जयपुर। राजस्थान की राजनीति में अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले पूर्व राज्य मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने एक बार फिर बड़ा राजनीतिक भूचाल लाने वाला बयान दिया है। गुढ़ा ने कई गंभीर आरोप लगाए, जिनमें सबसे बड़ा हमला उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर किया। उन्होंने दावा किया कि जल जीवन मिशन घोटाले के असली और मुख्य आरोपी गहलोत हैं, जबकि महेश जोशी जैसे लोग केवल पर्दे की छोटी मछलियां हैं।
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‘जो फंसा, वही बेईमान नहीं है’
गुढ़ा ने कहा कि अगर मुझसे सबूत मांगे जाते हैं, तो मैं ईडी (ED) के समक्ष पेश होकर दस्तावेज सौंपने को तैयार हूं। मेरे पास पूरे सबूत हैं और मैं इन्हें सार्वजनिक करने से पीछे नहीं हटूंगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हुई तो कई राज सामने आएंगे जिनसे पूरा प्रदेश चौंक सकता है। विधायक जयकृष्ण पटेल पर हुए स्टिंग ऑपरेशन और रिश्वत प्रकरण पर बात करते हुए राजेंद्र गुढ़ा ने चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि जयकृष्ण पटेल नया विधायक है, उसे पैसे लेना नहीं आता था इसलिए पकड़ा गया। वरना ऐसे बहुत से लोग हैं जो इससे बड़े स्तर पर इस खेल में लिप्त हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अगर इस मामले की ईमानदारी से जांच की जाए, तो पचास से अधिक विधायक जेल की सलाखों के पीछे नजर आएंगे।
‘खुलेआम चल रहा है कमीशन का खेल’
राजेंद्र गुढ़ा ने विधायकों पर सीधे-सीधे भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि सरपंचों से जाकर पूछिए, वे खुद बताएंगे कि कितने फीसदी कमीशन लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये सिस्टम ही ऐसा बना दिया गया है, जिसमें ईमानदारी की कोई जगह नहीं बची। हर स्तर पर वसूली और कमीशनखोरी का एक तंत्र बन गया है।
युवाओं और हनुमान बेनीवाल पर चुप्पी, परीक्षा प्रणाली पर चिंता
जब युवाओं और हनुमान बेनीवाल को लेकर सवाल किए गए, तो गुढ़ा थोड़ा कतराते नजर आए। हालांकि युवाओं की परीक्षा प्रणाली पर जरूर बोले। उन्होंने कहा कि राजस्थान ऐसा बनना चाहिए जो युवाओं के सपनों का राज्य हो। हर सरकार परीक्षा कराने की बात करके आती है लेकिन सत्ता में आने के बाद सब वादे धरे रह जाते हैं। उन्होंने दोहराया कि भर्ती परीक्षाओं में हो रही धांधली को पूरी तरह से खत्म किया जाना चाहिए और युवाओं को न्याय मिलना चाहिए।
‘गहलोत के दफ्तर से बनती थी इंटरव्यू की लिस्ट’
अपने आरोपों की श्रृंखला में गुढ़ा ने एक बार फिर अशोक गहलोत पर व्यक्तिगत हमला करते हुए कहा कि गहलोत सरकार के दौरान नौकरियों की इंटरव्यू लिस्ट खुद मुख्यमंत्री कार्यालय से बनती थी। उन्होंने दावा किया कि यह सब पूर्व नियोजित होता था और चयन की प्रक्रिया में पारदर्शिता नाम की कोई चीज नहीं थी। राजेंद्र गुढ़ा के इन बयानों ने एक बार फिर राजस्थान की सियासत में उबाल ला दिया है। हालांकि उनके आरोपों की सत्यता की जांच होना अभी बाकी है।
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Mahendra Mangal