जयपुर। राजस्थान की राजनीति में नया भूचाल आया है। भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा की प्राथमिक सदस्यता समाप्त कर दी है। पार्टी ने यह कदम अनुशासन समिति की जांच में दोषी पाए जाने के बाद उठाया। आहूजा ने हाल ही में खुद को दलितों का मसीहा बताते हुए विवादित बयान दिया था, जिसके बाद से वे लगातार विवादों में घिरे हुए थे।
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दलित विरोधी आरोप साबित तो वे अपनी मूंछ कटवा लेंगे
आहूजा ने कहा था कि यदि उन पर लगे दलित विरोधी आरोप साबित हो जाते हैं तो वे अपनी मूंछ कटवा लेंगे। साथ ही उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित कई नेताओं पर मानहानि का आरोप लगाते हुए कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी। आहूजा ने कांग्रेस नेताओं से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग भी की है। भाजपा के निर्णय से नाराज आहूजा ने कहा कि पार्टी ने बिना पूरी जांच के उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की है। उन्होंने बताया कि कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के बावजूद निष्कासन का निर्णय लिया गया। भाजपा का कहना है कि संगठन में अनुशासन सर्वोपरि है और नियमों का उल्लंघन किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
कांग्रेस नेताओं की नीतियों के विरोध में था बयान
ज्ञानदेव आहूजा ने सफाई दी कि उनका बयान दलित समाज के खिलाफ नहीं था, बल्कि कांग्रेस नेताओं की नीतियों के विरोध में था। उन्होंने कांग्रेस पर भगवान राम के अस्तित्व को नकारने का भी आरोप लगाया। आहूजा ने दावा किया कि वे अलवर के मेवात क्षेत्र में लंबे समय से दलित समुदाय के हित में काम करते आ रहे हैं। विवाद की शुरुआत तब हुई, जब अलवर के एक नए राम मंदिर में कांग्रेस नेता टीकाराम जूली के दौरे के बाद आहूजा ने गंगाजल से शुद्धिकरण करवाया। कांग्रेस ने इसे दलित विरोधी मानसिकता का उदाहरण बताते हुए आहूजा पर निशाना साधा, जिससे मामला और गरमा गया।
मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे
आहूजा ने राहुल गांधी, अशोक गहलोत, गोविंद सिंह डोटासरा और टीकाराम जूली से भी माफी की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि माफी नहीं मांगी गई तो वे मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने खरगे के जयपुर दौरे के दौरान विरोध प्रदर्शन करने की भी घोषणा की है।
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