Site icon News Book -Rajasthan News | राजस्थान न्यूज़ | Rajasthan News in Hindi

Udaipur News: लक्ष्यराज सिंह को कुलगुरु गोस्वामी ने तिलक कर गद्दी पर बैठाया, शंभूनिवास पैलेस में निभाई गई परंपरा

Dr. Lakshyaraj Singh

Dr. Lakshyaraj Singh

उदयपुर। मेवाड़ पूर्व राजपरिवार के सदस्य डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को कुलगुरु डॉ. वागीश कुमार गोस्वामी ने बुधवार को तिलक कर गद्दी पर विराजित कराने की परंपरा निभाई। डॉ. लक्ष्यराज सिंह ने दंडवत प्रणाम करते हुए कुलगुरु डॉ. वागीश कुमार का आशीर्वाद लिया। पूर्व राजपरिवार के कुलगुरु डॉ. वागीश कुमार ने कहा कि डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को मेवाड़ राजपरिवार के 77वें श्रीजी व एकलिंगदीवान के रूप में गद्दी पर विराजित कर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।


यह भी देखें


पैलेस परिसर में अश्व पूजन की परंपरा निभाई

डॉ. लक्ष्यराज सिंह ने गद्दी उत्सव पूजन के बाद ब्रह्मणों, संतों, महंतों और समाज-संगठनों के पदाधिकारियों को भोजन कराया। फिर शंभूनिवास पैलेस परिसर में अश्व पूजन की परंपरा निभाई। इसके बाद डॉ. लक्ष्यराज सिंह लवाजमे के साथ कैलाशपुरी पहुंचे, जहां तालाब पूजन के बाद अराध्यदेव एकलिंगनाथ के दर्शन किए। उसके बाद वो पुनः उदयपुर लौटे जहाँ हाथीपोल द्वार का पूजन कर पैलेस आये, जहां रंग पलटाई की रस्म निभाई गई। इन रस्मों को पूरी करने के बाद डॉक्टर लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ रात को जगदीश मंदिर पहुंचे, जहां भगवान जगन्नाथ के दर्शन कर पैलेस लौटे।


कुलगुरु ने गद्दी पर बैठाया
बुधवार दिन भर चले कार्यक्रमों मे सबसे पहले सुबह 9.30 बजे सिटी पैलेस स्थित नौ चौकी महल के राय आंगन में हवन-पूजन के साथ गद्दी उत्सव की परंपरा शुरू हुई। इस कार्यक्रम में कुलगुरु गोस्वामी वागीश कुमार ने डॉ. लक्ष्यराज सिंह का तिलक कर उन्हें हाथ पकड़ कर अरविन्द सिंह मेवाड़ की जगह गद्दी पर बैठाया। दोपहर 1.30 बजे तक चले गद्दी उत्सव के बाद दोपहर में अश्व पूजन, एकलिंग जी दर्शन, हाथीपोल द्वार पूजन, रंग पलटाई और जगदीश मंदिर दर्शन की परंपरा निभाई गई। बता दें कि डॉ. लक्ष्यराज के पिता अरविंद सिंह मेवाड़ का 16 मार्च को निधन हुआ था, उसके बाद लक्ष्यराज ने उनकी जगह गद्दी को संभाला है।


कवि शैलेश लोढ़ा भी मौजूद रहे
गद्दी उत्सव व रंगपलटाई दस्तूर के दौरान डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के ससुर व कनकवर्धन सिंह देव, अंतरराष्ट्रीय कवि व अभिनेता शैलेश लोढ़ा, क्षत्रीय करणी सेना के संस्थापक अध्यक्ष राजशेखावत, शक्ति सिंह बांदीकुई, गायक छोटू सिंह रावणा सहित क्षत्रीय व अन्य समाजों के प्रतिष्ठित पदाधिकारी मौजूद थे। डिप्टी सीएम कनकवर्धन सिंह ने कहा कि मेवाड़ का पूर्व राजपरिवार 1500 साल प्राचीन परंपराओं का वर्तमान में भी उसी तरह निर्वहन करता है तो गर्व की अनुभूति होती है।


महाराणा प्रताप के अश्व चेतक को भी याद किया
सिटी पैलेस के शंभू निवास में दोपहर 3.15 बजे डॉ. लक्ष्यराज सिंह ने अपने बेटे हरितराज सिंह के साथ अश्व पूजन किया। पंडितों ने मंत्रोच्चार के साथ पूजन कराया। मेवाड़ में राजतिलक या फिर गद्दी पर विराजने की रस्म के साथ ही अश्व पूजन की परंपरा निभाई जाती है। मान्यता है कि अश्व स्वामी भक्ति का प्रतीक है। युद्ध के समय अश्व भी अपने राजा को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण महाराणा प्रताप का अश्व चेतक था, जिसने हल्दीघाटी युद्ध में घायल होकर भी महाराणा प्रताप को युद्ध भूमि से सुरक्षित बाहर निकाला था। इसलिए मेवाड़ का पूर्व राजपरिवार विशेषकर राजतिलक या गद्दी विराजने के अलावा विशेष त्योहारों पर भी अश्व पूजन करता है। डॉ. लक्ष्यराज सिंह ने महाराणा प्रताप के अश्व चेतक को भी याद किया।


तालाब पूजन के बाद एकलिंगजी के किए दर्शन
शाम 6 बजे डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ कैलाशपुरी स्थित एकलिंगनाथजी मंदिर दर्शन करने पहुंचे। यहां उन्होंने पूजा-अर्चना की। इसके बाद शोक भंग की रस्म निभाई गई, जिसमें विधि-विधान के साथ पगड़ी का रंग बदला गया। एकलिंगनाथजी मंदिर में दर्शन से पहले उन्होंने तालाब पूजन किया। कैलाशपुरी की महिलाओं ने माला पहनाकर डॉ. मेवाड़ का स्वागत किया। डॉ. लक्ष्यराज की अगवानी में जगह-जगह पुष्पवर्षा की गई। इससे पहले हरियाली पूजन की परंपरा का भी निर्वहन किया गया।


यह भी पढ़ें

  1. 5 अप्रैल से शुरू होगी आईपीएल के टिकटों की ऑफलाइन बिक्री, स्टूडेंट्स को मिलेगा बड़ा डिस्काउंट
  2. एक मंदिर ऐसा भी जहां माता जब प्रसन्न होती है तब करती है अग्नि स्नान, पढ़ें पूरी खबर
Exit mobile version