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वही रुपनगढ़, वही भूमि विवाद, बस पात्र बदले, वर्ष 2011 में भी विधायक पुत्र की गोली मारकर कर दी थी हत्या

Rupangarh

Rupangarh

इन्द्रजीत उबाना/ किशनगढ़(अजमेर) । साल 2011 और मार्च का महीना। पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया (Former MLA Nathuram Sinodia) के पुत्र भंवर सिनोदिया का रुपनगढ़ से अपहरण किया, गोली मारकर हत्या कर दी गई और शव साली गांव के जंगलों में फेंक दिया गया। वजह थी जमीनी विवाद। बलवाराम ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया। बलवाराम अभी जेल में है और आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा है। 9 मार्च 2011 यानी साढ़े 13 साल पहले इस हत्याकांड की यादें अभी भी लोगों के जेहन में ताजा है।


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जमीनी विवाद बन रहे अपराध की वजह

अब इतने सालों बाद भी जगह वही है रुपनगढ़(Rupangarh)। कारण वही है भूमि विवाद, बस पात्र बदल गए हैं। पहले हत्यारे के तौर पर बलवाराम (Balvaram) था और अब उसके परिवार के सदस्य बेटे और भानजे। 21 सितम्बर 2024 के दिन रुपनगढ़ एक बार फिर गोलियों की धायं-धायं से गूंज उठा। इस बार जगह सहस्त्रमुनि जैन छात्रावास (Sahastramuni Jain Hostel) थी, जहां भूमि विवाद इतना बड़ा रूप ले चुका था कि एक व्यक्ति ने गोलियों की जद में आकर अपनी जान गंवा दी थी और एक जबड़े में गोली फंसने के कारण अस्पताल पहुंच गया। पूरा प्रशासन हिल उठा और सभी ने रुपनगढ़ में कैम्प कर लिया। आरोपियों की धरपकड़ शुरू कर दी गई। जो मिले उनसे पूछताछ शुरू की गई और जो नहीं मिले उन पर ईनाम घोषित कर दिया गया।


साढ़े तेरह साल पहले की घटना हुई तरोताजा
साढ़े तेरह साल पहले सिनोदिया का अपहरण कर हत्या करने वाला मुख्य अभियुक्त बलवाराम जाट था। इस बार बलवाराम जाट के भांजे दिनेश चौधरी व उसके साथियों पर खुलेआम वारदात को अंजाम देने का आरोप है। रुपनगढ़ इलाके में भूमि विवाद ऐसे ही नहीं पनपे हैं। करीब 30 साल पहले यहां कौड़ियों के दाम में बिकने वाली जमीनें आज लाखों-करोड़ों रुपए में बिक रही हैं।


जमीनों के भाव आसमान पर
मेगा हाइवे से सटा रूपनगढ़ मार्बल-ग्रेनाइट (marble-granite) से लेकर इंडस्ट्रीयल क्षेत्र में लगातार विकसित हो रहा है। यहां नए-नए उद्योग लग रहे हैं। इसलिए, यहां की जमीनें बेशकीमती होती जा रही हैं। यही वजह है कि जमीन के लालच में यहां खूनी संघर्ष हो रहे हैं। इससे पहले भी जमीनी विवाद के कई मामले सामने आ चुके हैं। 9 मार्च 2011 को जमीनी विवाद में पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया के पुत्र भंवर सिनोदिया की गोली मारकर हत्या करने के बाद भूमि विवाद के कई मामले सामने आए हैं।


भूमि विवाद की लम्बी है फेहरिस्त
2014 में अजमेर रोड स्थित बेशकीमती जमीन को लेकर दो पक्षों में विवाद हो गया था। बदमाशों ने हवाई फायरिंग की थी। 2015 में डींडवाड़ा गांव में जमीनी विवाद में दो पक्षों में खूनी संघर्ष हो गया। हमले में 60 वर्षीय हंगामी देवी की मौत हो गई थी, जबकि 8 लोग घायल हुए थे। 2016 में हरमाड़ा में जमीनी विवाद में सेवानिवृत्त फौजी ने फायरिंग कर तीन लोगों को घायल कर दिया था। 16 मार्च 2023 को जमीनी विवाद में पूर्व पार्षद सुरेश यादव ने अपने भतीजे अशोक यादव को कार से टक्कर मार गिरा दिया। उसके बाद ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर हत्या कर दी। 22 जुलाई 2024 को खंडाच गांव में तालाब की पाल पर कब्जे के विवाद में आरोपी महिपाल सिंह ने एयरगन से फायरिंग कर 10 लोगों को घायल कर दिया था।


यूपी, बिहार के लोगों की आवाजाही बढ़ी
स्थानीय लोगों का कहना है कि रूपनगढ़ उपखंड शांत क्षेत्र है। यहां पर छिटपुट विवादों को छोड़ बड़ी घटनाएं नहीं होती, लेकिन सालों में कभी कभी इतनी बड़ी घटनाएं होती हैं कि मामला प्रदेश स्तर तक चला जाता है। लोगों का कहना था कि जमीनों के चक्कर में रूपनगढ़ ‘भख’ यानी बलि ले रहा है। भंवर सिनोदिया से लेकर 21 सितंबर को हुई घटना में भी युवक मारा गया। असल में, किशनगढ़, रूपनगढ़ इलाके में मार्बल, ग्रेनाइट इंडस्ट्रीज और जमीनों के भाव बढ़ने के कारण यूपी, बिहार के लोगों की आवाजाही बढ़ रही है।


कम कीमत में हथियार मंगवाना बहुत आसान
व्यापार करने और प्रॉपर्टी खरीदने के लिए बाहरी लोगों की आवाजाही यहां अशांति का काम कर रही है। यही वजह है कि आसानी से पैसे देकर हथियार व गोलियां यहां मंगवाई जा सकती हैं। पिछले दिनों यूपी के मार्बल व्यापारी द्वारा स्थानीय मार्बल व्यापारी पर जीवीके टोल के पास फायरिंग की घटना इसकी पुष्टि करती है। मार्बल-ग्रेनाइट समेत अन्य उद्योगों में काम करने वाले श्रमिकों के सहारे कम कीमत में हथियार मंगवाना बहुत आसान हो गया।


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