जयपुर। राजस्थान के विद्युत निगमों ने रेगुलेटरी एसेट्स (घाटा, लोन और ब्याज आदि खर्च) के नाम पर बिजली दरें बढ़ाने की सिफारिश की है। विद्युत निगम की ओर से पिछले दिनों दी याचिका पर नियामक आयोग में प्रदेशभर से आपत्तियां दर्ज हुई है। अब आगामी दिनों में सुनवाई पर ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
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निगम की खुली पोल
राजस्थान विद्युत नियामक आयोग (आरइआरसी) में प्रदेश के विद्युत निगमों की ओर से विद्युत दरें बढ़ाने की याचिका पर विशेषज्ञों से सुझाव मांगे गए थे। घाटा, लोन और ब्याज को ध्यान में रखते हुए दरें बढ़ाने की सिफारिश की थी। इस पर विशेषज्ञों से राय मांगी तो प्रदेशभर से आपत्तियां दर्ज हो गई। उदयपुर से भी विषय विशेषज्ञों ने नियामक आयोग में जवाब पेश किए, जिसमें निगम की पोल खुल गई है।
प्रदेश में रेगुलेटरी एसेट्स
जयपुर डिस्कॉम : 24 हजार करोड़, अजमेर डिस्कॉम : 18 हजार करोड़, जोधपुर डिस्कॉम : 22 हजार करोड़
प्रदेश में कुल : 64 हजार करोड़।
प्रदेश में यह स्थिति भी
9425 करोड़ यूनिट अनुमानित बिजली उपभोग। 4.70 रुपए यूनिट बिजली खरीद दर इस साल। 7.44 रुपए यूनिट औसत बिक्री दर इस साल।
टैरिफ बढ़ाने की सिफारिश नियमानुसार अनुचित
विद्युत निगम की ओर से नियामक आयोग में पेश याचिका के अनुसार रेगुलेट्री एसेट्स को ध्यान में रखते हुए टैरिफ बढ़ाने की सिफारिश की है, जो कि नियमानुसार अनुचित है। आयोग के निर्देशानुसार निगम को जो काम करने चाहिए थे, वे लबे समय से नहीं किए गए। ऐसे में विद्युत निगम घाटे की स्थिति से नहीं उबर पा रहे हैं।
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Mahendra Mangal