Navratri: नौवें दिन शक्ति मां सिद्धिदात्री की होती है पूजा,दुर्गा अष्टमी व रामनवमी आज, दुर्लभ संयोग
देवी पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने इन्हीं शक्तिस्वरूपा देवी जी की उपासना करके सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं, जिसके प्रभाव से शिव जी का स्वरूप अर्द्धनारीश्वर का हो गया था। नवरात्र के नौवें दिन भगवती के सिद्धिदात्री रूप की देव, यक्ष, किन्नर, दानव, ऋषि-मुनि आदि सभी आराधना करके अपने जीवन में यश, बल और धन की प्राप्ति करते हैं। शिव को सभी शक्तियां प्रदान करने वाली है सिद्धिदात्री माँ हैं । इन्ही के आशीर्वाद से भगवान शिव ने अर्धनारीश्वर का रूप धारण किया था । माँ को 56 व्यंजनों का भोग लगाना चाहिए।

जयपुर। पूरे देश में दुर्गा अष्टमी व रामनवमी (Durga Ashtami and Ram Navami) का त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। इस बार एक ऐसा संयोग बन रहा है कि दुर्गा अष्टमी और रामनवमी एक साथ मनाई जा रही है। सुबह से ही मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है तो वहीं घर-घर आज कन्याओं को भोजन करा कर उनका आशीर्वाद लोग प्राप्त कर रहे हैं। सुबह से ही कन्याओं की टोलिया घर-घर जा रही है और भोजन ग्रहण कर रही है।
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नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री की पूजा
नवरात्र(Navratri) में माँ शक्ति के नौ रूपों की आराधना की जाती है, नवमी के दिन सकल सिद्धि को प्रदान करने वाली माँ की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की जाती हैं। मार्कण्डेय पुराण (Markandeya Purana) के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व आठ प्रकार की सिद्धियां हैं। भक्त की भक्ति से प्रसन्न होकर माँ की कृपा जिसे मिल गयी वह सुख और समृद्धि का प्रतीक हो गया। माँ सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं। इनकी आराधना के साथ ही नवरात्र व्रत का परायण होता है।
स्वयं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति
मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री (Name of ninth power Siddhidatri) है। वे सिद्धिदात्री, सिंह वाहिनी, चतुर्भुजा तथा प्रसन्नवदना हैं। मार्कंडेय पुराण में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व एवं वशित्व- ये आठ सिद्धियां बतलाई गई हैं। इन सभी सिद्धियों को देने वाली सिद्धिदात्री मां हैं। मां के दिव्य स्वरूप का ध्यान हमें अज्ञान, तमस, असंतोष आदि से निकालकर स्वाध्याय, उद्यम, उत्साह, कर्त्तव्यनिष्ठा की ओर ले जाता है और नैतिक व चारित्रिक रूप से सबल बनाता है। हमारी तृष्णाओं व वासनाओं को नियंत्रित करके हमारी अंतरात्मा को दिव्य पवित्रता से परिपूर्ण करते हुए हमें स्वयं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति देता है।
भगवान शिव ने इन्हीं की उपासना से सभी सिद्धियां प्राप्त की
देवी पुराण के अनुसार, भगवान शिव(lord shiva) ने इन्हीं शक्तिस्वरूपा देवी (Shaktiswarupa Devi) जी की उपासना करके सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं, जिसके प्रभाव से शिव जी का स्वरूप अर्द्धनारीश्वर (Ardhanarishwar) का हो गया था। नवरात्र के नौवें दिन भगवती के सिद्धिदात्री रूप की देव, यक्ष, किन्नर, दानव, ऋषि-मुनि आदि सभी आराधना करके अपने जीवन में यश, बल और धन की प्राप्ति करते हैं। नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा कर, जो भक्त नवाहन का प्रसाद और नवरस युक्त भोजन तथा नौ प्रकार के फल-फूल आदि मां को अर्पित कर नवरात्र का समापन करते हैं, उनको इस संसार में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती । शिव को सभी शक्तियां प्रदान करने वाली है सिद्धिदात्री माँ हैं । इन्ही के आशीर्वाद से भगवान शिव ने अर्धनारीश्वर का रूप धारण किया था । माँ को 56 व्यंजनों का भोग लगाना चाहिए।
इनकी उपासना में सदैव तत्पर
नवरात्र के में माँ के अलग अलग रूपों की पूजा कर भक्त सभी कष्टों से छुटकारा पाते हैं। माता के किसी भी रूप का दर्शन करने मात्र से प्राणी के शरीर में नयी उर्जा, नया उत्साह व सदविचार का संचार होता है। अत: अपनी लौकिक, पारलौकिक उन्नति चाहने वालों को इनकी उपासना में सदैव तत्पर रहना चाहिए।
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Mahendra Mangal