Parenting Tips: युद्ध की खबरों से बच्चों के नाजुक मन पर पड़ता है असर, मेंटली स्ट्रॉन्ग बनाने में मदद करेंगे ये टिप्स
यह घात-प्रतिघात का दौर है इसलिए शिथिल न पड़ें। संघर्ष विराम हो गया है तो भी उन्हें माकड्रिल और ब्लैक आउट के बारे में सरल तरीके से समझाएं और बताएं कि सतर्कता बनाए रखने में ही अपना और देश का हित है! आज की पीढ़ी ने भारत-पाक सैन्य संघर्ष के बारे में केवल किताबों में पढ़ा है, लेकिन अब यह पहला मौका है जब वो युद्ध के हालात जैसी चर्चा सुन रहे हैं। इस माहौल में बच्चों को साहसी एवं निडर बनाने का तरीका हैक उन्हें स्थिति को समझने का अवसर दें। उनको मानसिक रूप से सशक्त बनाने के लिए जरूरी है कि उनके साथ खुलकर संवाद करें। उन्हें बताएं कि युद्ध भले ही हर समस्या का हल न हो, मगर कई बार इसकी आवश्यकता होती है। उन्हें सेना के जवानों द्वारा किए जाने वाले साहसिक कार्यों व त्याग के बारे में भी बताएं।

नई दिल्ली। संघर्ष विराम जरूर हो गया है मगर ‘आपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) के बारे में न्यूज चैनल, समाचार पत्र और इंटरनेट मीडिया पर कवरेज जारी है। मान सकते हैं कि 15 मई तक तनावपूर्ण शांति रहेगी, मगर आगे का माहौल अभी भी भविष्य के गर्भ में है।
यह भी देखें
दूर करें आशंकाएं
ऐसे माहौल (India-Pak Conflict) में अभिभावकों की जिम्मेदारी हो जाती है कि वे बच्चों से घटनाक्रम के विषय में टालने या अति-उत्साह प्रदर्शित करने की जगह सार्थक बातचीत करें क्योंकि इसके अभाव में बच्चे आस-पास के माहौल और मीडिया से देखी-सुनी बातों को आत्मसात कर लेते हैं। बच्चे विशेषकर किशोर जब युद्ध से संबंधित समाचारों के संपर्क में आते हैं, तो उनके मन में कई आशंकाएं उत्पन्न हो सकती हैं। यदि समय पर इन भावनाओं को समझा व संबोधित नहीं किया जाए तो यह उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। ऐसी स्थिति में यह आवश्यक हो जाता है कि पहले स्वयं को शांत रखें और भावनात्मक स्थिति को संतुलित रखें।
बच्चों से संवाद स्थापित करें
साथ ही बच्चों से संवाद स्थापित करें कि वे इस विषय में क्या जानते हैं और क्या महसूस करते हैं, जिससे आप उन्हें आने वाले समय के लिए बेहतर तरीके से तैयार कर पाएंगे। यदि बच्चे छोटे हैं तो उन्हें बुनियादी जानकारी दें और यदि बच्चे बड़े हैं, घटनाओं की गंभीरता को समझ सकते हैं तो उनके साथ टकराव और संघर्ष विराम के कारणों पर चर्चा करें, ताकि वे इंटरनेट मीडिया पर मिलने वाली जानकारी को समझदारी के साथ ग्रहण कर सकें।
बच्चों को साहसी एवं निडर बनाएं
यह घात-प्रतिघात का दौर है इसलिए शिथिल न पड़ें। संघर्ष विराम हो गया है तो भी उन्हें माकड्रिल और ब्लैक आउट के बारे में सरल तरीके से समझाएं और बताएं कि सतर्कता बनाए रखने में ही अपना और देश का हित है! आज की पीढ़ी ने भारत-पाक सैन्य संघर्ष के बारे में केवल किताबों में पढ़ा है, लेकिन अब यह पहला मौका है जब वो युद्ध के हालात जैसी चर्चा सुन रहे हैं। इस माहौल में बच्चों को साहसी एवं निडर बनाने का तरीका हैक उन्हें स्थिति को समझने का अवसर दें। उनको मानसिक रूप से सशक्त बनाने के लिए जरूरी है कि उनके साथ खुलकर संवाद करें। उन्हें बताएं कि युद्ध भले ही हर समस्या का हल न हो, मगर कई बार इसकी आवश्यकता होती है। उन्हें सेना के जवानों द्वारा किए जाने वाले साहसिक कार्यों व त्याग के बारे में भी बताएं।
यह भी पढ़ें
- शेखावाटी में बिछेगी 84.03 किमी नई रेल लाइन, खाटूश्यामजी, जीणमाता व सालासर बालाजी के भक्तों के लिए खुशखबरी
- बॉर्डर पर हालात सामान्य, आज से खुले स्कूल- कॉलेज, ट्रेन, बस और उड़ानें भी नियमित हुईं
Mahendra Mangal