Rajasthan Politics: ‘नाकाम हो चुके नेताओं का हौसला बुलंद’, CWC की बैठक से पहले लोकेश शर्मा ने दी सलाह

ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने एक्स प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘मल्लिकार्जुन खड़गे जी, राहुल गांधी जी नमस्कार..कल 29 नवम्बर को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक आहुत की गई है जिसका मुख्य एजेंडा देश के ‘वर्तमान राजनैतिक हालातों पर चर्चा’ है। मेरा आप दोनों से आग्रह है इस खुले पत्र को भी चर्चा में शामिल किया जाए।’‘लोकसभा चुनाव में तीन बार कांग्रेस पार्टी के सत्ता से बाहर होने एवं कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की पराजय के बाद, 25 वर्ष से कांग्रेस पार्टी का सक्रीय कार्यकर्ता होने के नाते अपनी भावना इस खुले पत्र के माध्यम से आपके साथ साझा कर रहा हूं। आशा करता हूं इसे सकारात्मक रूप में लिया जाएगा।’‘5 साल के चुनावी परिणामों के आंकड़े जब दर्शाए जाते हैं और बताया जाता है कांग्रेस पार्टी की कितनी जगह और कितनी बार हार हुई है तो मन बेहद व्यथित होता है और ऐसे में पार्टी का झंडा उठाने वाले ज़मीनी कार्यकर्ताओं, सच्चे नेताओं का भी हौसला कितना कमज़ोर होता होगा, उन पर क्या गुजरती है वे ही जानते है।’

जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने कांग्रेस संगठन में सुधार को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है। शर्मा ने यह पोस्ट 29 नवंबर को होने जा रही कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक से पहले किया है। जिसमें उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सांसद राहुल गांधी को ‘वर्तमान राजनैतिक हालातों पर चर्चा’(‘Discussion on current political situation’) के मुद्दे पर सलाह देते हुए विचार रखे है। उन्होंने इस पोस्ट में अपने आपको कांग्रेस का सक्रिय कार्यकर्ता बताते हुए प्रदेश कांग्रेस संगठन में सुधार की बात कही है।


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इस खुले पत्र को भी चर्चा में शामिल किया जाए

ओएसडी रहे लोकेश शर्मा (Lokesh Sharma) ने एक्स प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘मल्लिकार्जुन खड़गे जी, राहुल गांधी (Congress President Mallikarjun Kharge and MP Rahul Gandhi) जी नमस्कार..कल 29 नवम्बर को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक आहुत की गई है जिसका मुख्य एजेंडा देश के ‘वर्तमान राजनैतिक हालातों पर चर्चा’ है। मेरा आप दोनों से आग्रह है इस खुले पत्र को भी चर्चा में शामिल किया जाए।’


‘सकारात्मक रूप में लिया जाए’

‘लोकसभा चुनाव में तीन बार कांग्रेस पार्टी के सत्ता से बाहर होने एवं कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की पराजय के बाद, 25 वर्ष से कांग्रेस पार्टी का सक्रीय कार्यकर्ता (active worker of congress party) होने के नाते अपनी भावना इस खुले पत्र के माध्यम से आपके साथ साझा कर रहा हूं। आशा करता हूं इसे सकारात्मक रूप में लिया जाएगा।’
‘5 साल के चुनावी परिणामों के आंकड़े जब दर्शाए जाते हैं और बताया जाता है कांग्रेस पार्टी की कितनी जगह और कितनी बार हार हुई है तो मन बेहद व्यथित होता है और ऐसे में पार्टी का झंडा उठाने वाले ज़मीनी कार्यकर्ताओं, सच्चे नेताओं का भी हौसला कितना कमज़ोर होता होगा, उन पर क्या गुजरती है वे ही जानते है।’


‘हार से किसी के कान पर जूं भी नहीं रेंगी’
‘क्यों चुनाव से पहले कांग्रेस की एक मज़बूत रणनीति का अभाव होता है और ऐसा क्यों है कि किसी भी हार के बाद पार्टी में किसी की कोई जवाबदेही नहीं बनती, क्या हमारी पार्टी जीतने के लिए चुनाव नहीं लड़ती या हार का उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता?’ ‘यदि प्रत्येक हार के बाद ज़िम्मेदारी और जवाबदेही तय की गयी होती तो सम्बंधित नेताओं को कोई चिंता होती या उनमें डर होता, उन्हें लगता कि हमें जवाब देना पड़ेगा, सामना करना पड़ेगा, हम किस मुंह से हमारी लीडरशिप के सामने बैठ पाएंगे। लेकिन हमारे यहां हार के प्रति इतनी सहजता है जो ज़िम्मेदारों के बयानों में साफ़ झलकती है। ऐसा लगता भी नहीं कि हार से किसी के कान पर जूं भी रेंगी होगी, उनके माथे पर कोई शिकन तक नहीं होती। ‘हार-जीत होती रहती है’ का राग बेहद सामान्य है! बयानों में आपके हाथ मज़बूत करने की बात की जाती है लेकिन हार पर कोई फ़िक्र नज़र नहीं आती।’


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