Alwar Hooch Tragedy: जहरीली शराब से तीन दिन में आठ लोगों की मौत, प्रशासन की मदद से अवैध कारोबार चलने का आरोप
जानकारी के मुताबिक, मौत का सिलसिला 26 अप्रैल से शुरू हुआ, जब पैंतपुर निवासी सुरेश वाल्मीकि (45) की जान गई। इसके अगले दिन 27 अप्रैल को किशनपुर के रामकिशोर (47) और पैंतपुर के रामुकुमार (39) की भी मौत हो गई। हालात तब और बिगड़ गए जब 28 अप्रैल को एक ही दिन में पांच लोगों की जान चली गई। इन मृतकों में किशनपुर के लालाराम (60) और भारत (40) और पैंतपुर के ओमी (65) शामिल हैं। सबसे ज्यादा लोगों की मौत 28 अप्रैल को हुई, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी उसी दिन देर शाम गांव पहुंचे। उससे पहले हुई मौत को लेकर किसी प्रकार की कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई। प्रशासन की इस लापरवाही से ग्रामीणों में गहरा रोष है।

अलवर । जिले के अकबरपुर थाना क्षेत्र के दो गांव पैंतपुर और किशनपुर इन दिनों जहरीली शराब से हुई मौतों के कारण गहरे शोक में डूबे हुए हैं। बीते तीन दिनों में आठ लोगों की जान चली गई, जबकि कई अन्य ग्रामीणों की हालत गंभीर बनी हुई है। जहरीली शराब के कारण लगातार हो रही लोगों की मौत ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है।
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प्रशासन की सुस्ती और ग्रामीणों का गुस्सा
जानकारी के मुताबिक, मौत का सिलसिला 26 अप्रैल से शुरू हुआ, जब पैंतपुर निवासी सुरेश वाल्मीकि (45) की जान गई। इसके अगले दिन 27 अप्रैल को किशनपुर के रामकिशोर (47) और पैंतपुर के रामुकुमार (39) की भी मौत हो गई। हालात तब और बिगड़ गए जब 28 अप्रैल को एक ही दिन में पांच लोगों की जान चली गई। इन मृतकों में किशनपुर के लालाराम (60) और भारत (40) और पैंतपुर के ओमी (65) शामिल हैं। सबसे ज्यादा लोगों की मौत 28 अप्रैल को हुई, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी उसी दिन देर शाम गांव पहुंचे। उससे पहले हुई मौत को लेकर किसी प्रकार की कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई। प्रशासन की इस लापरवाही से ग्रामीणों में गहरा रोष है।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका संदिग्ध
गांववासियों का आरोप है कि इलाके में लंबे समय से अवैध शराब का कारोबार बेधड़क जारी था। ग्रामीणों ने बताया कि एक ठेकेदार को एक शराब दुकान की अनुमति मिली थी, लेकिन उसने कई अवैध दुकानें खोल रखी थीं, जहां कच्ची और जहरीली शराब खुलेआम बेची जा रही थी। स्थानीय लोगों का दावा है कि इस अवैध कारोबार की जानकारी पुलिस और संबंधित विभागों को पहले से थी, लेकिन किसी ने कार्रवाई नहीं की। ग्रामीणों का आरोप है कि यह सब मिलीभगत से हो रहा था, जिससे शराब माफियाओं को खुली छूट मिल गई।
गांव में बुलाई गई महापंचायत
तीन दिन तक लगातार होती रही मौतों के बाद भी जब प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो गुरुवार को ग्रामीणों ने महापंचायत बुलाई। महापंचायत में तय किया गया कि वे दोषी अधिकारियों और शराब माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करेंगे। अभी भी कई ग्रामीण अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। गांव में हर गली-कूचे में शोक और भय का माहौल है। लोग प्रशासन से सवाल कर रहे हैं कि आखिर कब तक जानें यूं ही जाती रहेंगी, और कब इस जहरीले कारोबार पर लगाम लगेगी?
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Mahendra Mangal