धर्मेंद्र सिंघल/जयपुर। राजस्थान में इन दिनों पेपर लीक की घटनाओं को लेकर मामला चरम पर है। इस मामले को लेकर अब भजन लाल सरकार फूंक फूंक कर कदम रख रही है। अब सरकार को तय करना है कि इसे रद्द किया जाए या फिर यथावत रखें। 2021 में तत्कालीन गहलोत सरकार में हुई भर्ती शुरू से ही विवादों में रही है। अब सरकार की मंशा को लेकर भी बेरोजगार युवाओं के मन में बैचेनी जरूर है। आइए जानते है 2021 से शुरु हुए इस घटना क्रम के बारें में सिलसिले वार तरीके से।
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गहलोत सरकार में शुरू से ही विवादों में रही
राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा सब इंस्पेक्टर भर्ती (sub inspector recruitment) को लेकर 2021 में नोटिफिकेशन जारी किया गया था। भर्ती के लिए कुल 859 पदों पर आवेदन आमंत्रित किए गए थे। प्रतियोगी परीक्षा 13 सितंबर से 15 सितंबर तक आयोजित हुई। परीक्षा संपन्न होते ही पेपर लीक की बात सामने आई और उस समय किरोड़ी लाल मीना (Kirori Lal Meena) ने गहलोत सरकार को घेरते हुए सड़को पर युवाओं के साथ प्रदर्शन करते हुए सीबीआई जांच (CBI investigation) की मांग तक की गई, लेकिन गहलोत सरकार ने एक ना सुनी और भर्ती प्रक्रिया में फर्जीवाड़े को नकारा।
हेल्प लाइन नंबर पर एक माह में 826 शिकायतें मिली
दिसंबर 2023 में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए और प्रदेश में भाजपा की सरकार (BJP government) बनी और भजनलाल शर्मा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अपनी पहली ही प्रेसवार्ता में नकल माफियाओं पर शिकंजा कसने के लिए एडीजी वीके सिंह (ADG VK Singh) के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी चीफ (SOG Chief) एडीजी सिंह ने 21 फरवरी को एक हेल्प लाइन नंबर 9530429258 जारी किए थे। इसके बाद हेल्प लाइन नंबर पर महज एक माह के भीतर ही 826 शिकायते मिली। एसओजी के लिए सबसे मजबूत स्पोर्स उसके द्वारा जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर साबित हुए। जिस पर सैकंड़ो लोगों ने गुप्त सूचना देकर फर्जीवाड़े से संबधित जानकारी एसओजी को दी।
‘मास्टरमाइंड’ जगदीश विश्नोई ने उगले राज
सब इंस्पेक्टर भर्ती मामले में एसओजी को उस समय सफलता हाथ लगी। जब जगदीश विश्नोई (Jagdish Vishnoi) को एसओजी द्वारा 29 फरवरी 2024 को जेईएन भर्ती परीक्षा 2020 के पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया। इससे पहले एसओजी ने गैंग के सदस्यों पटवारी हर्षवर्धन सिंह मीणा और राजेंद्र यादव को भी गिरफ्तार किया था। राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) (Rajasthan Public Service Commission) (RPSC) की भर्ती पेपर लीक मामले में दर्ज एफआईआर के मुताबिक जूनियर इंजीनियर पेपर लीक मामले में गिरफ़्तार ‘मास्टरमाइंड’ जगदीश विश्नोई से पूछताछ में सब इंस्पेक्टर भर्ती पेपर लीक की बात भी बताई। इसके बाद एसओजी ने पूछताछ के आधार पर 40 नामजद अभियुक्तों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करवाई। जांच एजेंसी एसओजी द्वारा 3 मार्च, 2024 को 40 अभियुक्तों के ख़िलाफ़ नामजद एफ़आईआर दर्ज कर 5 मार्च को 14 ट्रेनी सब इंस्पेक्टर समेत 16 अभियुक्तों को गिरफ़्तार किया। एसओजी की इस कार्रवाई ने उस समय लोगों को चौंका दिया जब इस भर्ती में टॉपर रहा नरेश को गिरफ्तार किया गया। एसओजी के अनुसार भर्ती परीक्षा का एक केंद्र जयपुर के हसनपुर में रविंद्र बाल भारती सीनियर सेकेंडरी स्कूल में था। जानकारी के अनुसार परीक्षा केंद्र सुप्रिटेंडेंट (Examination Center Superintendent) राजेश खंडेलवाल के साथ मिलकर जगदीश विश्नोई, यूनिक भाम्बू, शिवरतन मोट(Jagdish Vishnoi, Unique Bhambu, Shivratan Mot) ने पेपर लीक का षड्यंत्र रचा था।
प्रिंसिपल रूम में छिपाया था यूनिक भाम्बू को
पेपरलीक करने खुलासे के बाद सिस्टम पर सवाल खड़े होना भी लाजमी था। दरअसल, एसओजी का कहना है कि परीक्षा केंद्र सुप्रिटेंडेंट राजेश खंडेलवाल के साथ मिलकर जगदीश विश्नोई, यूनिक भाम्बू, शिवरतन मोट ने पेपर लीक का षड्यंत्र रचा था। अभियुक्त परीक्षा के पहले दिन यानी 13 सितंबर, 2021 को पेपर लीक करने में कामयाबी हाथ नहीं लग पाई थी। इसके बाद 14 और 15 सितंबर को परीक्षा के दिन सेंटर पर पेपर पहुंचने से पहले ही यूनिक भाम्बू प्रिंसिपल रूम में छिपा था। आरोप है कि परीक्षा से करीब दो घंटे पहले ही अभियुक्त भाम्बू पेपर सेंटर पर पहुंच गया, जिसे प्रिंसिपल रूम (principal room) में रखकर कमरा सील कर दिया गया था। आरोप है कि पहले से कमरे में छिपे यूनिक भाम्बू ने अपने फोन से पेपर की तस्वीर खींच कर जगदीश विश्नोई को भेज दी और पैकेट को पहले की तरह बंद कर दिया। पूछताछ में अभियुक्तों ने जानकारी दी कि इसके एवज में जगदीश विश्नोई ने यूनिक भाम्बू के जरिए परीक्षा केंद्र सुप्रिटेंडेंट राजेश खंडेलवाल को दस लाख रुपए दिए।
50 ट्रेनी एसआई और डमी कैंडिडेट पकड़े
जानकारी के मुताबिक दर्ज एफआईआर (FIR lodged) में परीक्षा केंद्र से यूनिक भाम्बू के ज़रिए व्हाट्सएप पर मिले पेपर को जगदीश विश्नोई ने प्रिंट करवा कर और उसको सॉल्व किया। आरोप है कि हल किए गए पेपर को 14 और 15 सितंबर की परीक्षा से पहले राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों में बैठे अपने हैंडलर्स तक व्हाट्सएप के जरिए पहुंचाया गया। इसके बाद एसओजी ने कड़ी से कड़ी छोड़ कर इस मामले की तह तक जाने की कोशिश की और कई हद तक एसओजी को इसमें कामियाबी भी हाथ लगी। एफआईआर में चालीस नामजद अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420, 120बी, राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा 1992 की 4, 5, 6 की धाराएं लगाई गई हैं। आईटी एक्ट 2008 की 66डी भी लगाई गई है। मार्च से लेकर अभी तक सब इंस्पेक्टर भर्ती में चयनित 50 ट्रेनी एसआई पेपर लीक और डमी कैंडिडेट के केस में हत्थे चढ़ चुके हैं। जबकि अभी भी कई ट्रेनी एसआई एसओजी की जांच के रडार पर हैं।
आरपीएससी सदस्य राइका को पकड़ा
इस भर्ती प्रक्रिया में SOG को उस समय सफलता हाथ लगी जब आरपीएससी के पूर्व सदस्य रामू राम राइका के बेटे देवेश और बेटी शोभा को गिरफ्तार किया गया। जब स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप द्वारा दोनों से पूछताछ की गई तो उन्होंने पूछताछ में खुलासा किया कि उनको यह पेपर उनके पिता राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य रामू राम राइका ने 7 दिन पहले उपलब्ध करवाया था। उसके बाद SOG द्वारा आरपीएससी के पूर्व सदस्य रामू राम राइका को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई और पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसके बाद जब रामू राम राइका से पूछताछ की गई तो पूछताछ में खुलासा हुआ कि उसको पेपर बाबूलाल कटारा ने उपलब्ध करवाया। अब पूरी ही भर्ती संदेह के घेरे में आ गई थी क्योंकि जिस आरपीएससी पर पारदर्शी तरीके से भर्ती परीक्षा आयोजित करने की जिम्मेदारी थी अब तक उसके दो सदस्य गिरफ्तार हो चुके थे. हालांकि बाबूलाल कटरा तो पहले से ही पेपर लीक प्रकरण में गिरफ्तार था. स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप द्वारा प्रोटेस्ट वारंट पर गिरफ्तार कर बाबूलाल कटारा से पूछताछ की गई. इसके बाद SOG की एक टीम बाबूलाल कटारा, रामूराम रायका, बेटी शोभा और बेटे देवेश को लेकर अजमेर आरपीएससी लेकर पहुंची. इधर, दो पूर्व सदस्यों का नाम सब इंस्पेक्टर भर्ती पेपर मामले में सामने आने के बाद राजस्थान के युवाओं में आक्रोश बढ़ता गया और इस भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने की मांग उठने लगी। इधर, सरकार के ही मंत्री डॉक्टर किरोडी लाल मीणा भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने को लेकर अपने स्वर बुलंद करते हुए नजर आए।
भर्ती रद्द करने की मांग
भर्ती प्रक्रिया में हो रहे खुलासों के बाद एसओजी द्वारा सरकार को पक्ष लिख कर भर्ती प्रक्रिया रद्द करने की मांग की गई। इधर, पुलिस मुख्यालय द्वारा भी भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने के लिए पत्र लिखने की बात सामने आई। लेकिन ना जाने सरकार की क्या मजबूरी रही कि भर्ती के भविष्य को लेकर कोई फैसला नहीं ले पाई। अपने ही कैबिनेट मंत्री का दबाव और प्रदेश के युवाओं में भर्ती रद्द करने को लेकर हो रहे विरोध को देखते हुए 1 अक्टूबर को सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में निर्णय लेते हुए एक सब कमेटी गठित की। इस कमेटी को जिम्मेदारी दी गई कि वह सभी पक्षों को सुनकर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपे। सब कमेटी का संयोजक मंत्री जोगाराम पटेल को बनाया गया। इसके अलावा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर, मंत्री मंजू बघमार, मंत्री रोहित गोदारा, मंत्री बाबूलाल खराड़ी, मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म को शामिल किया गया। इधर, सरकार द्वारा कमेटी गठन के बाद धरातल पर उतर कर भर्ती रद्द करने की मांग को लेकर युवाओं का प्रदर्शन ने जोर पकड़ा।
मेहनती अभ्यर्थियों को नौकरी जाने का डर
इधर, सरकार द्वारा भर्ती रद्द करने की आशंका के बीच मेहनत से सलेक्ट हुए अभ्यर्थियों को नौकरी जाने का डर सताने लगा। इसको देखते हुए मेहनत से नौकरी लगे लोगों के अभिभावों ने जयपुर के शहीद स्मारक पर प्रदर्शन करके भर्ती को यथावत करने की मांग को उठाया।
सीएम के विदेश से लौटते ही होगा फैसला
कमेटी ने दो बैठक आयोजित करके सभी पक्षों को सुनने के बाद अपनी एक रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। पहली बैठक संपन्न होने के बाद मंत्री जोगाराम पटेल ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि एक सप्ताह के भीतर इस मामले में निर्णय होगा और जल्द ही खुशखबरी मिलेगी। लेकिन कहा ये जा रहा है कि जयपुर के शहीद स्मारक पर हुए भर्ती को यथावत रखने की मांग को लेकर प्रदर्शन से सरकार दबाव में आ गई, इधर चर्चा तो यह भी हो रही है कि सरकार के एक मंत्री जी भर्ती रद्द करने के विरोध में है…इस बीच जानकारी सामने आई की मंत्री जोगाराम पटेल ने सब इंस्पेक्टर भर्ती प्रक्रिया रद्द करने की अनुशंसा की है, लेकिन कुछ ही देर में मंत्री जोगाराम पटेल का बयान भी सामने आ गया।
अब निर्णय भी मुख्यमंत्री के स्तर पर
लोगों को उम्मीद थी कि सरकार द्वारा कमेटी की रिपोर्ट के बाद सख्त फैसला लेते हुए 13 अक्टूंबर को होने वाली कैबिनेट की मीटिंग में इस भर्ती का निर्णय कर देगी, लेकिन प्रस्तावित मीटिंग को एकदम से स्थगित करने की सूचना आई…क्योंकि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी, तो अब निर्णय भी मुख्यमंत्री के स्तर पर होना तय था, लेकिन कैबिनेट की मीटिंग स्थगित और अगले ही दिन मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के विदेश दौरे ने इस भर्ती के भविष्य के निर्णय को 19 अक्टूंबर तक और टाल दिया। मुख्यमत्री भजनलाल सरकार के राजस्थान वापस लौटते ही इस भर्ती को लेकर फैसला संभव है।
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