Navratri 2025: नवरात्र पर इस बार आठ दिन रखा जाएगा व्रत, गज पर आ रहीं मां दुर्गा; घट स्थापना का शुभ मुहुर्त
ज्योतिषाचार्य डॉ. पूनम वार्ष्णेय ने बताया कि चैत्र मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नए संवत्सर के साथ नवरात्र भी प्रारंभ हो रहे है। यह संयोग 10 साल बाद बन रहा है। इस दिव्य संयोग पर मां दुर्गा की पूजा करना अति फलदायी होगा। उन्होंने बताया कि नवरात्र में चार दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। कलात्मक योग, पद्मयोग, सौभाग्य योग, शोभन योग एवं इंद्र योग भी रहेंगे। इन दिनों में सभी शुभ कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होने का योग बनेगा। उन्होंने बताया कि इस बार तृतीय तिथि का क्षय है जिस कारण नवरात्र 8 दिन के मनाए जाएंगे।

जयपुर। चैत्र नवरात्र की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होती है। इस बार नवरात्र 30 मार्च से शुरु हो रही है। इस बार कई शुभ योग बन रहे हैं। कहा जा रहा है कि मां दुर्गा का पूजन अति फलदायी होगा। हिंदू मान्यता के अनुसार नवरात्र की शुरुआत रविवार को होने के कारण आदिशक्ति मां दुर्गे का आगमन गज की सवारी पर होगा। इस बार 8 दिन ही व्रत रखा जाएगा, लेकिन माता के नौ स्वरूपों की पूजा होगी।
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इस बार तृतीय तिथि का क्षय
ज्योतिषाचार्य डॉ. पूनम वार्ष्णेय ने बताया कि चैत्र मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नए संवत्सर के साथ नवरात्र भी प्रारंभ हो रहे है। यह संयोग 10 साल बाद बन रहा है। इस दिव्य संयोग पर मां दुर्गा की पूजा करना अति फलदायी होगा। उन्होंने बताया कि नवरात्र में चार दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। कलात्मक योग, पद्मयोग, सौभाग्य योग, शोभन योग एवं इंद्र योग भी रहेंगे। इन दिनों में सभी शुभ कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होने का योग बनेगा। उन्होंने बताया कि इस बार तृतीय तिथि का क्षय है जिस कारण नवरात्र 8 दिन के मनाए जाएंगे।
ऐसे करें पूजन
सुबह स्नान के बाद पूजा के स्थान पर गंगाजल छिड़क कर शुद्ध करें। चौकी पर माता की प्रतिमा को स्थापित करने के बाद गंगाजल से अभिषेक करें। नई पोशाक, चुनरी, आभूषण और पुष्पमाला धारण कराएं। केसर चंदन अक्षत से तिलक करें। लाल पुष्प सिंदूर शृंगार का सामान अर्पित करें। माता के समक्ष घट स्थापित करें। घट स्थापना का शुभ मुहुर्त सुबह 8:55 से लेकर 10:52 तक रहेगा। मिट्टी के पात्र में जौ बोएं। दीप एवं धूप जलाकर श्री दुर्गा चालीसा एवं श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। माता के मंत्रों से यज्ञ करना चाहिए। अंत में माता की आरती करें और शुद्ध सात्विक चीजों का भोग अर्पित करें।
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Mahendra Mangal