सावधान! निजी स्कूलों की फिर से लूट की तैयारी, कई तरह के शुल्क के नाम पर वसूल रहे मोटी रकम

आज के दौर में हर माता पिता की ख्वाहिश होती है कि उसके बच्चे को शुरुआत से ही अच्छी शिक्षा मिले लेकिन उसे लगता हे कि उसके बच्चे को सरकारी स्कूल में अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाएगी। इसलिए वह निजी स्कूल की ओर रुख करता है और इसके लिए उसे भारी कीमत भी चुकानी पड़ती है। इसी का फायदा कहीं ना कही उठाते है निजी स्कूल। अभिभावकों और बच्चों को स्कूल में अच्छा सा डेमो दिया जाता है। तरह तरह की एक्टिविटीज कराने का आश्वासन भी दिया जाता है। लेकिन यह बात माता पिता को भी पता होती है कि आखिर इसके बदले में जो खर्चा आयेगा उसका भार उनके कंधे पर ही पड़ने वाला है।

धर्मेन्द्र सिंहल/जयपुर। निजी स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले अभिभावकों को एक बार फिर अपनी जेब ढीली करने के लिए तैयार रहना होगा। इस बार फिर एक बार निजी स्कूलों ने अच्छी खासी फीस बढ़ोतरी करनी शुरू कर दी है। सरकार भले ही बड़े बड़े दावे करे कि फीस एक्ट कमेटी बनाई जाती है लेकिन इस कमेटी का काम बस सिर्फ नाम का ही होता है क्या है फीस को लेकर नियम ओर कैसे पड़ेगी अभिभावकों पर मार आइए देखते हे इस खास रिपोर्ट में।


यह भी देखें


निजी स्कूलों की फिर से लूट की तैयारी

आज के दौर में हर माता पिता की ख्वाहिश होती है कि उसके बच्चे को शुरुआत से ही अच्छी शिक्षा मिले लेकिन उसे लगता हे कि उसके बच्चे को सरकारी स्कूल में अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाएगी। इसलिए वह निजी स्कूल की ओर रुख करता है और इसके लिए उसे भारी कीमत भी चुकानी पड़ती है। इसी का फायदा कहीं ना कही उठाते है निजी स्कूल। अभिभावकों और बच्चों को स्कूल में अच्छा सा डेमो दिया जाता है। तरह तरह की एक्टिविटीज कराने का आश्वासन भी दिया जाता है। लेकिन यह बात माता पिता को भी पता होती है कि आखिर इसके बदले में जो खर्चा आयेगा उसका भार उनके कंधे पर ही पड़ने वाला है।


कई तरह के शुल्क के नाम पर वसूल रहे मोटी रकम
साल 2016 से पहले जब निजी स्कूलों की मनमानी बढ़ने लगी तो फीस पर लगाम लगाने की बात उठी और तत्कालीन सरकार फीस एक्ट लेकर आई और साल 2017 में यह बिल विधानसभा में पारित भी हो गया। जिसका निजी स्कूलों द्वारा विरोध किया गया और सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती भी दी गई। उस समय अभिभावकों में जानकारी का अभाव था सो उस एक्ट का इतना प्रभाव नहीं दिखा। लेकिन कोरोना काल के बाद फीस मामले ने तूल पकड़ा तब संयुक्त अभिभावक संघ की ओर से सुप्रीम कोर्ट में केविएट लगाई गई। जिसके बाद फीस एक्ट में निर्धारित फीस की 85 प्रतिशत राशि जमा करवाने को कहा। जिसे अभिभावकों ने तो स्वीकार किया लेकिन निजी स्कूलों ने विरोध किया। जिसके बाद फीस निर्धारण कमेटी गठन की बात कही गई।


किताबें और यूनिफॉर्म भी स्कूल से लेने के लिए मजबूर
इस बार की बात करे तो नया शिक्षण सत्र शुरू होने वाला है और निजी शिक्षण संस्थान एक बार फीस बढ़ोतरी को लेकर तैयार है। इतना ही नहीं फीस के साथ उन्हें किताबें ओर यूनिफॉर्म भी उसी स्कूल से लेने के लिए मजबूर भी होना पड़ेगा। निजी स्कूल संघ का कहना है कि हम लोग बेहतर पढ़ाई का माहौल बच्चो को देना चाहते है ओर इसके लिए जो संसाधन चाहिए उसके लिए महंगाई के दौर में फीस बढ़ानी ही पड़ेगी। लेकिन कही न कही इस बात को भी मानना पड़ेगा कि शिक्षा को अब बड़ा व्यवसाय बना दिया गया है।


यह भी पढ़ें

  1. 30 मार्च को क्यों मनाया जाता है राजस्थान दिवस ? किन शहरों में होंगे भव्य कार्यक्रम
  2. विधायक रविंद्र सिंह भाटी की फिर बढ़ाई सुरक्षा, इंटेलिजेंस इनपुट के चलते लिया बड़ा फैसला

Related Articles

Back to top button