शरद टाक/सिरोही। आंधप्रदेश के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (Tirumala Tirupati Devasthanams) पिछले दिनों लड्डू की शुद्धता पर उठे सवाल और इस विवाद से भक्तों की आस्था के आहत होने के बाद प्रदेश के राजस्थान के जालौर ओर सिरोही में स्थापित विश्व की सबसे बड़ी गोशाला श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा (Shrigodham Mahatirtha Pathmeda) द्वारा आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, तिरुमला तिरुपति देवस्थान के चेयरमैन और ईओ को एक प्रस्ताव भेजा गया है। इस प्रस्ताव में मंदिर प्रबंधन द्वारा मंदिर के प्रसाद लड्डू में उपयोग होने वाले घी के लिए गौशाला की स्थापना करवाने और गोधाम पथमेड़ा द्वारा इसके संचालन में सहयोग का प्रस्ताव दिया है।
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गौशाला के संचालन में सहयोग को तैयार
तिरुपति बालाजी मंदिर(Tirupati Balaji Temple) में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा की ओर से सुझाव दिया है कि तिरुमला तिरुपति देवस्थान के पास भूमि, राशि और समर्पित सेवकों की कोई कमी नहीं है। अगर तिरुमला तिरुपति देवस्थानम प्रबंधन की ओर से गौशाला की स्थापना की जाती है, तो गोधाम पथमेड़ा इस गोशाला के संचालन में सहयोग को तैयार है। गोशाला की स्थापना करने से वहां डेढ़ लाख से अधिक दुधारू गोवंश की सेवा की जा सकती है।
15 हजार लीटर घी रोजाना तैयार
इतनी संख्या में गोवंश की सेवा करने से रोजाना 15 लाख लीटर दूध क्षमता का डेयरी प्लांट लगाया जा सकेगा। इस प्लांट से 15 हजार लीटर घी रोजाना तैयार किया जा सकेगा। गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा के सीईओ आलोक सिंहल ने बताया कि इस घी से मंदिर प्रबंधन की ओर से रोजाना लाखों भक्तों को शुद्ध घी से बना प्रसाद वितरित किया जा सकता है।
सभी मंदिरों में गोगव्य से निर्मित प्रसाद का महत्व बढ़ेगा
गोवत्स विट्ठल कृष्ण महाराज ने बताया कि तिरुमला तिरुपति देवस्थान इस पुण्य कार्य की दिशा में कदम उठाए तो श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा सेवा में सहयोग प्रदान करने को तैयार है। लोक प्रसिद्ध गोसेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा के पास के गोवंश की सेवा का लंबा अनुभव है। गोधाम के महाराज गोवत्स विट्ठल कृष्ण ने कहा कि ये सौभाग्य की बात होगी अगर तिरुमला में भगवान भगवान वेंकटेश गोगव्य से निर्मित घी के प्रसाद का भोग लगेगा। ऐसा हुआ तो देश के सभी मंदिरों में गोगव्य से निर्मित प्रसाद का महत्व बढ़ेगा।
ठाकुर जी और गोमाता का प्रेम बरकरार रहेगा
गोधाम पथमेड़ा की स्थापना परम श्रद्धेय गोऋषि स्वामी श्री दत्तशरणानंदजी महाराजश्री के पावन सानिध्य एवं संकल्पानुसार वर्ष 1993 में मात्र 8 गोवंश से की गई थी। वर्तमान में राजस्थान, गुजरात, पंजाब, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में 64 गोशालाओं का संचालन किया जा रहा है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के चेयरमैन को भेजे गए प्रस्ताव पर सहमति बनती है तो प्रसाद की अशुद्धता को लेकर उपजे विवाद पर विराम तो लगेगा ही… साथ ही भगवान विष्णु के रूप वेंकटेश भगवान को गौमाता से मिले शुद्ध घी के भोग से द्वापर युग से चलता आ रहा ठाकुर जी और गोमाता का प्रेम बरकरार रहेगा।
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