अजमेर। अजमेर (ajmer) स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती (Khwaja Moinuddin Hasan Chishti) की दरगाह में शिव मंदिर (Shiv Temple in Dargah) होने का दावा हिंदू सेवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता (National President of Hindu Seva Vishnu Gupta) के द्वारा दायर किया गया है। जिसकी सुनवाई न्यायालय में होनी है। न्यायालय में दायर इस वाद पर अजमेर दरगाह दीवान(Ajmer Dargah Diwan) के उत्तराधिकारी (Successor) व सज्जादानशीन सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती (Sajjadanshin Syed Naseeruddin Chishti) ने पलटवार किया है।
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वाद टूटे तथ्यों और मनगढ़ंत इतिहास पर आधारित
सज्जादानशीन सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि आज जो वाद प्रस्तुत किया गया है। दरगाह ख्वाजा साहब के बारे में उसकी में निंदा करता हूं यह वाद टूटे तथ्यों पर और मनगढ़ंत इतिहास (fabricated history) पर आधारित है। इसकी हम पुरजोर तरीके से मजम्मत करते हैं। इस वाद का हम सामना करेंगे, जवाब देंगे। ऐसे मौके पर मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि यह जो लोग हैं, सस्ती लोकप्रिय के चलते पवित्र धार्मिक स्थल (sacred religious places) पर भी उंगली उठा रहे हैं जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
सभी ने सम्मान की नजर से दरगाह को देखा
इतिहास में अगर देखा जाए तो दरगाह ख्वाजा साहब के बाबत कभी किसी भी समय में कोई आपत्ति नहीं की गई है। इस दरगाह में मुगलों (Mughals) से लेकर के खिलजी, तुगलक, हिंदू राजा राजपूत राजा रजवाड़े (Khilji, Tughlaq, Hindu kings, Rajput kings, princely states) यहां तक के मराठा तक में भी बड़ी सम्मान की नजर से इस दरगाह को देखा है और अपनी आस्था जाहिर की है। यहां तक की सनातन धर्म के कई महान शख्सियत ने भी इस दरगाह ख्वाजा साहब के बाबत बड़े सम्मानपूर्वक विचार अपने रखे हैं।
हर धर्म के लोगों की आस्था का केंद्र
सिर्फ एक किताब की बुनियाद पर 1911 में आई पूरे इतिहास को खत्म नहीं किया जा सकता। अजमेर दरगाह पूरी दुनिया के मुसलमान के साथ-साथ हर धर्म के लोगों की आस्था का एक केंद्र है। यहां से हमेशा मोहब्बत अमन का पैगाम जाता है। यह हिंदुस्तान की गंगा जमुना तहजीब (ganga jamuna culture) का सबसे बड़ा मरकज है। इस बाबत इस प्रकार की दरगाह में मंदिर होने की टिप्पणी करना और दावे करना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह बताता है कि देश में धार्मिक कट्टरता किस चरम पर पहुंच चुकी है, ऐसी विषैली सोच रखने वालों के संस्थानों को बंद कर देना चाहिए। भारत सरकार को स्पेशली गाइडलाइन (Special Guideline) जारी करनी चाहिए, क्योंकि ऐसी चीज ना काबिले बर्दाश्त है।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बयान सही
ऐसे मौके पर मैं सिर्फ खास तौर से आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) का जो बयान था। दो 3 जून 2022 को जो उन्होंने नागपुर से दिया था कि हर मस्जिद में शिवालय ढूंढने की क्या जरूरत है और हर बार एक नया विवाह शुरू करने की जरूरत है, मैं उनकी बात से बिल्कुल इत्तेफाक रखता हूं। नसीरुद्दीन चिश्ती ने ऐसे बुद्धिजीवियों को ऐसे जिम्मेदार लोगों को आगे आना चाहिए और इस अहम मसले में बोलना चाहिए क्योंकि यह मसला हिंदुस्तान के मुसलमान की आस्था का केंद्र अजमेर दरगाह से जुड़ा हुआ है और साथ के साथ देश के प्रधानमंत्री जो हर साल या चादर भेजते हैं।
हिंदुस्तान महान मुल्क
तमाम राजनीति पार्टी जो है चादर भेजते हैं, उनको इस पर गाइडलाइन जारी करनी चाहिए कि यह कब तक चलेगा कि जब मर्जी चाहे कोई इंडिविजुअल खड़ा होकर आ जाता है। व्यक्ति विशेष और किसी भी धार्मिक स्थल पर उंगली उठा देता है और सवाल खड़े कर देता है जिससे हमारे देश की प्रति नकारात्मक छवि जाती है. जबकि हमारा देश आज विश्व गुरु के रूप में पूरी दुनिया में देखा जा रहा है। हिंदुस्तान महान मुल्क है, यहां पर इस तरीके की धार्मिक अनुवाद से बचने की सख्त जरूरत है।
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