Rajasthan Politics: राजस्थान में कम हो गई BJP विधायकों की संख्या, कंवर लाल मीणा की सदस्यता रद्द, देवनानी ने किया ‘बर्खास्त’

यह मामला साल 2005 से जुड़ा है. दांगीपुरा-राजगढ़ मोड़ पर उपसरपंच चुनाव के बाद दोबारा मतदान कराने की मांग हो रही थी. ग्रामीणों ने रास्ता रोक रखा था. शिकायत मिलते ही तत्कालीन एसडीएम रामनिवास मेहता समेत अन्य अधिकारी वहां पहुंचे. आरोप था कि इस दौरान कंवरलाल मीणा ने एसडीएम की कनपटी पर पिस्तौल तानी थी और जान से मारने की धमकी दी थी. इस मामले में कोर्ट ने उन्हें सजा सुनाई है.

जयपुर। राजस्थान में बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी रद्द कर दी गई है. बारां जिले की अंता सीट से विधायक रहे कंवरलाल मीणा ने 20 साल पुराने मामले में दो दिन पहले ही ट्रायल कोर्ट में सरेंडर किया था. उन्हें कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई है. सुप्रीम कोर्ट से भी राहत न मिलने के बाद ट्रायल कोर्ट ने उन्हें 21 मई तक सरेंडर करने का निर्देश दिया था.


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विधानसभा अध्यक्ष ने सदस्यता समाप्त की

अब सजायाफ्ता कंवर लाल मीणा की विधायकी विधानसभा से रद्द कर दी गई है. इसका क्रेडिट कांग्रेस ले रही है. राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने ‘एक्स’ पर लिखा, “कांग्रेस के भारी दबाव और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली द्वारा सुप्रीम कोर्ट में ‘कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट’ की अर्जी पेश करने के बाद आखिरकार बीजेपी के सजायाफ्ता विधायक कंवर लाल मीणा की सदस्यता रद्द करनी पड़ी. लोकतांत्रिक व्यवस्था में संविधान सर्वोपरि है.”


23 दिन बाद कंवर लाल की सदस्यता रद्द
गोविंद डोटासरा ने आगे लिखा, “कांग्रेस यह बात बार-बार RSS-BJP के नेताओं को बताती रहेगी और उन्हें मज़बूर करेगी वो संविधान के मुताबिक काम करें. क़ानून के मुताबिक बीजेपी विधायक कवंरलाल मीणा को कोर्ट से 3 साल की सजा होते ही उनकी सदस्यता रद्द कर देनी जानी चाहिए थी, लेकिन कोर्ट के आदेश के 23 दिन बाद भी बीजेपी के सजायाफ्ता विधायक की सदस्यता विधानसभा अध्यक्ष द्वारा रद्द नहीं की गई.” गोविंद सिंह डोटासरा ने आगे कहा, “अंतत: जीत सत्य की हुई और कंवरलाल मीणा की सदस्यता रद्द करनी पड़ी, क्योंकि देश में क़ानून और संविधान की पालना कराने के लिए कांग्रेस की सेना मौजूद है. एक देश में दो कानून नहीं हो सकते.”


बीजेपी सरकार पर लगाया पक्षपात का आरोप
राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि विपक्ष के ज्ञापन सौंपने और चेताने के बाद भी विधानसभा अध्यक्ष दंडित विधायक को बचाते रहे. इस दौरान उन्होंने एक अभियुक्त को बचाने के लिए न सिर्फ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया बल्कि संवैधानिक प्रावधानों और कोर्ट के आदेश की अवहेलना की.


क्या है 20 साल पुराना मामला?
दरअसल, यह मामला साल 2005 से जुड़ा है. दांगीपुरा-राजगढ़ मोड़ पर उपसरपंच चुनाव के बाद दोबारा मतदान कराने की मांग हो रही थी. ग्रामीणों ने रास्ता रोक रखा था. शिकायत मिलते ही तत्कालीन एसडीएम रामनिवास मेहता समेत अन्य अधिकारी वहां पहुंचे. आरोप था कि इस दौरान कंवरलाल मीणा ने एसडीएम की कनपटी पर पिस्तौल तानी थी और जान से मारने की धमकी दी थी. इस मामले में कोर्ट ने उन्हें सजा सुनाई है.


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