Site icon News Book -Rajasthan News | राजस्थान न्यूज़ | Rajasthan News in Hindi

‘न्यायपालिका पर दोबारा विश्वास कायम’, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले सैयद सरवर चिश्ती

Syed-Sarwar-Chishti

Syed-Sarwar-Chishti

अजमेर। ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह (Dargah of Khwaja Moinuddin Hasan Chishti) में खादिमों की संस्था अंजुमन कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है। कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से न्यायपालिका पर हमारा विश्वास दोबारा कायम हुआ है। निचली कोर्ट में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का उल्लंघन करते हुए वाद दायर हो रहे हैं और कोर्ट उन वाद को स्वीकार कर नोटिस जारी कर रहा है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को लेकर जो फैसला दिया वह स्वागत योग्य है।


यह भी देखें


दरगाह धर्म निरपेक्षता और मिलीजुली संस्कृति की मिसाल

अंजुमन कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती (Anjuman Committee Secretary Syed Sarwar Chishti) ने कहा कि अजमेर दरगाह धर्म निरपेक्षता और मिलीजुली संस्कृति को बढ़ावा देती है। दरगाह में मंदिर होने के वाद को निचली अदालत ने स्वीकार कर लिया। इससे करोड़ों अनुयायियों के दिलों को ठेस पहुंची है। यह ख्वाजा गरीब नवाज की रूहानियत है कि सुप्रीम कोर्ट से यह फैसला आया। सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल राहत देते हुए यूनियन ऑफ इंडिया से कहा है कि चार हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सबमिट करें।


चिश्ती बोले-विवादों पर लगेगा विराम
चिश्ती ने कहा कि हमें उम्मीद है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 (Places of Worship Act 1991) का उल्लंघन जहां भी हो रहा है और खुदाइयां हो रही हैं, उस पर विराम लग सके। सुप्रीम कोर्ट प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 प्रभावी तरीके से लागू करेगी, ताकि जगह-जगह जहां खुदाई अभियान चल रहा है। इससे लोगों में अफरा तफरी माहौल है और लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से हिंदू और मुसलमान में बढ़ रहे विवाद पर विराम लगेगा।


यह है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि जब तक इन याचिकाओं का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक देश में इस कानून के तहत मंदिर-मस्जिद विवाद सहित अन्य नए मुकदमे दर्ज नहीं किए जाएं। अदालतें ऐसे मामलों में न कोई फैसला और न ही सर्वेक्षण का आदेश दें। शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह याचिकाओं पर चार सप्ताह में अपना हलफनामा दाखिल करे। केंद्र द्वारा याचिकाओं पर जवाब दाखिल किए जाने के बाद संबंधित पक्षों को प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए भी चार सप्ताह का समय दिया गया है।


यह भी पढ़ें

  1.  पैन कार्ड (2.0) को लेकर जरूरी जानकारी, कैसे कर सकते हैं इसके लिए आवेदन?
  2. राजस्थान में स्कूल शिक्षक के 2100 पदों पर होगी भर्ती, 26 से आवेदन
Exit mobile version