Rajasthan: वित्त विभाग के अजब कारनामे, जिंदा तरस रहे, मरे हुए के खातों में जा रही पेंशन
राजस्थान में IFMS 3.0 सॉफ्टवेयर (IFMS 3.0 Software) के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला हो रहा है। सीएजी की तरफ से बार-बार आपत्तियां आ रही है, लेकिन वित्त विभाग के अफसरों को इससे कोई फर्क ही नहीं पड़ता, क्योंकि ऊपर कोई जवाब तलबी ही नहीं की जा रही। हालत यह है कि जिंदा लोग पेंशन के लिए वित्त विभाग के चक्कर पर चक्कर लगा रहे हैं और मरे हुए के खातों में पेंशन डाली जा रही है।

जयपुर। प्राइवेट कंपनियों को पनपाने के लिए वित्त विभाग (Finance Department ) के अफसरों ने राजस्थान की साख को ही दांव पर लगा दिया। सरकारी कर्मचारियों में वित्तीय व्यवस्था को लेकर भारी असंतोष पनप रहा है। जिस IFMS 3.0 सॉफ्टवेयर को लागू कर सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना लगाया गया। उसी सॉफ्टवेयर की हालत यह है कि जिंदा लोग पेंशन के लिए भटक रहे हैं और मरे हुए के खातों में पेंशन (Pension to Dead People ) डाली जा रही है।
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सॉफ्टवेयर के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला
राजस्थान में IFMS 3.0 सॉफ्टवेयर (IFMS 3.0 Software) के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला हो रहा है। सीएजी की तरफ से बार-बार आपत्तियां आ रही है, लेकिन वित्त विभाग के अफसरों को इससे कोई फर्क ही नहीं पड़ता, क्योंकि ऊपर कोई जवाब तलबी ही नहीं की जा रही। हालत यह है कि जिंदा लोग पेंशन के लिए वित्त विभाग के चक्कर पर चक्कर लगा रहे हैं और मरे हुए के खातों में पेंशन डाली जा रही है।
जून 2023 के बाद से जारी ही नहीं हुई फैमिली पेंशन
आईएफपीएमएस 2.0 पर हो रहा था, लेकिन दिनांक 30 जून 2023 के पश्चात आईएफपीएमएस 2.0 (IFPMS 2.0) के स्थान पर आईएफपीएमएस 3.0 पर कार्य करने के आदेश निकाल दिए गए परंतु हैरानी की बात यह रही कि इस नए सॉफ्टवेयर में किसी पेंशनर की मृत्यु होने पर उसकी विधवा को पारिवारिक पेंशन(family pension) जारी करने हेतु कोई प्रोग्रामिंग ही नहीं की गई। इस अदूरदर्शिता का नुकसान यह हुआ की दिनांक 30 जून 2023 के पश्चात से अब तक अनेक पेंशनर्स की डेथ हो चुकी है और उनकी विधवाएं पारिवारिक पेंशन के लिए तरस रही है।
जल्दबाजी में लागू किया प्रोग्राम
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (All Rajasthan State Employees Joint Federation) के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़(State President Gajendra Singh Rathore) ने कहा की आईएफएमएस 3.0 जल्दबाजी में लागू किया प्रोग्राम है जिसको पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर देखा जाना चाहिए था । वित्त विभाग ने न जाने किस दबाव में इस आधे अधूरे प्रोजेक्ट को लागू कर दिया है इससे जहां राजस्थान भर के पेंशनर्स एवं पारिवारिक पेंशनर को जयपुर में आकर अपनी परेशानियां दूर करवानी पड़ रही है वहीं पर इस अधूरे सॉफ्टवेयर के आगे पेंशन विभाग (pension department) के कर्मचारी भी असहाय हैं।
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Mahendra Mangal