Rajasthan Education Department: शिक्षा विभाग ने अचानक भेजे अधिकारी, फीस-RTE पर जयपुर के स्कूलों की खुली पोल
स्कूलों ने अभिभावकों पर निर्धारित दुकान से ही ड्रेस और किताब लेने का दबाव बनाया। अधिकारियों ने स्कूलों में जाकर अभिभावकों और बच्चों से भी बात की तो सच सामने आया। शहर के स्कूलों का निरीक्षण जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक जगदीश नारायण मीणा के नेतृत्व में किया गया। ऐसे स्कूलों को नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब मांगा गया है।लॉटरी में चयनित होने के बाद भी नर्सरी कक्षा के पात्र बच्चों को निजी स्कूल आरटीई के तहत प्रवेश नहीं दे रहे हैं। उन्हें फीस देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। पूरे राजस्थान की बात करें तो करीब तीन लाख प्रवेश आरटीई के तहत किए जा रहे हैं। इनमें नर्सरी कक्षा के करीब डेढ़ लाख छात्र हैं। जयपुर में करीब 20 हजार से अधिक प्रवेश नर्सरी कक्षा में होना है। लेकिन स्कूलों की ओर से मनमानी की जा रही है।

जयपुर। स्कूलों में नया सत्र शुरू होने के साथ ही निजी स्कूलों की मनमानी शुरू हो गई है। शिकायतों की पड़ताल करने शिक्षा विभाग ने अधिकारियों को सोमवार को फील्ड में उतारा। निजी स्कूलों में जाकर अधिकारियों ने जांच की तो मनमानी की पोल खुल गई। स्कूलों ने बिना फीस निर्धारण समिति के प्रस्ताव के ही फीस बढ़ा दी तो स्कूलों के पास आरटीई के चयनित बच्चों की सूची तक नहीं मिली।
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स्कूलों को नोटिस जारी कर तीन दिन में मांगा जवाब
इसके अलावा स्कूलों ने अभिभावकों पर निर्धारित दुकान से ही ड्रेस और किताब लेने का दबाव बनाया। अधिकारियों ने स्कूलों में जाकर अभिभावकों और बच्चों से भी बात की तो सच सामने आया। शहर के स्कूलों का निरीक्षण जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक जगदीश नारायण मीणा के नेतृत्व में किया गया। ऐसे स्कूलों को नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब मांगा गया है।
नहीं दे रहे आरटीई के तहत प्रवेश
लॉटरी में चयनित होने के बाद भी नर्सरी कक्षा के पात्र बच्चों को निजी स्कूल आरटीई के तहत प्रवेश नहीं दे रहे हैं। उन्हें फीस देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। पूरे राजस्थान की बात करें तो करीब तीन लाख प्रवेश आरटीई के तहत किए जा रहे हैं। इनमें नर्सरी कक्षा के करीब डेढ़ लाख छात्र हैं। जयपुर में करीब 20 हजार से अधिक प्रवेश नर्सरी कक्षा में होना है। लेकिन स्कूलों की ओर से मनमानी की जा रही है।
बड़े स्कूलों पर मेहरबानी क्यों
विभाग की ओर से शहर के स्कूलों का निरीक्षण कराया गया। लेकिन शिक्षा अधिकारियों ने बड़े स्कूलों का निरीक्षण नहीं किया। अधिकतर ऐसे स्कूलों का निरीक्षण किया गया, जो छोटे हैं। जबकि शहर के बड़े स्कूलों की ओर से मनमानी की जा रही है। बिना नियम-कायदे फीस बढ़ाई जा रही है। संयुक्त अभिभावक संघ ने आरोप लगाया कि अगर बड़े स्कूलों की जांच की जाए तो बड़ी खामियां सामने आएंगी।
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Mahendra Mangal