Shardiya Navratri Day 5: पूजा के समय करें स्कंदमाता चालीसा का पाठ, कभी नहीं होगी अन्न-धन की कमी

शारदीय नवरात्र का पांचवां दिन स्कंदमाता को समर्पित होता है। इस दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए उनके निमित्त पांचवें दिन व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि स्कंदमाता की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। इसके साथ ही सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। अगर आप भी स्कंदमाता की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो नवरात्र के पांचवें दिन स्कंदमाता की भक्ति भाव से पूजा करें। वहीं, पूजा के समय स्कंदमाता चालीसा का पाठ अवश्य करें।

महेन्द्र मंगल/जयपुर। सनातन शास्त्रों में निहित है कि स्कंदमाता (skandamata) की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही शुभ फलों की प्राप्ति होती है। स्कंदमाता चार भुजा धारी हैं। एक भुजा वरमुद्रा में है। इससे तीनों लोकों का कल्याण (welfare of the three worlds) होता है। साधक भक्ति भाव से जगत की देवी मां पार्वती की पूजा करते हैं।


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मां दुर्गा का पांचवां स्वरूप है स्कंदमाता

शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratr) का पांचवां दिन स्कंदमाता को समर्पित होता है। इस दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए उनके निमित्त पांचवें दिन व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि स्कंदमाता की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। इसके साथ ही सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। अगर आप भी स्कंदमाता की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो नवरात्र के पांचवें दिन स्कंदमाता की भक्ति भाव से पूजा करें। वहीं, पूजा के समय स्कंदमाता चालीसा का पाठ (Recitation of Skandamata Chalisa) अवश्य करें।


इनकी कृपा से मूर्ख भी ज्ञानी
स्कंद माता को बागेश्वरी देवी (Bageshwari Devi) के नाम से भी जानते हैं कहते हैं कि इनकी कृपा से मूर्ख भी ज्ञानी हो जाता है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से अभिहित किया गया है। इनके विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं।इस देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। इनका वर्ण एकदम शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है।


उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी
शास्त्रों में इसका काफी महत्व बताया गया है। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है। अतः मन को एकाग्र रखकर और पवित्र रखकर इस देवी की आराधना करने वाले साधक या भक्त को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं आती है।उनकी पूजा से मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है। यह देवी विद्वानों और सेवकों को पैदा करने वाली शक्ति है।


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