धर्मेंद्र सिंघल/जयपुर। राजस्थान देश में पशुपालन में दूसरे नंबर पर आता है तो यह प्रदेश की अर्थव्यवस्था (economy of the state) में भी इस व्यवसाय का अहम रोल हैं। इसे और बेहतर बनाने के लिए जरूरी है कि पशुओं की देखभाल अच्छे से हो और उन्हें समय पर अच्छे से इलाज मिले। यह तभी संभव है जब पशु चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को नई तकनीक के साथ पढ़ाई करवाई जाए। अब पशुपालन विभाग (Animal Husbandry Department) पशु चिकित्सा महाविद्यालयों को हाइटेक करने जा रहा है।
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12 पशु चिकित्सा महाविद्यालय संचालित
इस समय देश में 77 पशु चिकित्सा महाविद्यालय (veterinary college) संचालित है। बड़ी बात यह है कि राजस्थान में इसमें से 12 महाविद्यालय स्थापित है। जिनमें 8 निजी और 4 सरकारी है। लेकिन सोचने वाली बात यह भी है कि अभी राजस्थान को इस क्षेत्र में वो मुकाम हासिल नहीं हो पाया जो होना चाहिए था। अब राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप पशुपालन विभाग ने इन महाविद्यालयों को टॉप टेन में लाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। अब इन महाविद्यालयों में स्मार्ट क्लास रूम (smart class room) बनाए जाएंगे। अच्छी लैब बनाई जाएगी तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(artifical Intelligence) का भी बेहतर उपयोग किया जाएगा।
महाविद्यालयों में होगा दीक्षांत समारोह
शासन सचिव पशुपालन विभाग डॉक्टर समित शर्मा (Government Secretary Animal Husbandry Department Dr. Samit Sharma) का कहना है कि अब इन महाविद्यालयों में दीक्षांत समारोह आयोजित किए जाएंगे ताकि यहां से विद्यार्थी जब अपनी पढ़ाई पूरी करे और समारोह में उसे डिग्री मिले तो उसे गर्व महसूस हो। डॉक्टर शर्मा ने कहा कि यहां के शिक्षक, विद्यार्थियों और प्रदेश में संचालित पशु चिकित्सा केंद्रों का व्हाट्सप्प ग्रुप बनाया जाएगा ताकि सभी एक दूसरे को महत्वपूर्ण जानकारी साझा कर सके। समित शर्मा ने महाविद्यालयों के प्राचार्यों को कहा हे कि उनके यहां अच्छे ICU और इनडोर इलाज की बेहतर व्यवस्था करे ताकि पशु और पशुपालकों को अच्छी चिकित्सा सुविधा मिल सके।
जल्दी ही पाठ्यक्रम में भी बदलाव
प्रदेश के पशुपालन विभाग की इस मुहिम में राष्ट्रीय पशु चिकित्सा परिषद भारत सरकार (National Veterinary Council Government of India) भी सहयोग मिलेगा। परिषद के अध्यक्ष डॉक्टर उमेश शर्मा ने कहा कि हमारी कोशिश है कि पशु चिकित्सा से जुड़े स्टूडेंट को नवीन टेक्नोलॉजी से जोड़ा जाए। और अब हम जल्दी ही पाठ्यक्रम में भी बदलाव करने जा रहे हैं। क्योंकि आने वाले समय में पशु चिकित्सक की भूमिका को मानवीय स्वास्थ्य से जोड़कर रखनी पड़ेगी। क्योंकि आजकल कई बीमारियां दोनों में जूनोटिक हैं जो कि हम कोविड के समय देख चुके हैं इसलिए अब हम गुणवत्ता पर ध्यान दे रहे हैं।
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