RPSC के 3 पूर्व अध्यक्षों पर लगे गंभीर आरोप, किरोड़ी लाल ने RAS टॉपर्स पर उठाए सवाल
मुख्यमंत्री को दिए पत्र में डॉक्टर किरोडी लाल ने बताया कि आरएएस परीक्षा 2018 एवं आरएएस परीक्षा 2021 में आरपीएससी द्वारा आरएएस के चयन में राजनीतिक दबाव के चलते अभ्यर्थियों से बड़ी मात्रा में पैसे लेकर आरएएस बनाए गए हैं। जिसमें कई अभ्यर्थियों द्वारा खाली उत्तर पुस्तिका छोड़ने के बाद उन्हें भराया गया है। कई अभ्यर्थियों की योग्यता नहीं होने के बावजूद भी उन्हें लिखित एवं मौखिक परीक्षा में बढ़ा-चढ़ाकर नंबर दिए हैं।
जयपुर। राजस्थान में मंत्री पद से इस्तीफा देकर बैठे डॉ. किरोड़ीलाल मीना (Dr. Kirodilal Meena) सीएम भजन लाल शर्मा (CM Bhajan Lal Sharma) से मिलने सीएम कार्यालय (CM office) पहुंचे। सीएम बाहर थे तो उनके अतिरिक्त मुख्य सचिव (Additional Chief Secretary) शिखर अग्रवाल (Shikhar Agarwal) से मिले और आरएएस (RAS) की दो भर्तियों की जांच करवाने की मांग की। उन्होंने आरपीएससी (RPSC) के तीन पूर्व अध्यक्ष दीपक उप्रेती, शिव सिंह राठौड़ और संजय श्रोत्रिय के कार्यकाल में हुई भर्तियों की जांच करवाने की भी मांग की।
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सभी भर्तियों की जांच सीबीआई से करवाने की मांग
उन्होंने तीनों के कार्यकाल में हुई सभी भर्तियों की जांच की सीबीआई (CBI) से करवाने की मांग की है। डॉ. किरोड़ी ने कहा कि आरएएस परीक्षा 2018 (ras exam 2018) और आरएएस परीक्षा 2021 में बहुत अनियमितताएं हुई है। उन्होंने आरोप लगाया आरपीएससी के पूर्व अध्यक्ष और कई सदस्यों ने पैसे लेकर आरएएस बनाए हैं।
उत्तर पुस्तिकाओं की जांच निजी कॉलेजों के शिक्षकों से
आरएएस 2021 की मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं (answer sheets) की जांच निजी कॉलेजों (private colleges) के शिक्षकों से करवा कर चहेतों को मनमर्जी से नम्बर दिए गए। आरएएस 2021 में बीकानेर से सफल अभ्यर्थियों की संख्या सर्वाधिक रही। ऐसा क्यों हुआ? भी जांच का विषय है। आरएएस 2018 में उत्तर पुस्तिकाओं की जांच के लिए जिन्हें जिम्मेदारी दी गई थी वे भी विवादों में रहे हैं।
पैसे लेकर आरएएस बनाए
मुख्यमंत्री को दिए पत्र में डॉक्टर किरोडी लाल ने बताया कि आरएएस परीक्षा 2018 एवं आरएएस परीक्षा 2021 में आरपीएससी द्वारा आरएएस के चयन में राजनीतिक दबाव के चलते अभ्यर्थियों से बड़ी मात्रा में पैसे लेकर आरएएस बनाए गए हैं। जिसमें कई अभ्यर्थियों द्वारा खाली उत्तर पुस्तिका छोड़ने के बाद उन्हें भराया गया है। कई अभ्यर्थियों की योग्यता नहीं होने के बावजूद भी उन्हें लिखित एवं मौखिक परीक्षा में बढ़ा-चढ़ाकर नंबर दिए हैं।
निजी कॉलेजों के शिक्षकों से जांच कराई
आरएएस 2021 की मुख्य परीक्षा के उत्तर पुस्तिकाओं को सरकारी कॉलेज एवं विश्वविद्यालय की शिक्षकों से चेक करवानी चाहिए थी जबकि मिली भगत कर निजी कॉलेजों के शिक्षकों से जांच कराई गई। जिसमें अपने चहेते लोगों को नंबर दिए गए हैं। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति आरपी सिंह को शिक्षक भर्ती एवं अशैक्षणिक पदों पर भर्ती में हुई अनियमिताओं को लेकर 2020 में acb ने गिरफ्तार भी किया था। वहीं इन्होने ही उत्तर पुस्तिका जांचने का कोऑर्डिनेटर शिवदयाल सिंह शेखावत को बना दिया।
शिवदयाल सिंह की नियुक्ति भी विवादों में
शिवदयाल सिंह की नियुक्ति भी विवादों में रही है। इनका चयन महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में जनसंख्या अध्ययन केंद्र में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हुआ था। उसके पास पदोन्नति के बाद भी इसी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर बने। परंतु यूजीसी के नियमों को ताक में रखकर उनकी नियुक्ति दी गई।
विश्वविद्यालय में सीसीटीवी कैमरे बंद
उन्होंने बताया कि शिवदयाल सिंह शेखावत का मूल निवास लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र में है यह शिव सिंह राठौर के बहुत नजदीकी हैं कॉपी चेकिंग के समय महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी के विश्वविद्यालय में सीसीटीवी कैमरे बंद कर खूब घपले किए गए। आरएएस 2021 में बीकानेर के सफल युवाओं की अचानक बढ़ोतरी केंद्र पर नकल करने की ओर इशारा करता है। जो की एक जांच का विषय है। इसके अलावा आरएएस परीक्षा 2018 और आरएएस परीक्षा 2021 की मुख्य परीक्षा पेपर लीक में पूर्व अध्यक्ष शिव सिंह राठौड़ एवं संजय श्रोत्रिय मुख्य है। दीपक उप्रेती की भूमिका की विस्तृत जानकारी भी उन्होंने मुख्यमंत्री को भेजी है।
योग्य युवकों के भविष्य को तबाह कर दिया
उन्होंने पत्र में लिखा है कि पिछली सरकार में आरपीएससी भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा बन गई थी। जिसमें योग्य युवकों के भविष्य को तबाह कर दिया और अयोग्य लोगों को भर्ती कर दिया। जो प्रदेश के प्रशासनिक तंत्र को बर्बाद कर डालेंगे। हमेशा परंपरा रही है कि आरपीएससी अध्यक्ष प्रश्न पत्रों की गोपनीयता रखने की दृष्टि से महत्वपूर्ण जिम्मेदारी स्वयं के पास रखते आए हैं। परंतु कुछ अध्यक्षों ने षड्यंत्र के तहत यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी आरपीएससी सदस्यों को देने लग गए। वहीं से पेपर लीक करने का भ्रष्टाचार शुरू हो गया।
राठौर के कार्यकाल की जांच की मांग
उन्होंने शिव सिंह राठौर की नियुक्ति 30 जनवरी 2016 से लेकर सेवानिवृत्ति दिनांक 29 जनवरी 2022 तक के कार्यकाल की जनता से जांच करने की बात कही है। शिव सिंह राठौर के कार्यकाल में होने वाली सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में शिव सिंह राठौड़ ने तत्कालीन आरपीएससी अध्यक्षों के साथ मिलकर बड़े स्तर धांधली की है। इनके द्वारा प्रदेश के बेरोजगार युवाओं का भविष्य बर्बाद किया गया है।
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