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Rajasthan News: सांवलिया सेठ के दानपात्र से निकले 21.96 करोड़, सोना-चांदी, मनीऑर्डर गिनना बाकी

Sanwaliya Seth Temple

Sanwaliya Seth Temple

उदयपुर। सांवलिया सेठ मंदिर (Sanwaliya Seth Temple) के 30 नवंबर को दानपात्र खोले गए और गिनती 2 महीने बाद शुरू हुई। बुधवार शाम तक दान की गिनती 21 करोड़ 96 लाख 45 हजार रुपये तक पहुंच चुकी थी और गिनती अभी भी जारी है। चौथे राउंड में 2 करोड़ 73 लाख 90 हजार रुपये की गिनती की गई। मनी ऑर्डर, ऑनलाइन रुपये और सोने-चांदी (Money order, online money and gold and silver) का तौल बाकी है।


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दान की गिनती 21 करोड़ 96 लाख 45 हजार रुपये तक पहुंची
सांवलिया सेठ मंदिर में इस बार दान का रिकॉर्ड बन सकता है। मंदिर में हर महीने चतुर्दशी तिथि पर दानपात्र खुलते हैं, लेकिन इस बार दीपावली पर दानपात्र नहीं खोला गया था। ऐसे में 30 नवंबर को दानपात्र खोले गए, और गिनती 2 महीने बाद शुरू हुई। बुधवार शाम तक दान की गिनती 21 करोड़ 96 लाख 45 हजार रुपये तक पहुंच चुकी थी, और गिनती अभी भी जारी है। दान की गिनती सुबह 11 बजे राजभोग आरती के बाद शुरू हुई। चौथे राउंड में 2 करोड़ 73 लाख 90 हजार रुपये की गिनती की गई। मनी ऑर्डर, ऑनलाइन रुपये और सोने-चांदी का तौल बाकी है। पहले दिन 11 करोड़ 34 लाख 75 हजार रुपये, 2 दिसंबर को 3 करोड़ 60 लाख रुपये और 3 दिसंबर को 4 करोड़ 27 लाख 80 हजार रुपये की गिनती हुई थी। मंदिर प्रशासन को उम्मीद है कि इस बार दान की राशि का नया रिकॉर्ड बनेगा। काउंटिंग प्रक्रिया में मंदिर मंडल के अध्यक्ष भैरूलाल गुर्जर (Temple Board President Bhairulal Gurjar in the counting process) और अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।


सांवलिया सेठ मंदिर का इतिहास
भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित सांवलिया सेठ मंदिर (Sanwalia Seth) राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि भोलाराम गुर्जर के कहने पर गांव वालों ने बागुंड गांव में भूमि खोदकर तीन मूर्तियां प्राप्त की थीं। इनमें प्रथम मूर्ति को मंडफिया और दूसरी को भादसोड़ा (The first idol was named Mandafiya and the second idol was called Bhadsoda.) में स्थापित की गई। जबकि तीसरी मूर्ति को छापर में ही स्थापित की गई। इसी स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया गया। मंडफिया में स्थित मंदिर ही सांवलिया धाम से जाना जाता है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण विराजते हैं। श्रद्धालु देश की राजधानी दिल्ली से रेल मार्ग या वायु मार्ग के जरिए चित्तौड़गढ़ पहुंच सकते हैं। चित्तौड़गढ़ से सांवलिया धाम सड़क मार्ग के जरिए जा सकते हैं।


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