Diwali 2024:दीपावली पर फूटा ‘महंगाई बम’, सख्ती के बावजूद खुले में पटाखों की हो रही बिक्री
7 सेंटीमीटर वाली चकरघिन्नी (Chakarghinni) जिसे राधा चक्कर भी कहते हैं, वह पिछले साल 115 रुपये प्रति पैकेट बिकी था जो इस बार 40 रुपये प्रति पैकेट महंगी हो गई है। कमांडो नामक मशहूर आलू बम भी पिछले साल 120 रुपये प्रति पैकेट की अपेक्षा 30 रुपये अधिक महंगा है। दुकानदारों ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले इस बार पटाखों पर लगभग 60 से 80 रुपये प्रति पैकेट की बढ़ोतरी हुई है। व्यवसायियों का कहना है कि एक अनुमान के मुताबिक प्रतिवर्ष सिर्फ दीपावली में 10 करोड़ से अधिक के पटाखे का कारोबार क्षेत्र में होता है।

जयपुर। दीवाली( Diwali) के मौके पर पटाखों की बिक्री जोरों पर है। बाजार में ग्रीन फुलझड़ी (green sparkler) से लेकर रॉकेट और तेज आवाज वाले बम तक हर तरह के पटाखे उपलब्ध हैं। हालांकि इस बार पटाखों के दामों में काफी इजाफा हुआ है। पिछले साल के मुकाबले इस बार पटाखों पर लगभग 60 से 80 रुपये प्रति पैकेट की बढ़ोतरी हुई है।
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इस बार सभी पटाखों की कीमत बढ़ी
दीपावली को लेकर पूरा बाजार पटाखों की वेरायटी (variety of firecrackers) से गुलजार है। मुख्य दुकानों के साथ फुटपाथ पर भी दुकानें सजी हुई हैं। ग्रीन फुलझड़ी से लेकर रॉकेट व तेज आवाज वाले बम, चकरघिन्नी (Rockets and loud bombs, Chakarghini) भी ग्राहक को लुभा रहे हैं। क्षेत्र के कारोबारियों को सिर्फ दीपावली में लाखों की बिक्री का अनुमान है। हालांकि, प्रशासन भी अवैध पटाखों की बिक्री को लेकर काफी सख्त है। कारोबारियों का कहना है कि इस बार पटाखा बनाने वाली कंपनियों ने ज्यादातर ग्रीन पटाखें सप्लाई किए हैं। शुरुआती खरीदी में लोग इसे पसंद भी कर रहे हैं। इस दिवाली 40 प्रतिशत ग्रीन पटाखें फूटने का अनुमान है।
महंगा हुआ पटाखों का रेट
प्रशासनिक सख्ती के बावजूद कारोबारी खरीद-बिक्री में पीछे नहीं हैं। पटाखों में इस बार भी काफी वेरायटी नई और खास है। पिछले साल की अपेक्षा पटाखों का रेट महंगा (Firecracker rates are expensive)हो गया है। बावजूद डिमांड व सप्लाई में कोई खास असर नहीं है। ग्रीन फुलझड़ी से लेकर रॉकेट, तेज आवाज वाले आलू बम भी हैं।
10 करोड़ से अधिक के पटाखे का कारोबार
7 सेंटीमीटर वाली चकरघिन्नी (Chakarghinni) जिसे राधा चक्कर भी कहते हैं, वह पिछले साल 115 रुपये प्रति पैकेट बिकी था जो इस बार 40 रुपये प्रति पैकेट महंगी हो गई है। कमांडो नामक मशहूर आलू बम भी पिछले साल 120 रुपये प्रति पैकेट की अपेक्षा 30 रुपये अधिक महंगा है। दुकानदारों ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले इस बार पटाखों पर लगभग 60 से 80 रुपये प्रति पैकेट की बढ़ोतरी हुई है। व्यवसायियों का कहना है कि एक अनुमान के मुताबिक प्रतिवर्ष सिर्फ दीपावली में 10 करोड़ से अधिक के पटाखे का कारोबार क्षेत्र में होता है।
थोक मार्केट में पटाखों की कीमत
ग्रीन फुलझड़ी- 800 रुपये यूनिट
मुर्गा छाप नागिन- 25 रुपये प्रति पैकेट
कोबरा छाप नागिन- 20 रुपये प्रति पैकेट
फुलझड़ी- 20 से 35 रुपये प्रति यूनिट
हाइड्रो बम- 120 रुपये प्रति पैकेट
कुलिया- 180 से 200 रुपये प्रति पैकेट
चक्करघिरनी- 180 से 340 रुपये प्रति पैकेट
कमांडो आलू बम- 180 रुपये प्रति पैकेट
हनुमान बम- 160 प्रति रुपये पैकेट
रॉकेट- 160 से 240 रुपये पैकेट
टॉर्च लाइट पटाखा- 200 रुपये प्रति पैकेट
लापरवाही घातक
विज्ञान के शिक्षक आलोक गुप्ता तथा प्रफुल्ल चंद्र दीपक बताते हैं कि पटाखों के जलने से कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड (carbon dioxide, carbon monoxide and sulfur oxide) जैसी गैसें निकलती हैं, जो कई गंभीर रोगों की वजह बनती हैं। इतना ही नहीं, अगर पटाखे जलाते समय सावधानी न बरती जाए तो इससे गंभीर चोट लगने की भी संभावना बनी रहती है, इसलिए पटाखों को खुली स्थानों में जलाना उचित होता है।
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