Tribal Rights Day: सांसद राजकुमार रोत बोले, हमारी लड़ाई हक पाने और अस्तित्व बचाने की

दरअसल मंगलवार को भारत आदिवासी परिवार की ओर से बांसवाड़ा जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थान घोटिया आंबा के पास आदिवासी अधिकार दिवस का आयोजन किया गया था। लेकिन राजकुमार रोत के हिंदू विरोधी बयानों को लेकर इस आयोजन का कुछ लोगों द्वारा विरोध किया जा रहा है। ऐसे में कार्यक्रम में विवाद से बचने के उद्देश्य से चार थानों के पुलिस जाब्ते के साथ वहां तैनात की गई।

कुलदीप गृहस्थी/बांसवाड़ा। सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि हमारी लड़ाई हक पाने, अस्तित्व बचाने और संविधान को धरातल पर लाने की है। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक आधार पर यह स्पष्ट है कि आदिवासी समुदाय की परम्परा, धार्मिक व्यवस्था किसी भी धर्म से मेल नहीं खाती है।


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पुलिस की भारी मौजूदगी

सांसद राजकुमार रोत (Rajkumar Roat) के विरोध के कारण मंगलवार को पुलिस की भारी मौजूदगी में ‘आदिवासी अधिकार दिवस’ का आयोजन बांसवाड़ा (Banswara) में किया गया। इस आयोजन के विरोध के कारण बांसवाड़ा जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थान घोटिया आंबा के पास स्थिति बिगड़ने की आशंका थी। ऐसे में चार थानों की पुलिस की मौजूदगी में आदिवासी अधिकारी दिवस का आयोजन किया गया। पुलिस की भारी मौजूदगी के कारण किसी तरह की अप्रिय घटना नहीं हुई। जिससे प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है।


घोटिया आंबा पर आयोजन को लेकर हो रहा था विरोध
दरअसल मंगलवार को भारत आदिवासी परिवार की ओर से बांसवाड़ा जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थान घोटिया आंबा के पास आदिवासी अधिकार दिवस का आयोजन किया गया था। लेकिन राजकुमार रोत के हिंदू विरोधी बयानों को लेकर इस आयोजन का कुछ लोगों द्वारा विरोध किया जा रहा है। ऐसे में कार्यक्रम में विवाद से बचने के उद्देश्य से चार थानों के पुलिस जाब्ते के साथ वहां तैनात की गई।


बागीदौरा विधायक भी रहे मौजूद
पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत और बागीदौरा विधायक जय कृष्ण पटेल सहित सैकड़ों की संख्या में भारत आदिवासी पार्टी और भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा सहित अन्य संगठनों से जुड़े लोग शामिल हुए।


आरएसएस जैसी विचारधाराओं ने लड़ाने का काम किया
दोपहर बाद शुरू हुई सभा में सांसद रोत ने कहा कि देश का संविधान प्रत्येक व्यक्ति को आजादी देता है। आरएसएस जैसी विचारधाराओं ने दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी आदि को कमजोर करने के लिए आपस में लड़ाने का काम किया है। इसके लिए धर्म को माध्यम बनाया। ऐसे संगठनों ने आदिवासी समाज के कुछ लोगों को दिमागी रूप से विकलांग कर दिया है। इसका उपचार समाज को ही अपनी विचारधारा से करना पड़ेगा।


गोविंद गुरु और मावजी को मानेंगे
हमारी लड़ाई अस्तित्व बचाने, अधिकार पाने, संविधान को धरातल पर लाने की और उनकी लड़ाई सत्ता पाने की है। मामा बालेश्वर दयाल का उल्लेख कर कहा कि उन्होंने आदिवासी समाज के उत्थान के लिए काम किया। जो लोग पहले कहते थे कि आदिवासी किसी धर्म में नहीं आता, आज उनके सुर बदल गए। गोविंद गुरु और मावजी को मानेंगे सांसद ने कहा कि कुछ लोगों को मानसिक रूप से गुलाम बना रखा है। हमने अधिकार की बात कही तो उन्होंने धर्म की बात कही।


आदिवासी धर्म पूर्वी
उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक आधार पर यह स्पष्ट है कि आदिवासी समुदाय की परम्परा, धार्मिक व्यवस्था किसी भी धर्म से मेल नहीं खाती हे। संवैधानिक प्रावधानों से स्पष्ट है कि आदिवासी धर्म पूर्वी है। न्यायालय के निर्णयों से भी स्पष्ट है कि आदिवासी हिन्दू, ईसाई, मुसलमान, बौद्ध नहीं है। धर्म हमारा विषय नहीं है किंतु यह जरूर कहेंगे कि हम गोविंद गुरु, मावजी महाराज, मामा बालेश्वर दयाल को मानेंगे। देश का संविधान कहता है कि कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी धर्म को स्वीकार कर सकता है। धर्म का विरोध नहीं करते हैं, किंतु आने वाली पीढ़ी को सच बताने की जरूरत है।


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