Asaram News: आसाराम को मिली 3 महीने की जमानत, 2 जजों की खंडपीठ ने दिया था खंडित फैसला; तीसरे ने मंजूर की याचिका
यह मामला प्रभारी मुख्य न्यायाधीश के पास पहुंचा। उन्होंने यह मामला तीसरे जज को सौंपा। तीसरे जज ने आसाराम को जमानत दे दी। इस तरह 2-1 के बहुमत से 86 वर्षीय आसाराम को तीन महीने की जमानत मंजूर की गई। इससे पहले गत 25 मार्च को खंडपीठ ने जमानत याचिका को लेकर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। आसाराम ने मेडिकल कारणों का हवाला देते हुए जमानत अवधि को तीन महीने और बढ़ाए जाने की गुहार के साथ गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।आसाराम ने वकील ने यह दलील दी थी कि चिकित्सकों ने उन्हें 90 दिनों के पंचकर्म थेरेपी के लिए सिफारिश की है। इसलिए अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाई जानी चाहिए।

जोधपुर। साल 2013 के सूरत रेप केस में उम्र कैद की सजा काट रहे आसाराम को गुजरात हाईकोर्ट से तीन महीने की और अंतरिम जमानत मिल गई है। जस्टिस ए एस सुपेहिया ने इस याचिका पर तब निर्णय दिया जब सुबह गुजरात हाईकोर्ट की दो जजों की खंडपीठ ने खंडित फैसला दिया था। खंडपीठ के एक जज ने जहां आसाराम की याचिका मंजूर की थी। वहीं, दूसरे जज ने इसे नामंजूर कर दिया था।
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मेडिकल कारणों का दिया था हवाला
इसके बाद यह मामला प्रभारी मुख्य न्यायाधीश के पास पहुंचा। उन्होंने यह मामला तीसरे जज को सौंपा। तीसरे जज ने आसाराम को जमानत दे दी। इस तरह 2-1 के बहुमत से 86 वर्षीय आसाराम को तीन महीने की जमानत मंजूर की गई। इससे पहले गत 25 मार्च को खंडपीठ ने जमानत याचिका को लेकर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। आसाराम ने मेडिकल कारणों का हवाला देते हुए जमानत अवधि को तीन महीने और बढ़ाए जाने की गुहार के साथ गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।आसाराम ने वकील ने यह दलील दी थी कि चिकित्सकों ने उन्हें 90 दिनों के पंचकर्म थेरेपी के लिए सिफारिश की है। इसलिए अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाई जानी चाहिए।
आवेदक अंतरिम जमानत का हकदार
जस्टिस सुपेहिया ने अपने आदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश व खंडपीठ के आदेश को देखते हुए उनकी राय यह है कि आवेदक अंतरिम जमानत का हकदार है। 86 वर्षीय वृद्ध व्यक्ति को सिर्फ एक विशेष थेरेपी या मेडिसीन की पद्धति तक सीमित नहीं रखा जा सकता है।
इस तरह खंडित फैसला
इससे पहले सुबह खंडपीठ के जज जस्टिस इलेश जे वोरा और जस्टिस संदीप एन भट्ट ने खंडित फैसला दिया। जस्टिस वोरा ने आसाराम को तीन महीने के लिए अंतरिम जमानत दे दी जबकि जस्टिस भट्ट ने याचिका नामंजूर कर दी थी।
2-1 के बहुमत से फैसला
इसके बाद यह मामला जस्टिस ए एस सुपेहिया को सौंपा गया जिन्होंने जस्टिस वोरा के फैसले से सहमति जताई और कहा कि राज्य सरकार के मुताबिक आवेदक ने अंतरिम जमानत अवधि के दौरान अपनी जमानत का दुरुपयोग नहीं किया। साथ ही यह भी कहा कि इन परिस्थितियों में जस्टिस वोरा के दृष्टिकोण की पुष्टि करते हुए आवेदक की याचिका मंजूर की जाती है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने गत जनवरी महीने में मेडिकल ग्राउंड के आधार पर 31 मार्च तक की अंतरिम जमानत मंजूर की थी।
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