जयपुर। 7वें वेतनमान के बाद आई वेतन विसंगतियों को दुरुस्त करने के लिए लाई गई खेमराज कमेटी की रिपोर्ट को कर्मचारी संगठनों ने खारिज कर दिया है। इस रिपोर्ट की प्रतियां जलाकर अब कर्मचारी आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।
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सभाएं कर आंदोलन की तैयारी
विधानसभा के बजट सत्र के बीच कर्मचारी संगठनों ने खेमराज कमेटी की रिपोर्ट के विरोध में आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत ने एलान किया है कि गुरुवार को वित्त भवन के सामने खेमराज कमेटी की रिपोर्ट की होली जलाई जाएगी। इसके बाद 7 और 8 फरवरी को सभाएं कर आंदोलन की तैयारी की जाएगी। कर्मचारी संगठनों ने चेतावनी दी है कि सरकार ने जल्द उचित निर्णय नहीं लिया तो विधानसभा का प्रदर्शन एवं आंदोलन भी शुरू किया जाएगा। कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि सतही परीक्षण कर राज्य सरकार को यह रिपोर्ट दी गई और कर्मचारियों के भारी दबाव के बाद इसे सार्वजनिक किया गया। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि खेमराज कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक तो कर दिया, परंतु कर्मचारियों के लिए इस रिपोर्ट में कुछ भी नहीं दिया गया, जिससे कर्मचारियों में बहुत बड़ा आक्रोश है।
ये मांगें जो पूरी नहीं हुई
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि खेमराज कमेटी द्वारा कर्मचारियों की मांगों को एवं वेतन विसंगतियों को गंभीरता से नहीं लिया गया तथा महत्वपूर्ण मांगों की उपेक्षा की गई है। जबकि इससे पूर्व गठित सावंत कमेटी तथा खेमराज कमेटी पर करोड़ों रुपया जनता का खर्च किया गया। गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि कमेटी के समक्ष ज्ञापन रखने के लिए कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि राजस्थान के दूरदराज से भी जयपुर पहुंचे। यहां आने और ठहरने का पैसा भी खर्च हुआ, लेकिन रिपोर्ट में किसी को कुछ नहीं दिया गया।
संविदा को नियमित करने का वादा पूरा नहीं
खेमराज कमेटी के इतर राज्य सरकार ने भी संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के वादा किया था, लेकिन लगभग 14 महीने होने के बावजूद सरकार ने इसका अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किया है।
ग्रेड पे 4200 की मांग नहीं मानी
मंत्रालयिक कर्मचारियों के लिए दूसरी पदोन्नति पर ग्रेड पे 4200 सहित सचिवालय के समान वेतनमान व राज्य के समस्त कर्मचारियों को 9, 18 व 27 के चयनित वेतनमान के स्थान पर एसीपी 8,16, 24 व 32 में देने की मांग नहीं मानी गई। वहीं निविदा कर्मचारियों के लिए रेक्सो की तर्ज पर आरएलएसडीसी का गठन हेतु कई दिनों से आंदोलन करते आ रहे हैं, परंतु राज्य सरकार ने अभी तक इस पर कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया है। एक बयान में महासंघ अध्यक्ष ने कहा कि छोटे कर्मचारियों पर अधिकारी एवं राजनेताओं द्वारा दमनात्मक कार्रवाई की जा रही है, जिस पर रोक हेतु एक कानून बनना चाहिए तथा सभी बोर्ड निगम का निजीकरण बंद करते हुए नई भर्ती प्रक्रिया चालू करनी चाहिए। आइसोलेटेड पदों को पदोन्नति का लाभ एसीपी की अवधि से पहले दिए जाना चाहिए। कर्मचारियों की पदोन्नति में विलंब कर आर्थिक नुकसान करने वाले अधिकारियों के खिलाफ, राजकीय कार्य में बाधा पहुंचाने वाले नेताओं के खिलाफ कानून बनने चाहिए।
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