेटे तत्कालीन महाराणा विक्रमादित्य का तिलक हुआ था। उनका तिलक चित्तौडगढ़ में आखिरी तिलक माना जाता है। सन 1559 में उदयपुर की स्थापना और 1668 में मेवाड़ की राजधानी बनाने के बाद रस्म उदयपुर में होने लगी। इसके बाद पहला मौका है, जिसमें कार्यक्रम चित्तौड़गढ़ में हुआ।
चित्तौड़गढ़। महाराणा प्रताप के वंशजों (descendants of maharana pratap) में टकराव के बीच उदयपुर के पूर्व राज परिवार के सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ का सोमवार को चित्तौड़गढ़ में पगड़ी दस्तूर हुआ। चित्तौड़ दुर्ग के फतेह प्रकाश महल में सुबह 10 बजे से विश्वराज सिंह मेवाड़ को गद्दी पर बैठाने की परंपरा निभाई गई। इस मौके पर विश्वराज का खून से राजतिलक किया गया। साथ ही उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई। विश्वराज एकलिंग नाथजी के 77वें दीवान होंगे।
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21 तोपों की सलामी दी गई
राजतिलक से पहले विश्वराज सिंह (Vishwaraj Singh Mewar) ने सुबह से चल रहे हवन में आहुति दी। बाद में कुम्भा महल में भगवान गणपति की पूजा की और यहां गद्दी पर बैठने के बाद उनका रक्त से तिलक किया गया। राजतिलक के साथ ही पूरा परिसर जयकारों से गूंज उठा और तोप चलाकर सलामी दी गई। जानकारी के अनुसार उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य महेंद्रसिंह मेवाड़ के निधन के बाद आज उनके पुत्र विश्वराज सिंह मेवाड़ गद्दी पर बिराजित हुए। दस्तूर कार्यक्रम चित्तौड़ दुर्ग के फतह प्रकाश महल (Fatah Prakash Mahal of Chittor Fort) में हुआ। इसमें देश भर के पूर्व राजघरानों के सदस्य, रिश्तेदार और गणमान्य नागरिक शामिल हुए।
राजतिलक की परंपरा निभाई
राजगद्दी की पूजा के बाद सलूंबर रावत देवव्रत सिंह (Salumber Rawat Devvrat Singh) ने हाथ पकड़कर विश्वराज सिंह मेवाड़ को राजगद्दी पर बिठाया। साथ ही राजतिलक की परंपरा निभाई। यहां म्यान से तलवार निकाली और अंगूठे पर चीरा लगाकर रक्त से विश्वराज सिंह मेवाड़ के ललाट पर तिलक किया। इस दौरान पंडितों की ओर से वैदिक मंत्रों का उच्चारण होता रहा। राजतिलक के बाद विश्वराज सिंह मेवाड़ ने सबसे अभिवादन किया।
स्वागत में पूरे रास्ते में फूल बिछाए
बता दें कि पूर्व राजपरिवार के सदस्य और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ (Former MP Mahendra Singh Mewar) के निधन के बाद अब उनके बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ के उत्तराधिकारी के तौर पर पगड़ी दस्तूर किया गया। विश्वराज वर्तमान में नाथद्वारा से विधायक भी हैं। फतेह प्रकाश महल में राजतिलक कार्यक्रम सुबह 10 बजे शुरू हुआ, जो करीब 3 घंटे तक चला। विश्वराज सिंह मेवाड़ के स्वागत में पूरे रास्ते में फूल बिछाए गए। विभिन्न राजघरानों से आए लोगों ने उन्हें शुभकामनाएं दी।
1531 के बाद पहली बार चित्तौडगढ़ दुर्ग में तिलक कार्यक्रम
गौरतब है कि चित्तौडगढ़ दुर्ग पर आखिरी बार 1531 में महाराणा सांगा के बेटे तत्कालीन महाराणा विक्रमादित्य(The then Maharana Vikramaditya, son of Maharana Sanga) का तिलक हुआ था। उनका तिलक चित्तौडगढ़ में आखिरी तिलक माना जाता है। सन 1559 में उदयपुर की स्थापना और 1668 में मेवाड़ की राजधानी बनाने के बाद रस्म उदयपुर में होने लगी। इसके बाद पहला मौका है, जिसमें कार्यक्रम चित्तौड़गढ़ में हुआ।
10 नवम्बर को हुआ था महेंद्रसिंह का निधन
गौरतलब है कि पूर्व राजपरिवार के सदस्य महेंद्रसिंह मेवाड़ का निधन 10 नवंबर को हुआ था। वे 40 साल तक पूर्व राजपरिवार के वरिष्ठ सदस्य की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। पूर्व महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ के निधन के बाद ज्येष्ठ पुत्र के रूप में महेंद्र सिंह का 19 नवम्बर 1984 को सिटी पैलेस उदयपुर में तिलक कार्यक्रम हुआ था।
महाराणा प्रताप के वंशजों में बीच टकराव क्यों?
पगड़ी दस्तूर के बाद विश्वराज सिंह मेवाड़ उदयपुर लौटकर सिटी पैलेस स्थित धूणी स्थल और इसके बाद कैलाशपुरी स्थित एकलिंगनाथ मंदिर में दर्शन के लिए जाना प्रस्तावित है। जबकि दूसरे पक्ष की ओर से इस पर सहमति जाहिर नहीं की गई है। वर्तमान में सिटी पैलेस महेंद्र सिंह मेवाड़ के छोटे भाई अरविंद सिंह मेवाड़ के पास है। जिला कलेक्टर ने भी दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने की कोशिश की। लेकिन बात नहीं बनी। दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात पर अड़े रहे। इससे मामला और उलझ गया है। पगड़ी दस्तूर के बाद सिटी पैलेस में प्रवेश को लेकर जो विवाद है, उससे स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
लंबे समय से चल रहा है संपत्ति विवाद
पूर्व राजपरिवार के सदस्यों के बीच लम्बे समय से संपत्ति विवाद है। इसको लेकर दिवंगत महेंद्रसिंह मेवाड़ और उनका परिवार समोर बाग में निवासरत है, जबकि सिटी पैलेस में उनके भाई अरविंदसिंह मेवाड़ और उनका परिवार निवासरत है। परंपरा के निमित विश्वराजसिंह के सिटी पैलेस में जाने की बात कही जा रही है, लेकिन अनुमति पर संशय है।
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