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Unemployment: शिक्षित बेरोजगार की बढ़ती तादाद की फिक्र कीजिए सरकार ! बेरोजगार बैंक बनाने की उठी आवाज

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धर्मेंद्र सिंघल/जयपुर। राजस्थान में शिक्षित बेरोजगारों की फौज बढ़ती जा रही है, जो सरकार और समाज के लिए चिंता का विषय है। इंजीनियरिंग, एमबीए, एमए. जैसी उच्च डिग्रियां हासिल करने के बावजूद प्रदेश के युवा आज 10 वीं पास योग्यता वाली नौकरियों के लिए भी आवेदन करने को मजबूर हैं। हालत ये है कि चतुर्थ श्रेणी की भर्तियों में भी यूजी और पीजी डिग्रीधारी युवा बड़ी संख्या में आवेदन कर रहे हैं। आइये पढ़तें है एक खास रिपोर्ट…..


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चतुर्थ श्रेणी की भर्तियों में भी बीटेक, एमए, एमकॉम और एमबीए डिग्री धारक

राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा निकाली गई वाहन चालक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्तियों के लिए आवेदन प्रक्रिया जारी है। इन भर्तियों में जिस तरह से लाखों की संख्या में युवा आवेदन कर रहे हैं, वो प्रदेश में बेरोजगारी की भयावह स्थिति को साफ दर्शाता है. बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, इन पदों के लिए निर्धारित शैक्षणिक योग्यता 10वीं पास है, फिर भी बड़ी संख्या में बीटेक, एमए, एमकॉम और एमबीए डिग्री धारक भी इन पदों के लिए कतार में हैं। सरकारी नौकरियों को लेकर इस तरीके रुझान पर बेरोजगार नेताओ का मानना है कि युवाओं के लिए अब नौकरी का पद मायने नहीं रखता। उन्हें स्थायित्व चाहिए, सामाजिक मान-सम्मान चाहिए, जो सिर्फ सरकारी नौकरी से ही मिलता है। युवाओं का मानना है कि प्राइवेट कंपनियों में वेतन कम है और अस्थिरता बहुत ज़्यादा है। जबकि सरकारी नौकरी मिलेगी तो कम से कम भविष्य सुरक्षित रहेगा। इन भर्तियों के लिए योग्य उम्मीदवारों की संख्या हर बार बढ़ रही है और ये साफ संकेत है कि शिक्षित युवा भी अब किसी भी सरकारी नौकरी को अपनाने को तैयार हैं। और चूंकि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भर्ती में 53 हजार 749 पदों पर भर्ती हो रही है. ऐसे में यदि 20 लाख अभ्यर्थी भी परीक्षा देते हैं, तो करीब तीन प्रतिशत अभ्यर्थी सलेक्ट हो पाएंगे , जो एक बड़ी संख्या है। जिसकी वजह से ज्यादा युवा अप्लाई कर रहे है।


कोचिंग सेंटर्स में ग्रुप डी स्तर के लिए खास बैच
राजस्थान बेरोजगार यूनियन के अध्यक्ष हनुमान किसान ने कहा कि बेरोजगारों की बढ़ती संख्या का फायदा उठाकर कोचिंग संस्थान भी चांदी कूटते नजर आ रहे है. राजस्थान ही नहीं दिल्ली और दूसरे राज्यों में प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी कराने वाले प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान भी अब अपने पाठ्यक्रम में चतुर्थ श्रेणी भर्तियों की तैयारी करवा रहे है। इन कोचिंग सेंटर्स में अब ग्रुप डी स्तर की परीक्षाओं के लिए खास बैच चलाए जा रहे हैं, जिनमें छात्रों को सामान्य ज्ञान, गणित और रीजनिंग जैसे विषयों की तैयारी कराई जा रही है।


सरकारी नौकरी बनीं सामाजिक प्रतिष्ठा
राजस्थान बेरोजगार यूनियन के संरक्षक अशोक चौधरी का कहना है कि इन सबके पीछे एक बड़ा कारण ओर भी है और वह है सरकारी नौकरी की सामाजिक प्रतिष्ठा। क्योंकि समाज में सरकारी नौकरी को लेकर जो धारणा बनी हुई है, वो भी युवाओं को इस ओर खींचती है। सामाजिक स्तर पर सरकारी नौकरी आज भी स्थिरता, सुरक्षा और सम्मान का प्रतीक मानी जाती है। भले ही पद छोटा हो, लेकिन उसकी स्थायित्व युवाओं को आकर्षित करती हैं। यही वजह है कि एमएससी, एमकॉम, डिप्लोमा किए हुए अब चपरासी पद के लिए तैयारी कर रहे हैं। कई सालों बाद निकाली गई चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की इतनी बम्पर भर्ती से बेरोजगारों में भी सरकार का विश्वास बढ़ा है।


देश के कई हिस्सों की हकीकत
ये प्रदेश का दुर्भाग्य है कि हायर एजुकेशन प्राप्त अभ्यर्थियों को भी दसवीं पास पद के लिए आवेदन करने पड़ रहे हैं। बहरहाल ये तस्वीर आज सिर्फ एक राज्य की नहीं, बल्कि देश के कई हिस्सों की हकीकत बन चुकी है। शिक्षित युवाओं की भीड़ जब चपरासी या ड्राइवर बनने को तैयार हो जाए, तो ये समय है सोचने का कि क्या सरकार अपने युवाओं को उनके योग्य अवसर दे पा रही है।


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