जयपुर। भारतीय रेलवे ने अग्रिम आरक्षण अवधि(advance reservation period) की वर्तमान समय सीमा को 120 दिनों से घटाकर 60 दिन कर दिया है, जो आगामी एक नवंबर से प्रभावी होगा। इसमें यात्रा की तारीख शामिल नहीं है। रेल मंत्रालय (Ministry of Railways) ने वास्तविक यात्रियों को बढ़ावा देने के लिए यात्रियों द्वारा ट्रेन में बुकिंग के लिए अग्रिम आरक्षण अवधि, एआरपी में इस बदलाव की घोषणा की है। इस निर्णय से रेलवे बोर्ड (Railway Board) को देश में रेल यात्रा की वास्तविक मांग की जानकारी में सुधार करने में मदद मिलेगी।
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21 प्रतिशत आरक्षण रद्द
यह जानकारी मिल रही थी कि 61 से 120 दिन की अवधि के लिए कराए गए लगभग 21 प्रतिशत आरक्षण रद्द (reservation canceled) किए जा रहे थे। इसके अलावा 5 प्रतिशत यात्री ऐसे भी थे जो न तो अपनी टिकट रद्द कर रहे थे और न ही यात्रा कर रहे थे। टिकट उपलब्ध नहीं दिखने प्रवृत्ति भी इस निर्णय के पीछे के कारकों में से एक था। क्योंकि इससे भारतीय रेलवे को पीक सीजन (peak season) के दौरान विशेष ट्रेनों की बेहतर योजना बनाने में मदद करेगी।
इस निर्णय का उद्देश्य टिकट उपलब्धता में सुधार करना
इस निर्णय का उद्देश्य वास्तविक यात्रियों के लिए टिकट उपलब्धता (ticket availability) में सुधार करना और टिकट रद्दीकरण (ticket cancellation) तथा नो शो की घटनाओं में कमी लाना है। जिसके कारण आरक्षित बर्थ (reserved berth) की बर्बादी होती है। आरक्षण रुझानों और यात्रियों की यात्रा की अनिश्चितता के आधार पर भारतीय रेलवे अपनी एआरपी नीति में बदलाव करता रहता है। ताज एक्सप्रेस और गोमती एक्सप्रेस (Taj Express and Gomti Express) जैसी कुछ दिन वाली एक्सप्रेस ट्रेनें (express trains) अग्रिम आरक्षण के लिए कम समय सीमा का पालन करना जारी रखेंगी। जबकि विदेशी पर्यटकों (foreign tourists) के लिए 365 दिवसीय एआरपी सीमा में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। 31 अक्टूबर 2024 से पहले 120 दिवसीय एआरपी के अंतर्गत की गई सभी मौजूदा बुकिंग मान्य होगी। 60 दिनों के नए एआरपी से अलग किए गए आरक्षण अभी भी रद्दीकरण के लिए पात्र होंगे।
2015 से 60 दिन से बढ़ाकर 120 दिन किया था
एआरपी (ARP) में कमी होने के साथ यात्रियों को अब एक बार फिर अपनी यात्रा योजनाओं को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी, जिससे वर्तमान 21 प्रतिशत रद्दीकरण दर में कमी आएगी। अग्रिम आरक्षण अवधि के इस महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय को पिछली बार एक जनवरी 2015 से 60 दिन से बढ़ाकर 120 दिन कर दिया गया था। इससे पहले 1995 से 1998 तक यह अवधि 30 दिनों तक थी।
टिकट जमाखोरी में कमी आने की संभावना
नई नीति का उद्देश्य यात्रियों द्वारा टिकट रद्दीकरण किए बिना यात्रा न करने की समस्या से निपटना है। जो अक्सर प्रतिरूपण और धोखाधड़ी (impersonation and fraud) का कारण बनता है। भारतीय रेलवे सभी यात्रियों से इस बदलाव के बारे में जानकार रहने का आग्रह करता है और अपनी यात्रा योजना सुनिश्चित करने के लिए संशोधित एआरपी(modified arp) के अंतर्गत शीघ्र बुकिंग करने के लिए प्रोत्साहित करता है। 60 दिन की बुकिंग अवधि होने से टिकट जमाखोरी में कमी आने की संभावना है, जिससे वास्तविक यात्रियों के लिए ज्यादा टिकट उपलब्ध हो सकेंगे।
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