RPSC News: राजस्थान लोक सेवा आयोग में पेन डाउन हड़ताल, 98 नए पदों की मांग; जानें सबकुछ

राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के कार्मिकों ने गुरुवार से पेन डाउन हड़ताल शुरू कर दी है। आयोग में 98 नए पद सृजित करने की मांग को लेकर कार्मिक लंबे समय से आंदोलनरत हैं, लेकिन जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, उन्होंने कार्य बहिष्कार जारी रखने का निर्णय लिया है। हड़ताल के कारण आयोग के विभिन्न कार्यों पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है, जिसमें इंटरव्यू, विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठकें, भर्ती संबंधी अभिस्तावन तथा विभिन्न परीक्षाओं के परिणाम जारी करने जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाएँ शामिल हैं।

अजमेर । कार्मिकों ने 27 मार्च से इस मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया था, लेकिन जब तक कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला, तब तक उन्होंने पेन डाउन हड़ताल का रास्ता अपनाने का निर्णय लिया। संयुक्त संघर्ष समिति के अनुसार, आयोग में वर्ष 2025 के दौरान केवल 80 दिनों में 158 परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी। इतनी बड़ी संख्या में परीक्षाओं के आयोजन के लिए पर्याप्त कार्मिकों की आवश्यकता होगी, लेकिन वर्तमान में कर्मचारियों की संख्या अपर्याप्त है।


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कार्य बहिष्कार जारी रखने का निर्णय

राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के कार्मिकों ने गुरुवार से पेन डाउन हड़ताल शुरू कर दी है। आयोग में 98 नए पद सृजित करने की मांग को लेकर कार्मिक लंबे समय से आंदोलनरत हैं, लेकिन जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, उन्होंने कार्य बहिष्कार जारी रखने का निर्णय लिया है। हड़ताल के कारण आयोग के विभिन्न कार्यों पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है, जिसमें इंटरव्यू, विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठकें, भर्ती संबंधी अभिस्तावन तथा विभिन्न परीक्षाओं के परिणाम जारी करने जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाएँ शामिल हैं।


27 मार्च से जारी आंदोलन
कार्मिकों ने 27 मार्च से इस मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया था, लेकिन जब तक कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला, तब तक उन्होंने पेन डाउन हड़ताल का रास्ता अपनाने का निर्णय लिया। संयुक्त संघर्ष समिति के अनुसार, आयोग में वर्ष 2025 के दौरान केवल 80 दिनों में 158 परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी। इतनी बड़ी संख्या में परीक्षाओं के आयोजन के लिए पर्याप्त कार्मिकों की आवश्यकता होगी, लेकिन वर्तमान में कर्मचारियों की संख्या अपर्याप्त है। संघर्ष समिति के अध्यक्ष दयाकर शर्मा का कहना है कि आयोग के कार्मिकों ने प्रशासन से कई बार अतिरिक्त पदों के सृजन की मांग की है, लेकिन अब तक इस पर कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई है। इस कारण कर्मचारियों में रोष बढ़ता जा रहा है और वे आंदोलन को और तेज करने की रणनीति बना रहे हैं।


कामकाज पर असर
हड़ताल का सीधा असर आयोग के रोजमर्रा के कार्यों पर पड़ा है। कई उम्मीदवारों के इंटरव्यू और पदोन्नति से संबंधित बैठकें स्थगित हो गई हैं। इसके अलावा, विभिन्न भर्तियों के परिणाम जारी करने में देरी हो सकती है, जिससे हजारों अभ्यर्थी प्रभावित होंगे। यदि यह हड़ताल लंबी चलती है, तो इससे प्रशासनिक प्रक्रियाओं में बाधा आएगी और भर्ती प्रक्रियाएं लंबित हो सकती हैं।


सामूहिक अवकाश की चेतावनी
यदि उनकी मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया, तो आयोग के कर्मचारियों ने सोमवार से सामूहिक अवकाश पर जाने की चेतावनी दी है। इसका मतलब यह होगा कि आयोग का पूरा प्रशासनिक कार्य ठप हो जाएगा, जिससे परीक्षाओं की तैयारियों पर सीधा असर पड़ेगा।


सरकार और प्रशासन की भूमिका
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और आयोग प्रशासन इस हड़ताल को समाप्त करने के लिए क्या कदम उठाते हैं। अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला, तो यह संकट और गहरा सकता है। कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की माँग लंबे समय से लंबित है, और यदि इसे गंभीरता से नहीं लिया गया, तो आयोग के कामकाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। संघर्ष समिति ने सरकार से जल्द हस्तक्षेप करने की अपील की है ताकि आयोग की कार्यप्रणाली बाधित न हो और परीक्षार्थियों को परेशानी न उठानी पड़े।


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